शतरंज की दुनिया में इन दिनों एक नई धुन सुनाई दे रही है। यह धुन सिर्फ दिग्गजों के दांव-पेंच की नहीं, बल्कि युवा प्रतिभाओं के बढ़ते कदम और रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन की है। उज़्बेकिस्तान के समरकंद शहर में आयोजित होने वाला ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट (Grand Swiss Tournament) इसी बदलती तस्वीर का एक महत्वपूर्ण अध्याय बनने जा रहा है। यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि पीढ़ियों के टकराव का गवाह होगा, जहाँ युवा ऊर्जा अनुभवी ज्ञान को चुनौती देगी।
शतरंज में सफलता की घटती उम्र: क्या यह अब `बच्चों का खेल` है?
कभी वह समय था जब 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर (Grandmaster) बनना भी एक असाधारण उपलब्धि मानी जाती थी। बॉबी फिशर ने 1958 में जब 15 साल और छह महीने की उम्र में यह खिताब हासिल किया, तो दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी थीं। लेकिन आज, यह रिकॉर्ड लगातार टूटते जा रहे हैं। जुडिट पोल्गर ने इसे 1991 में, रुसलान पोनोमारियोव ने, फिर कारजाकिन ने, और अंततः 2021 में अभिमन्यु मिश्रा ने मात्र 12 साल और चार महीने की उम्र में यह खिताब हासिल कर एक नया इतिहास रच दिया। कल्पना कीजिए, लगभग 50 वर्षों में सफलता की उम्र 15 से घटकर सिर्फ 12 साल रह गई है! यह कोई सामान्य बदलाव नहीं, बल्कि एक क्रांति है।
हाल के वर्षों में, भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश (D. Gukesh) ने 18 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनकर सबको चौंका दिया, जबकि 17 साल की उम्र में वे 2750 एलो रेटिंग (ELO Rating) पार करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन चुके थे। तुर्की के यागिज़ कान एर्दोगमुश (Yağız Kaan Erdoğmuş) ने 13 साल की उम्र से पहले ही 2600+ रेटिंग पार कर ली। दस साल की बोधना शिवानंदन (Bodhana Sivanandan) ने एक ग्रैंडमास्टर को हराकर WIM (Woman International Master) का खिताब जीता, वहीं 10 साल की कीया इहा (Keya Iha) ने भी एक GM को मात दी। क्या शतरंज, जो कभी `दिग्गजों का खेल` मानी जाती थी, अब सचमुच `बच्चों के खेलने का मैदान` बनती जा रही है?
युवा प्रतिभाओं के उदय के पीछे के कारण
शतरंज में इस उम्र-घटते सफलता के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, कम उम्र से ही प्रशिक्षण का मिलना। आज के युवा खिलाड़ी बहुत छोटी उम्र से ही विश्व स्तरीय कोचिंग और सुविधाओं से लैस होते हैं। दूसरा, परिवार और राज्य का समर्थन। कई देशों में शतरंज प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाते हैं। तीसरा, समर्पण और योजना। इन युवा खिलाड़ियों में सीखने और सुधार करने का अविश्वसनीय समर्पण होता है। और चौथा, शायद सबसे महत्वपूर्ण, कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आगमन। शतरंज इंजन और डेटाबेस ने प्रशिक्षण के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे खिलाड़ी कम समय में अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और अपनी गलतियों को तुरंत सुधार सकते हैं। यह सब मिलकर शतरंज के खेल को तेजी से विकसित कर रहा है और युवा पीढ़ी को नए क्षितिज छूने में मदद कर रहा है।
समरकंद में उभरते सितारे: पुरुष वर्ग
ग्रैंड स्विस समरकंद में कई युवा धुरंधर अपनी छाप छोड़ने को तैयार हैं। इन पर दुनिया भर की निगाहें टिकी होंगी:
- वोलोडार मुर्जिन (Volodar Murzin – 2678, 17 वर्ष): 2022 में ग्रैंडमास्टर बने, उन्होंने विश्व रैपिड चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
- रौनक साधवानी (Raunak Sadhwani – 2676, 19 वर्ष): यह भारतीय विलक्षण प्रतिभा 13 साल की उम्र में जीएम बने थे और लगातार शीर्ष स्तर के आयोजनों में बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हैं।
