टेनिस की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो केवल रिकॉर्ड्स तक सीमित नहीं रहते, बल्कि एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित करते हैं। इन्हीं में से एक नाम है ब्योर्न बोर्ग। वह `आइसमैन` जिसने कोर्ट पर अपनी शांत, अचूक खेल शैली से प्रतिद्वंद्वियों को पस्त किया और लगातार 11 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते, जिनमें 6 रोलैंड गैरोस और 5 विंबलडन शामिल हैं। लेकिन, कोर्ट के बाहर की दुनिया अक्सर उतनी ही जटिल और अप्रत्याशित होती है जितनी कि कोर्ट के अंदर की। हाल ही में, बोर्ग ने अपनी आत्मकथा `बैटिटी` (Battiti) में अपने जीवन के कुछ ऐसे पन्नों को पलटा है, जो हमें इस टेनिस सुपरस्टार के भीतर छिपी एक बिल्कुल अलग कहानी बताते हैं – एक ऐसी कहानी जो सफलता, पतन और फिर वापसी की गाथा है।
रॉकस्टार जीवनशैली का स्याह सच
अस्सी के दशक में, जब बोर्ग ने टेनिस को अलविदा कहा, तब उन्हें खेल का पहला रॉकस्टार माना जाता था। उनकी लोकप्रियता और शैली अभूतपूर्व थी। लेकिन, इस चकाचौंध भरी छवि के पीछे एक गहरा अवसाद और लत का अंधेरा छिपा था। उनकी आत्मकथा में वह बेबाकी से स्वीकार करते हैं कि 1989 में मिलान में उनका जीवन ड्रग्स, शराब और गलत रिश्तों के एक भंवर में फंस गया था।
“मैं खुद को पार्टियों और नशीली दवाओं से सुन्न कर लेता था,” बोर्ग कहते हैं। “मैं अवसाद में था, मुझे घबराहट के दौरे पड़ते थे। मुझे अकेले रहने से डर लगता था, और मैं एक के बाद एक रिश्तों में उलझता चला गया।”
यह चौंकाने वाला खुलासा हमें याद दिलाता है कि सार्वजनिक हस्तियों का जीवन, चाहे कितना भी शानदार क्यों न लगे, अंदर से कितना खोखला हो सकता है। यह शायद एक विडंबना ही है कि जिस व्यक्ति ने कोर्ट पर इतनी सटीकता और नियंत्रण का प्रदर्शन किया, वह अपने निजी जीवन में इतना बेकाबू हो गया था।
जीवनरक्षक: लोरेंना बर्टे
बोर्ग की इस अंधेरी यात्रा में, एक नाम चमकता है – इतालवी गायिका लोरेंना बर्टे। बोर्ग उन्हें अपना जीवनरक्षक मानते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे बर्टे ने उन्हें अचेत अवस्था में बिस्तर पर पाया और तुरंत एम्बुलेंस बुलाई, जिससे अस्पताल में गैस्ट्रिक लैवेज (पेट धोना) द्वारा उनकी जान बचाई गई। इबीसा में उनकी मुलाकात हुई और फिर बोर्ग मिलान चले गए, लेकिन मिलान उनके लिए “आपदा” साबित हुआ। बर्टे बच्चे चाहती थीं, और बोर्ग ने वीर्य भी जमा करवाया, लेकिन अंततः उन्हें एहसास हुआ कि खुद को बचाने के लिए उन्हें उस माहौल और उस रिश्ते से दूर जाना होगा। यह फैसला, उनके जीवन का सबसे कठिन, पर शायद सबसे महत्वपूर्ण निर्णय था।
26 साल की उम्र में संन्यास: एक रहस्यमय पलायन
1981 में जॉन मैकनरो से हारने के बाद, बोर्ग ने मात्र 26 साल की उम्र में टेनिस से संन्यास ले लिया था। उस समय यह फैसला दुनिया भर के खेल प्रेमियों के लिए एक रहस्य बना रहा। अब, वह स्वीकार करते हैं कि यह “एक पलायन” था।
