एक समावेशी खेल गाथा
बैंकाक की हलचल भरी राजधानी में, जहाँ 2025 FIVB महिला विश्व चैंपियनशिप की धूम मची हुई थी, एक कोने में खेल की एक अलग ही, मगर उतनी ही महत्वपूर्ण, कहानी बुनी जा रही थी। यह कहानी थी `वॉलीबॉल एक्सपीरियंस` की, एक ऐसा मंच जिसने साबित किया कि खेल केवल शारीरिक शक्ति का नाम नहीं, बल्कि जुनून, दृढ़ संकल्प और सबसे बढ़कर, समानता का प्रतीक है।
हुआमार्क इंडोर स्टेडियम के पास स्थित थाईलैंड के खेल प्राधिकरण में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में, थाईलैंड की पुरुष और महिला सिटिंग वॉलीबॉल टीमों ने हिस्सा लिया। “सिटिंग वॉलीबॉल” – जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इसमें खिलाड़ी बैठकर वॉलीबॉल खेलते हैं, यह पैरा-एथलीटों के लिए डिज़ाइन किया गया एक अद्भुत खेल है। इस “वॉलीबॉल एक्सपीरियंस” में कई इंटरैक्टिव इंस्टॉलेशन थे, लेकिन सबसे खास था सिटिंग वॉलीबॉल के लिए समर्पित एक कोर्ट। यहाँ, थाईलैंड पैरा-वॉली कोच प्रशंसकों को खेल के गुर सिखा रहे थे और उन्हें इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। एक खेल के दिग्गज, एक नए खिलाड़ी को सीधे जमीन पर बैठकर खेल की बारिकियां समझा रहे थे, यह दृश्य अपने आप में अद्भुत था।
सहायक कोच श्री-आईएम सक्कारत ने बड़े संतोष के साथ कहा, “वॉलीबॉल एक्सपीरियंस में सिटिंग वॉलीबॉल का होना समानता की भावना पैदा करता है। यह केवल गैर-विकलांग एथलीटों और प्रशंसकों के लिए ही नहीं है। पैरा-एथलीट और प्रशंसक भी इसमें आ सकते हैं। मुझे बहुत खुशी है कि पैरा-एथलीटों और प्रशंसकों के लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए एक जगह है।” यह बात सचमुच विचारणीय है। अक्सर मुख्यधारा के खेलों में पैरा-एथलीटों को वह मंच नहीं मिल पाता जिसके वे हकदार हैं, लेकिन बैंकाक ने इस मिथक को तोड़ दिया।
थाईलैंड की ये टीमें सिर्फ भागीदारी के लिए नहीं थीं, बल्कि उन्होंने अपनी असाधारण क्षमता का परिचय भी दिया है। महिला राष्ट्रीय टीम एशिया की मजबूत टीमों में से एक है, जबकि पुरुष टीम ने अक्टूबर में होने वाले सिटिंग वॉलीबॉल विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। चीन के हांग्जो में एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। दोनों ही टीमों ने एएसईएएन पैरा गेम्स में भी पोडियम फिनिश हासिल किया है, जो उनकी लगातार प्रगति को दर्शाता है। यह सिर्फ पदक नहीं, बल्कि उस अथक परिश्रम और अटूट भावना का प्रमाण है जो इन खिलाड़ियों के भीतर है। जब दुनिया उन्हें देखती है, तो वे केवल पैरा-एथलीट नहीं होते, बल्कि वे दृढ़ता और साहस के प्रतीक बन जाते हैं।
इन खिलाड़ियों ने सिर्फ अपने खेल का प्रदर्शन नहीं किया, बल्कि वे हुआमार्क इंडोर स्टेडियम में थाईलैंड और नीदरलैंड के बीच 2025 FIVB महिला विश्व चैंपियनशिप मैच देखने भी पहुंचे। उन्होंने अपनी घरेलू टीम का उत्साह बढ़ाया, यह दिखाते हुए कि खेल समुदाय में सभी एक-दूसरे के समर्थक हैं, चाहे वे किसी भी प्रारूप में खेलते हों। यह एक सुंदर एकजुटता का प्रदर्शन था, जहां हर खिलाड़ी दूसरे की जीत में अपनी जीत देखता है।
यह `वॉलीबॉल एक्सपीरियंस` सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था; यह एक संदेश था। एक ऐसा संदेश कि खेल किसी सीमा को नहीं पहचानता, और सच्ची खेल भावना हर एथलीट में जीवित रहती है, चाहे उसकी शारीरिक क्षमता कुछ भी हो। थाईलैंड ने इस आयोजन के माध्यम से समावेशिता, सम्मान और प्रेरणा का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह दिखाता है कि कैसे खेल न केवल शारीरिक कौशल को निखारते हैं, बल्कि समाज को एक साथ लाने और हर किसी को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाने का भी एक शक्तिशाली माध्यम हैं। उम्मीद है कि ऐसे प्रयास दुनिया भर में अन्य खेल आयोजनों के लिए एक मानक स्थापित करेंगे, जहां सभी के लिए समान अवसर हों और हर कहानी मायने रखती हो।