पेशेवर टेनिस, अपनी चमक-दमक और सितारों से सजी दुनिया के पीछे, एक ऐसी थका देने वाली सच्चाई छुपाए हुए है जिस पर अब खुल कर बात होने लगी है। यह सच्चाई है एटीपी टूर का बेतहाशा व्यस्त कैलेंडर, जो खेल के सबसे बड़े नामों को भी घुटनों पर ला रहा है। हाल ही में, पूर्व विश्व नंबर 1 एंडी रॉडिक ने इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ बुलंद की है, और उनकी बातें केवल एक खिलाड़ी की शिकायत नहीं, बल्कि पूरे खेल के स्वास्थ्य पर एक गंभीर सवालिया निशान हैं। क्या हम खेल के नायकों से इतनी अपेक्षाएं रख रहे हैं कि वे टूट रहे हैं?
असंभव संतुलन की तलाश: क्यों चरमरा रहा है कैलेंडर?
कल्पना कीजिए एक ऐसी नौकरी की, जहाँ आपको साल के 11 महीने लगातार यात्रा करनी हो, हर हफ्ते शारीरिक और मानसिक रूप से चरम पर प्रदर्शन करना हो, और हर हार के बाद अगले पड़ाव की तैयारी करनी हो। यही पेशेवर टेनिस खिलाड़ियों की रोज़मर्रा की हकीकत है। रॉडिक का कहना है कि एटीपी कैलेंडर “बकवास” था और अब “बकवास से भी बदतर” होता जा रहा है। उनकी यह बात पूरी तरह से बेमानी नहीं है। इस खेल में कोई ऑफ-सीज़न नहीं, सिर्फ एक टूर्नामेंट से दूसरे टूर्नामेंट तक का छोटा सा सफर है।
बीते कुछ समय से, हमने देखा है कि कैसे टेनिस के चमकते सितारे भी इस अनवरत दौड़ के शिकार हो रहे हैं। कार्लोस अलकाराज़ जैसे युवा प्रतिभा को टूर्नामेंट से नाम वापस लेना पड़ता है, तो यानिक सिनर जैसे खिलाड़ी मैच के बीच में ही मैदान छोड़ने को मजबूर होते हैं। यह सिर्फ थकान नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक टूट का संकेत है। यह एक ऐसी विडंबना है जहाँ हम अपने नायकों को लगभग हर हफ्ते देखने की उम्मीद करते हैं, लेकिन यही उम्मीदें उन्हें अदृश्य रूप से कमज़ोर कर रही हैं।
खिलाड़ियों का अदृश्य संघर्ष: चमक के पीछे की सच्चाई
जब हम स्क्रीन पर इन खिलाड़ियों को ग्रैंड स्लैम या मास्टर्स 1000 का खिताब उठाते देखते हैं, तो उनकी लगन और प्रतिभा की दाद देते हैं। लेकिन उस जीत के पीछे छिपा है महीनों का कठोर प्रशिक्षण, अंतहीन यात्राएं, जेट लैग, और हर मैच में अपनी शारीरिक सीमाओं को धकेलने का दबाव। रॉडिक सही कहते हैं कि कोई भी खिलाड़ी 1 जनवरी से नवंबर के अंत तक लगातार हर हफ्ते चरम प्रदर्शन नहीं कर सकता। यह शारीरिक रूप से असंभव है, और मानसिक रूप से तो और भी ज़्यादा।
“यह सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक संघर्ष भी है। हर हफ्ते खुद को साबित करने का दबाव, हर हार के बाद उठ खड़ा होना… यह एक ऐसा चक्र है जो सबसे मज़बूत एथलीट को भी थका देता है।”
यह सिर्फ शीर्ष खिलाड़ियों की बात नहीं है। निचले रैंक के खिलाड़ियों के लिए तो यह संघर्ष और भी भीषण हो जाता है। उन्हें कम पुरस्कार राशि में ज़्यादा यात्रा करनी पड़ती है, और कभी-कभी तो चोटों के बावजूद खेलना पड़ता है ताकि वे रैंकिंग और कमाई बनाए रख सकें। यह एक ऐसा चक्र है जिससे बाहर निकलना बेहद मुश्किल है, और जो अंततः खेल की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
प्रशंसकों को चुकाना पड़ता है खामियाज़ा
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा नुकसान किसका होता है? रॉडिक के अनुसार, यह प्रशंसक हैं। जब शीर्ष खिलाड़ी थकान या चोट के कारण महत्वपूर्ण टूर्नामेंट से हट जाते हैं, तो प्रशंसक निराश होते हैं। वे अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को देखने के लिए टिकट खरीदते हैं, यात्रा करते हैं, और जब उन्हें “बी” या “सी” टीम का प्रदर्शन देखने को मिलता है, या फिर सितारे आधे मैच में ही बाहर हो जाते हैं, तो उनका दिल टूटता है। यह न सिर्फ खेल की गुणवत्ता पर असर डालता है, बल्कि खेल के प्रति उनके उत्साह को भी कम करता है। क्या यह विडंबना नहीं कि जिस खेल के सितारे दुनिया भर में सबसे ज़्यादा यात्रा करते हैं, वही सितारे अक्सर मैदान पर अनुपस्थित पाए जाते, जबकि दर्शक उन्हें सबसे ज़्यादा देखना चाहते हैं?
