थाईलैंड में महिला वॉलीबॉल विश्व चैंपियनशिप: सशक्तिकरण की नई लहर ने गढ़ी इतिहास की नई इबारत!

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थाईलैंड में हाल ही में संपन्न हुई 2025 FIVB महिला वॉलीबॉल विश्व चैंपियनशिप (2025 FIVB Women`s Volleyball World Championship) सिर्फ़ एक खेल प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि यह वॉलीबॉल के भविष्य की एक रोमांचक झलक थी। इस टूर्नामेंट ने एक ऐसी क्रांति का प्रदर्शन किया, जिसके केंद्र में है FIVB का दूरदर्शी `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` (Volleyball Empowerment) कार्यक्रम। यह कार्यक्रम, जो खेल में नई प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें वैश्विक मंच पर लाने के लिए समर्पित है, ने इस बार कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। आमतौर पर, बड़े टूर्नामेंट में कुछ गिनी-चुनी टीमें ही हावी रहती हैं, लेकिन थाईलैंड की सरज़मीं पर कहानी कुछ और ही थी – यहाँ कमजोर समझी जाने वाली टीमों ने भी अपनी धाक जमाई!

वॉलीबॉल सशक्तिकरण: एक वैश्विक बदलाव

चैंपियनशिप में भाग लेने वाली 32 राष्ट्रीय टीमों में से 19 ऐसी थीं, जिन्हें `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` कार्यक्रम से प्रत्यक्ष सहायता मिली थी। इन टीमों का प्रदर्शन खेल के सर्वोच्च स्तर पर प्रतिस्पर्धा के संतुलन (competitive balance) का एक जीता-जागता प्रमाण था। ऐसा लग रहा था मानो वॉलीबॉल के पुराने दिग्गज अब अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने को मजबूर थे, क्योंकि मैदान में अब और भी कई दमदार दावेदार उतर चुके थे, जो किसी भी समय बड़े उलटफेर करने का माद्दा रखते थे। यह कार्यक्रम सिर्फ ट्रेनिंग और उपकरण उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं, बल्कि यह खिलाड़ियों और कोचों को मानसिक और रणनीतिक रूप से सशक्त कर रहा है।

राउंड ऑफ़ 16 तक का शानदार सफ़र

कार्यक्रम से समर्थित सात टीमों ने तो सीधे राउंड ऑफ़ 16 में जगह बनाकर सबको चौंका दिया! इनमें नीदरलैंड्स, थाईलैंड, कनाडा, स्लोवेनिया, जर्मनी, फ्रांस और डोमिनिकन रिपब्लिक शामिल थे। इन टीमों ने न केवल अपने पूल से आगे बढ़कर अपनी काबिलियत साबित की, बल्कि वॉलीबॉल के वैश्विक मानचित्र पर अपनी एक मजबूत उपस्थिति भी दर्ज कराई। यह दिखाता है कि सही समर्थन और मार्गदर्शन मिलने पर कोई भी टीम बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकती है।

पूल दर पूल, नई कहानियाँ:

  • पूल ए में थाईलैंड का दमख़म: मेजबान थाईलैंड (विश्व रैंकिंग 18) और नीदरलैंड्स (विश्व रैंकिंग 11) ने पूल ए से राउंड ऑफ़ 16 में प्रवेश किया। थाईलैंड ने मिस्र को 3-1 से और स्वीडन को 3-0 से हराकर शानदार शुरुआत की। उन्होंने नीदरलैंड्स जैसी मजबूत टीम को भी अपने घरेलू दर्शकों के सामने पांचवें सेट तक खींचा, जो उनकी बढ़ती ताकत का प्रतीक था। थाईलैंड की स्टार खिलाड़ी पिंपिचैया कोकरम (Pimpichaya Kokram) ने इन जीत में 19 और 23 अंक बनाकर अपनी अहमियत सिद्ध की। वहीं, स्वीडन की इसाबेल हाक (Isabelle Haak) ने मिस्र के खिलाफ 39 अंक बनाकर दिखाया कि छोटी टीमें भी विश्व की सर्वश्रेष्ठ टीमों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं, और खेल अब केवल शीर्ष 5-6 देशों का एकाधिकार नहीं रहा।

