थाईलैंड के दो महान वॉलीबॉल शिल्पकारों को FIVB ग्रैंड क्रॉस सम्मान: एक ऐतिहासिक पल जिसने एशियाई वॉलीबॉल को प्रेरित किया

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थाईलैंड के वॉलीबॉल दिग्गजों के अथक समर्पण और दूरदर्शिता को मिली वैश्विक पहचान: एक प्रेरणादायक यात्रा

बैंगकॉक, थाईलैंड – खेल जगत में कुछ कहानियां सिर्फ मैदान पर हुए प्रदर्शन तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि पर्दे के पीछे के उन नायकों के अथक समर्पण और दूरदृष्टि की गाथा भी होती हैं, जिन्होंने खेल को आकार दिया है। शनिवार को, बैंकॉक में आयोजित 2025 FIVB महिला वॉलीबॉल विश्व चैंपियनशिप के दौरान, थाईलैंड के दो ऐसे ही प्रभावशाली व्यक्तित्वों को खेल के सर्वोच्च सम्मानों में से एक, FIVB ग्रैंड क्रॉस से सम्मानित किया गया। ये वो दिग्गज हैं जिन्होंने न केवल थाईलैंड, बल्कि पूरे एशिया में वॉलीबॉल को एक नई पहचान और दिशा प्रदान की है।

थाईलैंड वॉलीबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष सोमपोर्न चाइबंगयांग और एशियाई वॉलीबॉल परिसंघ के मानद आजीवन उपाध्यक्ष शानरित वोंगप्रसेर्ट को यह प्रतिष्ठित सम्मान वॉलीबॉल के प्रति उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 2025 FIVB महिला वॉलीबॉल विश्व चैंपियनशिप पहली बार दक्षिण-पूर्व एशिया में आयोजित हो रही है, और ऐसे ऐतिहासिक अवसर पर इन दिग्गजों का सम्मान वाकई अविस्मरणीय है।

सोम्फोर्न चाइबंगयांग: थाईलैंड वॉलीबॉल का चमकता सितारा

75 वर्षीय सोमपोर्न चाइबंगयांग 2011 से थाईलैंड वॉलीबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं और हाल ही में उन्हें लगातार छठी बार इस पद के लिए चुना गया है। उनके गतिशील नेतृत्व में, थाईलैंड की महिला राष्ट्रीय टीम ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अभूतपूर्व सफलताएं अर्जित की हैं। उनकी सफलताएं देश के युवाओं को वॉलीबॉल में करियर बनाने और खेल के प्रति जुनून विकसित करने के लिए प्रेरित करती रही हैं। उनके प्रयासों से थाईलैंड वॉलीबॉल एसोसिएशन ने नई ऊंचाइयों को छुआ है, जिससे पूरे देश में इस खेल के अवसर बढ़े हैं। वर्तमान में, वे दक्षिण पूर्व एशिया वॉलीबॉल एसोसिएशन का भी नेतृत्व करते हैं और FIVB वॉलीबॉल नेशंस लीग काउंसिल के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं। 2025 विश्व चैंपियनशिप की सफल मेजबानी सुनिश्चित करना और अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों को तैयार करने वाले राष्ट्रीय युवा कार्यक्रमों का मार्गदर्शन करना उनकी वर्तमान जिम्मेदारियों में शामिल है। दशकों की कड़ी मेहनत और उसके शानदार परिणाम, क्या इससे बेहतर कोई कहानी हो सकती है जो सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक राष्ट्र के सपनों को परिभाषित करती हो?

शानरित वोंगप्रसेर्ट: खिलाड़ी से प्रशासक तक का महाकाव्य सफर

शानरित वोंगप्रसेर्ट का वॉलीबॉल में दशकों का अनुभव उन्हें एक जीवित किंवदंती बनाता है। उनका सफर एक खिलाड़ी के रूप में शुरू हुआ, जहाँ उन्होंने थाईलैंड की राष्ट्रीय टीम के लिए पहले एक आउटसाइड हिटर और बाद में एक सेटर के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। खेल करियर के समापन के बाद, उन्होंने विश्वविद्यालय, क्लब और राष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग प्रदान की, जिसके बाद वे प्रशासनिक भूमिकाओं में चले गए।

उन्होंने थाईलैंड वॉलीबॉल एसोसिएशन के महासचिव के रूप में 30 वर्षों तक असाधारण सेवा दी और 1992 में FIVB बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में शामिल हुए, साथ ही एशियाई वॉलीबॉल परिसंघ में भी कई वरिष्ठ पदों पर रहे। बाद में वे AVC के कार्यकारी निदेशक बने और एशियाई तथा थाईलैंड दोनों वॉलीबॉल संघों के मानद आजीवन अध्यक्ष नामित हुए। उनकी लंबी और समर्पित सेवा को 2019 में ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया के मेरिट अवार्ड से सम्मानित किया गया था, और 2023 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया, जिससे वे यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले थाई व्यक्ति बने। शायद, जब कोई व्यक्ति अपनी पूरी ज़िंदगी किसी एक खेल को समर्पित कर देता है, तो इतिहास उसे कभी नहीं भुला पाता, बल्कि एक मिसाल के तौर पर याद रखता है।

FIVB ग्रैंड क्रॉस: सर्वोच्च सम्मान की कसौटी

1998 में स्थापित FIVB ग्रैंड क्रॉस, उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने वॉलीबॉल और बीच वॉलीबॉल के विकास पर असाधारण और स्थायी प्रभाव डाला है। इस वर्ष का सम्मान समारोह FIVB अध्यक्ष फैबियो अज़ेवेडो के नेतृत्व में बैंकॉक के हुआमार्क स्टेडियम में एक विशेष आयोजन के रूप में सम्पन्न हुआ। यह पुरस्कार मात्र एक धातु का टुकड़ा नहीं है, बल्कि उन अनगिनत घंटों, अथक रणनीतियों और निस्वार्थ समर्पण का प्रतीक है जो इन दो महानुभावों ने वॉलीबॉल के उत्थान के लिए लगाए हैं। यह एक मौन स्वीकृति है कि महानता को पहचानने के लिए समय और धैर्य दोनों की आवश्यकता होती है।

एक ऐतिहासिक विश्व चैंपियनशिप और एक स्थायी विरासत

यह सम्मान 20वीं महिला विश्व चैंपियनशिप के दौरान प्रदान किया गया, जिसने विश्व स्तरीय टीमों को थाईलैंड के चार मेजबान शहरों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक साथ लाया है। यह टूर्नामेंट खेल के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ है, जो दक्षिण पूर्व एशियाई प्रशंसकों के अदम्य जुनून और शीर्ष स्तरीय अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को सफलतापूर्वक आयोजित करने की थाईलैंड की बढ़ती क्षमता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

चाइबंगयांग और वोंगप्रसेर्ट को मिली यह ऐतिहासिक पहचान थाईलैंड में एक सफल और यादगार विश्व चैंपियनशिप की शोभा और बढ़ा देती है। यह उनके खेल पर स्थायी प्रभाव और एशिया तथा दुनिया भर में वॉलीबॉल के उदय में थाईलैंड के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है। यह एक शक्तिशाली प्रेरणा है कि कैसे समर्पण, दूरदर्शिता और अथक प्रयास, न केवल व्यक्तिगत सफलता बल्कि पूरे देश और महाद्वीप के लिए गौरव, सम्मान और एक उज्जवल भविष्य ला सकते हैं।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।