आगे का रास्ता: संतुलन की ज़रूरत
तो क्या किया जा सकता है? रॉडिक का मानना है कि संतुलन खोजना ज़रूरी है। यह आसान नहीं होगा। एटीपी के पास अपने वित्तीय और व्यावसायिक हित हैं। प्रायोजक, प्रसारक, और टूर्नामेंट आयोजक सभी एक व्यस्त कैलेंडर से लाभान्वित होते हैं। लेकिन अगर खेल के सबसे महत्वपूर्ण घटक – खिलाड़ी – ही थक कर चूर हो जाएंगे, तो यह दीर्घकालिक रूप से किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं होगा। यह एक ऐसा निवेश है जो अंततः खेल को ही मज़बूत करेगा।
कुछ संभावित समाधान जिन पर विचार किया जा सकता है:
- छोटे सीज़न: क्या सीज़न की अवधि को कुछ हफ्तों तक कम किया जा सकता है, जिससे खिलाड़ियों को उचित ऑफ-सीज़न मिल सके?
- अनिवार्य ब्रेक: खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य ऑफ-सीज़न या बीच सीज़न में आराम की अवधि तय करना, जिसे वे छोड़ न सकें।
- टूर्नामेंटों का युक्तिकरण: कुछ टूर्नामेंटों को हटाया जा सकता है या उनकी आवृत्ति कम की जा सकती है, खासकर उन आयोजनों की जो एक-दूसरे के बेहद करीब होते हैं।
- खिलाड़ी प्रतिनिधिमंडल की मज़बूती: खिलाड़ियों की आवाज़ को और मज़बूत करना ताकि कैलेंडर निर्धारण में उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सके।
यह समय है जब एटीपी, खिलाड़ियों और अन्य हितधारकों को मिलकर एक ऐसा समाधान खोजना होगा जो न केवल खेल की व्यावसायिक ज़रूरतों को पूरा करे, बल्कि उन एथलीटों के स्वास्थ्य और कल्याण को भी प्राथमिकता दे जो इस खेल को इतना रोमांचक बनाते हैं। आखिरकार, हम उन मशीनों को देखने के लिए नहीं आते हैं जो हर रोज़ खराब हो जाती हैं, बल्कि उन असाधारण इंसानों को देखने के लिए आते हैं जो खेल की सीमाओं को आगे बढ़ाते हैं और हमें मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
एंड्रयू रॉडिक की तीखी आलोचना एक वेक-अप कॉल है। पेशेवर टेनिस एक चौराहे पर खड़ा है। या तो यह अपने खिलाड़ियों को अत्यधिक दबाव में जलाकर राख कर दे, या फिर एक टिकाऊ मॉडल अपनाए जो खिलाड़ियों के करियर को लंबा करे और प्रशंसकों को उच्चतम स्तर का खेल लगातार देखने को मिले। चुनाव एटीपी के हाथों में है, और इस चुनाव का असर पूरे खेल के भविष्य पर पड़ेगा।