वॉलीबॉल विश्व कप: 11 साल बाद वापसी को तैयार कोरियाई टाइगर्स – क्या रचेंगे इतिहास?

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वॉलीबॉल की दुनिया में, कुछ वापसी ऐसी होती हैं जो सिर्फ खेल से कहीं बढ़कर होती हैं। वे दृढ़ता, महत्वाकांक्षा और एक अटूट भावना की गाथा होती हैं। दक्षिण कोरिया की पुरुष वॉलीबॉल टीम की 2025 FIVB विश्व चैंपियनशिप में वापसी ऐसी ही एक कहानी है। 11 साल का लंबा इंतजार, अनगिनत घंटों का अभ्यास और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान फिर से स्थापित करने का एक सुनहरा अवसर – कोरियाई टाइगर्स तैयार हैं।

इतिहास की गूँज और एशिया की शान

कोरियाई वॉलीबॉल का एक समृद्ध इतिहास रहा है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। 1978 में टीम ने सेमीफाइनल तक का शानदार सफर तय कर चौथा स्थान हासिल किया था। उस यादगार अभियान की अगुवाई महान खिलाड़ी और दूरदर्शी सेटर किम हो-चुल ने की थी, जिनका नाम आज भी एशियाई वॉलीबॉल में बड़े सम्मान से लिया जाता है। एशिया में तो वे हमेशा से एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, चार एशियाई चैंपियनशिप और तीन एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक इसका प्रमाण हैं। जापान, ईरान और चीन जैसे महाद्वीपीय प्रतिद्वंद्वियों के बीच अपनी जगह बनाए रखना आसान नहीं, फिर भी कोरिया ने यह कर दिखाया। लेकिन वैश्विक स्तर पर, विशेषकर पिछले कुछ दशकों में, यह चमक थोड़ी फीकी पड़ गई थी। 2018 और 2022 में विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई न कर पाना इसका सीधा संकेत था।

चुनौतियों का अखाड़ा: पूल C की अग्निपरीक्षा

इस बार, पोलैंड में होने वाली 2025 चैंपियनशिप में, कोरियाई टीम को पूल C में फ्रांस, अर्जेंटीना और फिनलैंड जैसी मजबूत टीमों का सामना करना है। यह महज एक ग्रुप नहीं, बल्कि चुनौतियों का एक अखाड़ा है। ओलंपिक चैंपियन फ्रांस और लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्जेंटीना के सामने यह एक बड़ी चुनौती है। ऐसा लगता है, अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल ने 11 साल बाद उनकी वापसी का `स्वागत` करने के लिए सीधे उन्हें आग में झोंक दिया है। खैर, बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए बड़ी चुनौतियों से गुजरना ही पड़ता है, है ना?

`कोरियाई तरीका`: गति, सटीकता और दिमाग का खेल

आमतौर पर आधुनिक वॉलीबॉल में कद और ताकत का बोलबाला रहता है। हर टीम लंबे हिटर्स और शक्तिशाली ब्लॉकों पर निर्भर करती दिखती है, जैसे कि यह केवल शारीरिक शक्ति का प्रदर्शन हो। लेकिन कोरियाई टीम की पहचान हमेशा से उनकी गति, लय और रणनीतिक सटीकता रही है। वे त्वरित संक्रमण, बेहतरीन बॉल कंट्रोल और समन्वित चालों से अपने विरोधियों को पस्त करते हैं। यह एक ऐसा `अनूठा नुस्खा` है जो `मांसपेशी बनाम मांसपेशी` वाली लड़ाई में एक अलग स्वाद लेकर आता है। शायद, कभी-कभी दिमाग ताकत से ज्यादा भारी पड़ता है, और कोरियाई टीम इसे साबित करने को तैयार है। यह सिर्फ खेल नहीं, यह कला है – जहां रणनीति और तालमेल का जादू चलता है।

परिवर्तन की बयार: नई दिशा, नई उम्मीद

कोरियाई वॉलीबॉल संघ ने टीम को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ब्राजील के मुख्य कोच इस्सेनाय रामिरेस को टीम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनकी नियुक्ति टीम में नई तकनीकी अंतर्दृष्टि और अंतर्राष्ट्रीय अनुभव लेकर आएगी। यह दर्शाता है कि टीम अपने पारंपरिक खेल शैली को बनाए रखते हुए आधुनिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, FIVB वॉलीबॉल एम्पावरमेंट कार्यक्रम के तहत मिली 126,000 डॉलर की वित्तीय सहायता भी इस आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह निवेश केवल कोचिंग में नहीं, बल्कि टीम के समग्र विकास में किया जा रहा है।

उभरते सितारे और अनुभवी खिलाड़ी

टीम को अनुभवी आउटसाइड हिटर हियो सु-बोंग जैसे खिलाड़ियों से काफी उम्मीदें हैं, जो राष्ट्रीय टीम के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं। उनके साथ, ली वू-जिन पर भी सभी की निगाहें होंगी, जिन्होंने 2024-25 सीज़न इटली की सुपरलेगा में वेरो वॉली मोंज़ा के साथ बिताया है। दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धी क्लब लीग में खेलने का यह बहुमूल्य अनुभव टीम के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। यह युवा जोश और अनुभव का एक शानदार मिश्रण है, जो किसी भी टीम के लिए सफलता की कुंजी होता है।

एक नई विरासत की ओर

यह विश्व चैंपियनशिप कोरिया की वर्तमान पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह सिर्फ जीत-हार का सवाल नहीं, बल्कि यह साबित करने का मौका है कि कोरियाई वॉलीबॉल अभी भी वैश्विक स्तर पर एक मजबूत दावेदार है। अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए और आधुनिक रणनीतियों को अपनाते हुए, कोरियाई टीम वॉलीबॉल के बदलते परिदृश्य में अपनी जगह फिर से बनाने के लिए तैयार है। यह एक ऐसी कहानी है जो हर खेल प्रेमी को उत्साहित करेगी – एक टीम, जो 11 साल बाद वापस लौटकर, अपने अद्वितीय खेल शैली और अदम्य भावना के साथ इतिहास रचने का सपना देख रही है। विश्व चैंपियनशिप बस एक टूर्नामेंट नहीं, यह कोरियाई वॉलीबॉल के पुनरुत्थान की गाथा का पहला अध्याय है।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।