  • पूल बी में क्यूबा और स्लोवाकिया का संघर्ष: पूल बी से `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` समर्थित टीमों के लिए उत्साहजनक संकेत मिले। क्यूबा ने ओलंपिक और VNL चैंपियन इटली और बेल्जियम जैसी टीमों का सामना किया और बेहतरीन प्रदर्शन किया। स्लोवाकिया के खिलाफ 3-1 की जीत ने उनकी जुझारू क्षमता को रेखांकित किया। स्लोवाकिया ने भी बेल्जियम को हर सेट में बराबर की टक्कर दी और इटली को 25-20 और 25-18 तक खींचकर दिखाया कि वे यूरोपीय दिग्गजों को चुनौती देने में सक्षम हैं। ये वे टीमें हैं जो लगातार विकास कर रही हैं और वॉलीबॉल के परिदृश्य को अधिक प्रतिस्पर्धी बना रही हैं।

  • पूल सी में फ्रांस का उदय: विश्व रैंकिंग 21 पर काबिज फ्रांस ने पूल सी से राउंड ऑफ़ 16 में प्रवेश किया। उन्होंने प्यूर्टो रिको को 3-1 से हराया, जिसमें इमान नडियाए (Iman Ndiaye) ने 22 और कप्तान हेलेना काज़ोटे (Helena Cazaute) ने 21 अंक बनाए। इसके बाद, फ्रांस ने विश्व की नंबर 2 टीम ब्राजील को पांच सेट तक उलझाए रखा, जिसमें काज़ोटे ने 20 और नडियाए ने 18 अंक जुटाए। यह प्रदर्शन उनके सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत हुए विकास को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। प्यूर्टो रिको ने भी फ्रांस और ग्रीस के खिलाफ एक-एक सेट जीतकर अपनी छाप छोड़ी, जिससे यह साबित होता है कि हर मैच में अब अनिश्चितता का रोमांच है।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा: दिग्गजों के लिए एक चुनौती

इन परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि वॉलीबॉल सशक्तिकरण (Volleyball Empowerment) केवल कुछ खिलाड़ियों को आर्थिक मदद देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह खेल के मैदान पर एक गहरी और सकारात्मक बदलाव ला रहा है। अब विश्व चैंपियनशिप में कोई भी मैच `आसान` नहीं रहा। हर टीम, चाहे उसकी रैंकिंग कुछ भी हो, में बड़े उलटफेर करने की क्षमता दिख रही है। यह उन टीमों के लिए एक कड़ी चुनौती है जो दशकों से खेल पर हावी रही हैं, और उन दर्शकों के लिए एक उत्सव है जो अप्रत्याशित और रोमांचक खेल देखना चाहते हैं। यह वॉलीबॉल के लिए एक स्वस्थ संकेत है, जो इसे और अधिक वैश्विक अपील दे रहा है।

FIVB का यह कार्यक्रम वॉलीबॉल के वैश्विक परिदृश्य को फिर से परिभाषित कर रहा है। यह न केवल अधिक देशों को प्रतिस्पर्धी बनने के लिए प्रेरित कर रहा है, बल्कि प्रशंसकों के लिए भी खेल को और अधिक आकर्षक बना रहा है।

वॉलीबॉल का उज्ज्वल भविष्य

थाईलैंड में जो दिखा, वह सिर्फ शुरुआत है – महिला वॉलीबॉल का भविष्य अब पहले से कहीं अधिक उज्ज्वल और रोमांचक प्रतीत होता है, जहां हर टीम के पास इतिहास रचने का अवसर है। `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` कार्यक्रम ने खेल के विकास (Sports Development) में एक नई उम्मीद जगाई है, जिससे आने वाले समय में हमें और भी कई `अंडरडॉग` (underdog) कहानियाँ देखने को मिलेंगी, जहाँ छोटी टीमें बड़े नामों को चुनौती देकर विजय का परचम लहराएंगी। यह वास्तव में एक खेल क्रांति (Sports Revolution) है जो वॉलीबॉल को नए आयाम दे रही है।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।