थाईलैंड वॉलीबॉल की नई उड़ान: SEA लीग में ऐतिहासिक प्रदर्शन और भविष्य की आहट

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दक्षिण पूर्व एशिया की वॉलीबॉल कोर्ट पर हाल ही में एक ऐसी कहानी गढ़ी गई, जिसने खेल प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। बात हो रही है SEA V लीग 2025 की, जहाँ थाईलैंड की पुरुष वॉलीबॉल टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से उपविजेता का खिताब हासिल किया। यह केवल एक हार-जीत का आंकड़ा नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल महासंघ (FIVB) के `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` कार्यक्रम के तहत मिली सहायता का परिणाम है, जिसने थाई टीम को नई ऊर्जा दी है।

FIVB सशक्तिकरण: एक नया अध्याय

खेल में सफलता अक्सर सही निवेश और रणनीतिक समर्थन का परिणाम होती है। FIVB का `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` कार्यक्रम इसी बात का जीता-जागता उदाहरण है। इस पहल के तहत, थाईलैंड वॉलीबॉल एसोसिएशन में कुल 210,000 अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया, विशेष रूप से पुरुष टीम को कोचिंग सहायता के लिए। इसमें 138,000 अमेरिकी डॉलर के उपकरण भी शामिल थे, जिसने खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएँ प्रदान कीं। इस महत्वपूर्ण यात्रा की कमान संभाले हुए हैं कोरियाई दिग्गज खिलाड़ी और अनुभवी कोच पार्क की-वोन, जिनके मार्गदर्शन में टीम ने उल्लेखनीय प्रगति की है। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह निवेश केवल धन का नहीं, बल्कि भविष्य की प्रतिभाओं को तराशने का था।

कैंडन से जकार्ता तक का सफर: उतार-चढ़ाव और संघर्ष

SEA V लीग 2025 का संस्करण दो रोमांचक चरणों में खेला गया। पहला चरण फिलीपींस के कैंडन में हुआ, जहाँ थाईलैंड ने धमाकेदार शुरुआत की। उन्होंने इंडोनेशिया, फिलीपींस और कंबोडिया को 3-1 के रिकॉर्ड से मात दी, केवल वियतनाम से चार सेट में हार का सामना करना पड़ा। इस चरण में थाईलैंड विजेता रहा, जो उनकी तैयारी और दृढ़ संकल्प का प्रमाण था।

दूसरा चरण इंडोनेशिया के जकार्ता में था। यहाँ भी थाईलैंड ने कंबोडिया पर चार सेट की जीत से शुरुआत की। हालांकि, वियतनाम ने एक बार फिर उन्हें कड़ी चुनौती दी और इस बार टाई-ब्रेकर में थाईलैंड को हार मिली। इसके बाद दो रोमांचक पांच-सेट के मुकाबले हुए। फिलीपींस के खिलाफ 3-2 की जीत के बाद, थाईलैंड का सामना मेज़बान इंडोनेशिया से हुआ, जो सीधे पहले स्थान के लिए निर्णायक मुकाबला था।

पाँच सेट के रोमांचक मुकाबले, जहाँ हर अंक के लिए संघर्ष होता है, कभी-कभी अंत में एक हल्की मुस्कान और दूसरे स्थान की संतुष्टि ही दे पाते हैं, भले ही जीत का स्वाद थोड़ा कड़वा क्यों न हो।

नतीजा और रैंकिंग: कौन कहाँ खड़ा रहा?

जकार्ता में पांच हज़ार से अधिक दर्शकों के सामने, इंडोनेशिया ने एक बेहद कड़ा मुकाबला 3-2 (27-29, 25-15, 25-23, 22-25, 15-13) से जीता। इस जीत के साथ इंडोनेशिया ने न केवल दूसरा चरण जीता, बल्कि 7-1 के रिकॉर्ड और 18 अंकों के साथ समग्र तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया। थाईलैंड 5-3 के रिकॉर्ड और 16 अंकों के साथ उपविजेता रहा, जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। वियतनाम 5-3 के रिकॉर्ड और 15 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा, जबकि फिलीपींस 3-5 के रिकॉर्ड और 8 अंकों के साथ चौथे स्थान पर रहा। SEA V लीग में नई टीम कंबोडिया 0-8 के रिकॉर्ड और 1 अंक के साथ तालिका में सबसे नीचे रही।

लीग के सितारे: MVP और ड्रीम टीम

इस लीग ने कई व्यक्तिगत प्रतिभाओं को भी उजागर किया। पहले टूर्नामेंट में थाईलैंड के 29 वर्षीय ऑपोजिट खिलाड़ी अमर्नतेप खोन्हान को मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर (MVP) का खिताब मिला। इस टूर्नामेंट की ड्रीम टीम में शामिल खिलाड़ी थे:

  • सेटर: जासेन नाटानाएल किलंटा (इंडोनेशिया)
  • ऑपोजिट: लियो ऑर्डियालेस (फिलीपींस)
  • आउटसाइड हिटर: गुयेन न्गोक थुआन (वियतनाम) और अरबी बॉय अरनेज़ (इंडोनेशिया)
  • मिडिल ब्लॉकर: किस्सादा निलसवाई (थाईलैंड) और ट्रान डुई तुयेन (वियतनाम)
  • लिबेरो: तनापत चारोएसुक (थाईलैंड)

दूसरे इवेंट में, MVP का पुरस्कार इंडोनेशिया के 21 वर्षीय आउटसाइड हिटर बॉय अरनेज़ अराबी को मिला। इस चरण की ड्रीम टीम में भी कुछ जाने-पहचाने नाम और कुछ नए चेहरे शामिल थे:

  • सेटर: जासेन नाटानाएल किलंटा (इंडोनेशिया)
  • ऑपोजिट: रिवान नूरमुल्की (इंडोनेशिया)
  • आउटसाइड हिटर: गुयेन न्गोक थुआन (वियतनाम)
  • मिडिल ब्लॉकर: ट्रान डुई तुयेन (वियतनाम) और किस्सादा निलसवाई (थाईलैंड)
  • लिबेरो: जोश यबानेज़ (फिलीपींस)

किस्सादा निलसवाई का दोनों ड्रीम टीमों में स्थान बनाना उनकी निरंतरता और उत्कृष्ट प्रदर्शन का स्पष्ट प्रमाण है।

भविष्य की ओर: सशक्तिकरण का प्रभाव

कुल मिलाकर, SEA V लीग 2025 थाईलैंड के लिए सिर्फ एक उपविजेता का खिताब नहीं था, बल्कि यह उनके वॉलीबॉल कार्यक्रम की बढ़ती ताकत का एक स्पष्ट संकेत था। FIVB के समर्थन और कोरियाई दिग्गज पार्क की-वोन जैसे कोच के मार्गदर्शन में, थाईलैंड की पुरुष वॉलीबॉल टीम निश्चित रूप से भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए तैयार है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे सही निवेश, कुशल कोचिंग और खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत, एक देश को वॉलीबॉल मानचित्र पर ऊपर ला सकती है। थाईलैंड की इस `सशक्त` यात्रा पर नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि वे अब केवल भाग लेने वाले नहीं, बल्कि पदक के दावेदार बन रहे हैं। यह सिर्फ एक टूर्नामेंट का अंत नहीं, बल्कि एक नए, सुनहरे वॉलीबॉल युग की शुरुआत है।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।