खेल जगत में कई ऐसे अनुशासन हैं, जिनकी चर्चा भले ही क्रिकेट या फुटबॉल जितनी न होती हो, लेकिन उनका प्रभाव और reach किसी से कम नहीं। वॉलीबॉल उन्हीं में से एक है – एक ऐसा खेल जो अपनी गति, टीम वर्क और रोमांच के लिए जाना जाता है। और अब, यह खेल एक नई और महत्वाकांक्षी यात्रा पर निकल चुका है, जिसका केंद्र बना है चीन और अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल महासंघ (FIVB) की दूरदृष्टि।
वैश्विक वॉलीबॉल का लक्ष्य: 1.6 अरब लोगों तक पहुँच
हाल ही में, FIVB के नेतृत्व ने बीजिंग स्पोर्ट यूनिवर्सिटी (BSU) का दौरा किया। यह कोई सामान्य शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि वैश्विक वॉलीबॉल के भविष्य के लिए एक रणनीतिक कदम था। FIVB के अध्यक्ष फैबियो अज़ेवेडो और उनकी टीम का लक्ष्य स्पष्ट है: वॉलीबॉल से जुड़े लोगों की संख्या को 800 मिलियन से दोगुना कर 1.6 बिलियन तक पहुंचाना। यह “FIVB स्ट्रेटेजिक विजन 2032” का मूल मंत्र है, जिसके लिए खेल को अधिक सुलभ, किफायती और समझने योग्य बनाना आवश्यक है।
इस बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चीन को एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में देखा जा रहा है। आखिर क्यों? क्योंकि चीन में वॉलीबॉल की जड़ें गहरी हैं, और यह संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। चीनी महिला राष्ट्रीय टीम की सफलता अपने आप में एक मिसाल है, जिसने ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है। FIVB सिर्फ चीनी महिला टीम ही नहीं, बल्कि पुरुष टीम और बीच वॉलीबॉल में भी अपार संभावनाएं देख रहा है।
बीजिंग स्पोर्ट यूनिवर्सिटी: प्रतिभाओं का गढ़
इस महत्वाकांक्षी योजना में बीजिंग स्पोर्ट यूनिवर्सिटी की भूमिका केंद्रीय है। यह चीन के शीर्ष संस्थानों में से एक है जो खेल विज्ञान, शारीरिक शिक्षा और प्रबंधन के लिए समर्पित है। BSU में चीन वॉलीबॉल कॉलेज भी है, जो प्रशिक्षण और शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से वॉलीबॉल प्रतिभाओं को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वह जगह है जहाँ भविष्य के सितारे तैयार होते हैं, और खेल की वैज्ञानिक बारीकियों को समझा जाता है।
FIVB प्रतिनिधिमंडल ने “पाथ ऑफ चैंपियंस” का भी दौरा किया, जो BSU में अध्ययन करने वाले महान एथलीटों का सम्मान करता है। इसमें 2004 एथेंस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली चीनी महिला वॉलीबॉल टीम की सदस्य झांग ना, यांग हाओ और सोंग नीना जैसे दिग्गजों के पदचिह्न शामिल हैं। यह एक ऐसा स्थान है जो न सिर्फ इतिहास को याद दिलाता है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के एथलीटों को भी प्रेरित करता है।
साझेदारी का महत्व: बीज बोना और फलना-फूलना
FIVB अध्यक्ष फैबियो अज़ेवेडो ने इस साझेदारी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा,
“हमें विश्वास है कि BSU FIVB और CVA के लिए एक आदर्श भागीदार है। यह हमें न केवल कुलीन-स्तर के वॉलीबॉल को विकसित करने में मदद कर सकता है, बल्कि पूरे देश में बड़े पैमाने पर भागीदारी को भी बढ़ा सकता है। वॉलीबॉल में लोगों को एक साथ लाने की शक्ति है। हमारा मानना है कि चीन इन बीजों को बोने के लिए आदर्श मिट्टी प्रदान करता है, और वे फलेंगे-फूलेंगे।”
BSU में पार्टी कमेटी के सचिव फैन ज़ानबेई ने भी इस भावना को प्रतिध्वनित किया। उन्होंने FIVB के नेतृत्व में वैश्विक वॉलीबॉल समुदाय के महत्वपूर्ण विस्तार और खेल के पेशेवर मानकों में उल्लेखनीय बदलाव की उम्मीद जताई। उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि चीन न केवल अपने देश में बल्कि विश्व स्तर पर वॉलीबॉल के विकास में योगदान दे रहा है।
आगे का रास्ता: एक वैश्विक प्रेरणा
यह साझेदारी सिर्फ चीन या FIVB तक सीमित नहीं है। यह उन सभी देशों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने यहाँ खेल विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं। यह दर्शाता है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्थानीय संस्थानों की शक्ति का उपयोग करके किसी भी खेल को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है। वॉलीबॉल, जो अक्सर “बड़े” खेलों की चकाचौंध में कहीं खो जाता है, अब चुपचाप अपनी पहचान बना रहा है, अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है, और शायद जल्द ही दुनिया के हर कोने में अपने प्रभाव का डंका बजाएगा। क्या पता, यह “बीज” भारत जैसी खेल-प्रेमी भूमि में भी फले-फूले और भारतीय वॉलीबॉल को भी वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाए?
यह स्पष्ट है कि FIVB और बीजिंग स्पोर्ट यूनिवर्सिटी की यह साझेदारी केवल एक बैठक से कहीं बढ़कर है। यह एक दूरदर्शी निवेश है, जो न केवल पेशेवर एथलीटों को तैयार करेगा बल्कि लाखों लोगों को खेल से जोड़ेगा, उन्हें स्वास्थ्य और सामुदायिक भावना का तोहफा देगा। वॉलीबॉल के लिए यह वाकई एक नई उड़ान है, और दुनिया उत्सुकता से देख रही है कि यह कितनी ऊंचाई तक जाती है।