“मैकनरो से हारने के बाद, मैं घर में बंद हो गया,” बोर्ग याद करते हैं। “मैंने बीयर के क्रेट के साथ बगीचे को पार किया और तय किया कि यह सब खत्म हो गया है। मुझे अब कोर्ट पर कोई खुशी महसूस नहीं हो रही थी, लेकिन बाहर मैं कोई नहीं था।”
एक ऐसा खिलाड़ी जिसने शीर्ष पर रहते हुए खेल को अलविदा कहा, उसके ये शब्द यह दिखाते हैं कि बाहरी सफलता कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर आंतरिक शांति न हो तो सब व्यर्थ है। बाद में उन्होंने संक्षिप्त वापसी की कोशिश की, लेकिन पुरानी लकड़ी की रैकेट के साथ नई ग्राफाइट पीढ़ी के सामने टिक नहीं पाए। यह उनकी दृढ़ता का प्रतीक भी था, पर शायद गलत समय पर गलत चुनाव।
वर्तमान टेनिस पर बोर्ग की बेबाक राय: सिनर और डोपिंग विवाद
अपने निजी जीवन के खुलासों के अलावा, बोर्ग ने वर्तमान टेनिस और इटली के उभरते सितारे जैनिक सिनर पर भी अपनी राय रखी है। बोर्ग अमेरिकी शेल्टन और अंग्रेजी ड्रेपर को कोचिंग देना चाहेंगे।
जैनिक सिनर के बारे में, बोर्ग की राय सकारात्मक है, लेकिन एक सवाल के साथ।
“सिनर? उनके पास पहले से ही एक बेहतरीन टीम और एक मजबूत परिवार है,” बोर्ग कहते हैं। “वह गंभीर, दृढ़ निश्चयी, उग्र है, और वह और स्लैम जीतेगा। मुझे कोई खतरा नहीं दिखता सिवाय चोट के।” वह इतालवी टेनिस की भी प्रशंसा करते हैं, जैसे मुसेटी के शानदार बैकहैंड और कोबोली की गहराई।
हालांकि, सिनर से जुड़ा एक और मुद्दा है जिस पर बोर्ग ने टिप्पणी की – क्लोस्टेबोल डोपिंग मामला। बोर्ग ने इस बात पर हैरानी जताई कि सिनर ने अपने एथलेटिक ट्रेनर को बर्खास्त करने के बाद, सब कुछ शांत होने पर उन्हें फिर से क्यों नियुक्त किया।
“मुझे यह बहुत अजीब लगता है। मुझे इससे ज्यादा नहीं पता,” उन्होंने कहा।
डोप्पिंग के खिलाफ अपने सख्त रुख को दोहराते हुए, बोर्ग का मानना है कि ऐसे मामलों में आजीवन प्रतिबंध लगना चाहिए। यह टिप्पणी सिनर के करियर के लिए एक संवेदनशील बिंदु है, जिसे बोर्ग जैसे दिग्गज के मुंह से सुनकर टेनिस समुदाय में फिर से चर्चा छिड़ सकती है। यह दिखाता है कि बोर्ग, भले ही अपने अतीत से गुजरे हों, खेल की ईमानदारी के प्रति अभी भी उतने ही प्रतिबद्ध हैं।
एक यात्रा, जो महानता से शून्य तक ले जाती है
अपनी पत्नी पेट्रीसिया के साथ लिखी गई इस आत्मकथा में, बोर्ग अपनी गलतियों, नुकसानों, बीमारी (प्रोस्टेट कैंसर के लिए उनका ऑपरेशन हुआ था) और अपने अस्तित्व संबंधी पुनर्समायोजन का भी सामना करते हैं। उनका निष्कर्ष मार्मिक है:
“कोई भी व्यक्ति महानता के शिखर से शून्य तक के सफर में अछूता नहीं रहता।”
ब्योर्न बोर्ग की कहानी सिर्फ टेनिस कोर्ट पर उनकी शानदार जीतों की कहानी नहीं है, बल्कि यह मानव आत्मा के लचीलेपन, आंतरिक राक्षसों से लड़ने और अंततः शांति खोजने की भी कहानी है। यह हमें याद दिलाती है कि सबसे बड़े नायक भी इंसान होते हैं, गलतियाँ करते हैं, गिरते हैं, लेकिन साहस और समर्थन से उठ खड़े होते हैं। उनकी बेबाकी न केवल उनके अतीत पर प्रकाश डालती है, बल्कि खेल और जीवन में पारदर्शिता की आवश्यकता पर भी जोर देती है।