यूएफसी नैशविले में **गेब्रियल बोनफिम** के खिलाफ **स्टीफन “वंडरबॉय” थॉम्पसन** के लिए नतीजा भले ही उम्मीद के मुताबिक न रहा हो और उन्हें स्प्लिट डिसीजन से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इस फाइट में उनकी बहादुरी और सहनशक्ति की खूब चर्चा हो रही है। हार-जीत से परे, एक ऐसी घटना घटी जिसने हर किसी को चौंका दिया और “वंडरबॉय” के असली फाइटर होने का सबूत दिया।
यह दर्दनाक पल फाइट के दूसरे राउंड में आया। जब थॉम्पसन ने एक जोरदार लेग किक मारी, तो उनके प्रतिद्वंद्वी बोनफिम ने उसे कुशलता से चेक किया। इस चेक का नतीजा भयानक था: थॉम्पसन की **पिंडली (shin)** तुरंत फट गई, जिससे एक गहरा, खुला जख्म बन गया जो देखने में बेहद विचलित करने वाला था। यह जख्म इतना गहरा था कि थॉम्पसन के खुद के शब्दों में, यह `हड्डी तक फट गया` था। पूरे मैच के दौरान इस जख्म से खून बहता रहा, जो उनकी अविश्वसनीय सहनशक्ति का एक खामोश गवाह था।
लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती। यहाँ हैरान करने वाली बात यह है कि इस दर्दनाक चोट के लगने के ठीक बाद, कुछ ही सेकंड में, थॉम्पसन ने *उसी* जख्मी पिंडली से एक जोरदार हेड किक मारी जिसने बोनफिम को भी चौंका दिया और उन्हें मुश्किल में डाल दिया! सोचिए, जिस पैर की हड्डी दिखने लगी थी, उसी से वो हमला कर रहे थे। यह सिर्फ हौसला नहीं, बल्कि एक अलग ही स्तर का जज्बा है जो सिर्फ असली चैंपियंस में दिखता है। शायद यहीं पर उनकी `वंडरबॉय` उपाधि का असली मतलब समझ आता है – वो वाकई आश्चर्यचकित कर देने वाले योद्धा हैं।
फाइट के बाद, **स्टीफन थॉम्पसन** ने खुद इस चोट की गंभीरता की पुष्टि की। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि उनकी पिंडली `हड्डी तक फट गई` थी और इसके लिए उन्हें टांके लगाने पड़े। उन्होंने अपनी अद्भुत फाइटर स्पिरिट के साथ कहा कि शायद उन्हें थोड़ी और पिंडली की कंडीशनिंग करनी चाहिए – एक तरह का हल्का-फुल्का मजाक, जैसा कि यह बताने के लिए कि अगली बार ऐसी चोट न लगे, या कम से कम हड्डी और मजबूत हो जाए, या शायद यह मान लेना कि पिंडली फट भी जाए तो क्या, हड्डी तो है ही!
42 साल की उम्र में, थॉम्पसन **यूएफसी** के सबसे उम्रदराज फाइटर्स में से एक हैं, लेकिन आज भी वो दुनिया के टॉप लेवल पर लड़ते हैं। हालांकि उन्हें हाल की तीन फाइट्स (बोनफिम, **जोकिन बकले**, **शवकात रखमोनोव** के खिलाफ) में हार मिली है, पर उनकी फाइट्स हमेशा तकनीक, धैर्य और साहस का बेहतरीन प्रदर्शन होती हैं। उनकी हालिया हारें शायद उनके रिकॉर्ड के लिए अच्छी न हों, लेकिन मैदान पर उनका प्रदर्शन अक्सर उससे कहीं ज्यादा बताता है। उन्होंने यह भी बताया है कि उनके मौजूदा यूएफसी कॉन्ट्रैक्ट में अब सिर्फ एक फाइट बची है। इस आखिरी फाइट का नतीजा ही शायद उनके आगे लड़ने के फैसले पर अहम भूमिका निभाएगा।
यूएफसी नैशविले में चोट और हार के बावजूद, **स्टीफन थॉम्पसन** ने एक बार फिर दिखाया कि क्यों वो एमएमए समुदाय में इतने सम्मानित हैं। उनकी जुझारूपन, दर्द को सहने की क्षमता और मैदान पर वापसी करने का जज्बा वाकई प्रेरणादायक है। पिंडली पर लगा जख्म सिर्फ एक चोट नहीं, बल्कि एक अनुभवी योद्धा के उस युद्ध का निशान है जो उसने अपनी इच्छाशक्ति से लड़ा और जिसमें उसने शरीर की सीमा से परे जाकर लड़ने का साहस दिखाया।

 
																																											 
																																											 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								