पोलैंड के वारसॉ में हाल ही में संपन्न हुए प्रतिष्ठित बीच प्रो टूर के वारसॉ फ्यूचर्स (पुरुष) टूर्नामेंट ने खेल जगत में एक अविस्मरणीय गाथा लिख दी है। यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि यह दर्शाने वाला एक मंच बन गया कि सही समर्थन और समर्पण के साथ, खिलाड़ी किस प्रकार अपनी सीमाओं से परे जाकर इतिहास रच सकते हैं। इस टूर्नामेंट का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह रहा कि पोडियम के तीनों पायदानों पर उन्हीं टीमों ने कब्जा जमाया, जिन्हें FIVB के दूरदर्शी वॉलीबॉल सशक्तिकरण कार्यक्रम से सहायता मिल रही थी। यह वाकई खेल विकास के क्षेत्र में एक सुनहरे अध्याय की शुरुआत थी।
FIVB सशक्तिकरण: सफलता की नींव
FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में वॉलीबॉल और बीच वॉलीबॉल के विकास को गति देना है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय संघों को वित्तीय सहायता, विशेषज्ञ कोचों का सहयोग, तकनीकी प्रशिक्षण और आवश्यक उपकरण प्रदान करता है। वारसॉ में मिली यह सफलता इस कार्यक्रम की प्रभावशीलता का जीता-जागता प्रमाण है, जहाँ निवेश सिर्फ पैसे का नहीं, बल्कि प्रतिभा और सपनों का भी होता है।
लिथुआनिया का स्वर्णिम स्पर्श: पहला स्वर्ण, पहला पदक
टूर्नामेंट का स्वर्ण पदक लिथुआनिया के अर्नास रुम्सेवियस और करोलीस पालुबिंस्कस की जोड़ी ने अपने नाम किया। 20 वर्षीय पालुबिंस्कस के लिए यह उनके करियर का पहला टूर पदक था, और वह भी स्वर्ण! उनकी टीम ने भले ही टूर्नामेंट की शुरुआत हार के साथ की थी, लेकिन उनके इरादे मजबूत थे। लगातार पांच जीत दर्ज करते हुए उन्होंने अपनी राह बनाई और चैंपियन के रूप में उभरे। सेमीफाइनल में चेक गणराज्य की जोड़ी को कड़े मुकाबले में हराकर (22-20, 24-22), उन्होंने फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में उन्हें यूक्रेन की टीम के चोट के कारण हटने से वॉकओवर मिला, लेकिन उनकी यात्रा किसी भी मायने में कम प्रेरणादायक नहीं थी। लिथुआनिया वॉलीबॉल फेडरेशन के बीच वॉलीबॉल विभाग को FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण के तहत कोच समर्थन के लिए $477,000 और राष्ट्रीय टीम कोच विकास कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त $12,000 प्राप्त हुए हैं, जिसने निश्चित रूप से इस स्वर्णिम उपलब्धि में अहम भूमिका निभाई।
यूक्रेन का जुझारू रजत: दृढ़ता की कहानी
रजत पदक यूक्रेन के एंटोन मोइसीव और विटाली सव्वाइन की युवा जोड़ी ने जीता। 20 वर्षीय मोइसीव और 21 वर्षीय सव्वाइन की इस टीम ने प्रतियोगिता में अविश्वसनीय प्रदर्शन किया। क्वालिफिकेशन से लेकर सेमीफाइनल तक, उन्होंने अपने छह मैचों में एक भी सेट नहीं हारा। सेमीफाइनल में उन्होंने एस्टोनियाई जोड़ी को 2-0 (25-23, 23-21) से हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की की। यह उनके लिए दूसरा टूर पोडियम था, इससे पहले उन्होंने दिसंबर में मारिका फ्यूचर्स में भी रजत पदक जीता था। हालांकि, फाइनल मैच में दुर्भाग्य ने दस्तक दी, और चोट के कारण उन्हें मैदान से हटना पड़ा – एक ऐसा मोड़ जो शायद सोने के बजाय चांदी की चमक लाया, पर उनके असाधारण प्रदर्शन पर कोई दाग नहीं छोड़ सका। FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण कार्यक्रम 2022 से यूक्रेन वॉलीबॉल फेडरेशन का लगातार समर्थन कर रहा है, जिसके तहत उन्हें अब तक कुल $670,000 की फंडिंग प्राप्त हुई है, जो युद्धग्रस्त क्षेत्र में खेल गतिविधियों को जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
एस्टोनिया का संघर्षपूर्ण कांस्य: नए अध्याय की शुरुआत
कांस्य पदक पर एस्टोनिया के मार्ट तीसार और दिमित्री कोरोटकोव ने कब्जा किया। यह इस जोड़ी के लिए बीच प्रो टूर में पहला पदक था। तीन लगातार जीत के साथ सेमीफाइनल में पहुंची इस टीम को यूक्रेन के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। तीसरे स्थान के लिए हुए कड़े मुकाबले में उन्होंने चेक जोड़ी को 2-1 (21-19, 20-22, 15-13) से हराकर कांस्य पदक हासिल किया। एस्टोनियाई वॉलीबॉल फेडरेशन के बीच वॉलीबॉल विभाग को FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण से कोच समर्थन के लिए $168,000 और बीच वॉलीबॉल उपकरण के लिए $11,500 प्राप्त हुए हैं। यह निवेश उनकी टीम के लिए एक नए और सफल अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है।
एक साझा धागा: प्रेरणा और भविष्य
वारसॉ फ्यूचर्स में 17 विभिन्न फेडरेशनों के 27 पुरुष duos ने भाग लिया, लेकिन पोडियम पर उन टीमों का दबदबा रहा जिन्हें FIVB सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष लाभ मिला। यह कहानी सिर्फ वारसॉ के रेत पर हुई जीत की नहीं, बल्कि उस विश्वास की है जो खेल में निवेश करने से मिलता है। यह युवा खिलाड़ियों के सपनों को पंख देने, उन्हें विश्व मंच पर चमकने का अवसर देने और खेल के माध्यम से राष्ट्रों को जोड़ने की प्रेरणा देती है। FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण कार्यक्रम न केवल एथलीटों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, बल्कि उन्हें एक मजबूत नींव और उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ने का आत्मविश्वास भी देता है।
यह स्पष्ट है कि जब सही रणनीतिक समर्थन मिलता है, तो परिणाम न केवल खिलाड़ियों के लिए बल्कि पूरे खेल समुदाय के लिए ऐतिहासिक और प्रेरणादायक होते हैं। वारसॉ में मिली यह सफलता बीच वॉलीबॉल के भविष्य के लिए एक चमकदार मिसाल पेश करती है, और हमें यह याद दिलाती है कि हर चैंपियन के पीछे एक अदृश्य समर्थन प्रणाली होती है जो उन्हें महानता की ओर धकेलती है।