- यागिज़ कान एर्दोगमुश (Yağız Kaan Erdoğmuş – 2642, 14 वर्ष): वे 12 साल और 10 महीने में जीएम बने, जो इतिहास में चौथे सबसे कम उम्र के हैं। 2600 एलो अंक पार करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है। हाल ही में उन्होंने महान पीटर स्वीडलर को हराया, जिससे वे दुनिया के शीर्ष 100 खिलाड़ियों में शामिल हो गए।
- अभिमन्यु मिश्रा (Abhimanyu Mishra – 2610, 15 वर्ष): वे शतरंज इतिहास के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर हैं, जिन्होंने 12 साल, चार महीने और 25 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की। समरकंद में उन्हें अपनी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता की तलाश होगी।
- मार्क`एंड्रिया मॉरिज़ी (Marc`Andria Maurizzi – 2604, 18 वर्ष): 2023 के विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप के विजेता, इन्होंने हाल के कई शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में शानदार प्रदर्शन किया है।
- प्रणव वेंकटेश (Pranav Venkatesh – 2597, 18 वर्ष): मौजूदा जूनियर विश्व शतरंज चैंपियन, वे खास तौर पर कम समय-नियंत्रण वाले खेलों में बेहद खतरनाक माने जाते हैं।
- इहोर समुनेंकोव (Ihor Samunenkov – 2548, 16 वर्ष): यह यूक्रेनी प्रतिभा 14 साल की उम्र में जीएम बने और U-12 विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीत चुके हैं। यह उनका दूसरा ग्रैंड स्विस है, जिसमें वे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं।
- मुखिद्दीन मदामाइनोव (Mukhiddin Madaminov – 2560, 18 वर्ष): उज़्बेकिस्तान की यह उम्मीद 2023 में भारतीय जीएम गांगुली को सिर्फ आठ चालों में मात देकर सुर्खियों में आए थे। घरेलू मैदान पर उनका प्रदर्शन देखने लायक होगा।
समरकंद में उभरती सितारे: महिला वर्ग
महिला ग्रैंड स्विस में भी युवा शक्ति का बोलबाला है। कई स्थापित युवा खिलाड़ियों के साथ-साथ, कुछ नई प्रतिभाएं भी चमक बिखेरने को तैयार हैं:
- बिबिसारा असौबायेवा (Bibisara Assaubayeva – 21 वर्ष): कजाकिस्तान की दो बार की महिला विश्व ब्लिट्ज़ चैंपियन।
- वैशाली रमेशबाबू (Vaishali Rameshbabu – 24 वर्ष): 2023 ग्रैंड स्विस की विजेता, भारत की यह खिलाड़ी अपने शानदार फॉर्म में हैं।
- लेया गरिफुलिना (Leya Garifullina – 2477, 20 वर्ष): U-16 विश्व चैंपियन रह चुकी हैं और महिला अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में लगातार सफल रही हैं।
- थियोडोरा इंजैक (Teodora Injac – 2455, 25 वर्ष): सर्बिया की खिलाड़ी, जिन्होंने 2025 में महिला यूरोपीय शतरंज चैंपियनशिप जीती और सर्बिया की मौजूदा शतरंज चैंपियन हैं।
- लू मियाओई (Lu Miaoyi – 2439, 15 वर्ष): चीन की उभरती प्रतिभा, जो दुनिया की दूसरी शीर्ष जूनियर लड़की हैं और मौजूदा चीनी महिला राष्ट्रीय चैंपियन भी हैं।
- अफ्रुज़ा खामदामोवा (Afruza Khamdamova – 2409, 18 वर्ष): उज़्बेकिस्तान की यह खिलाड़ी 2023 और 2024 में विश्व युवा चैंपियन रह चुकी हैं, और अपने देश की पहली महिला हैं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।
- नुरगुल सालिमोवा (Nurgyul Salimova – 2385, 22 वर्ष): 2023 विश्व कप के फाइनल में पहुंचकर इन्होंने 2024 कैंडिडेट्स के लिए क्वालिफाई किया था।
ग्रैंड स्विस की विरासत और शतरंज का भविष्य
हर दो साल में आयोजित होने वाला ग्रैंड स्विस दुनिया के कुछ सबसे मजबूत शतरंज खिलाड़ियों को एक मंच पर लाता है। यह टूर्नामेंट न केवल विश्व चैंपियन कैंडिडेट बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह खेल के बदल रहे स्वरूप का भी दर्पण है। युवा पीढ़ी की यह अदम्य ऊर्जा और निर्भीक खेल शैली, अनुभवी खिलाड़ियों के सधे हुए और परिपक्व खेल के साथ मिलकर शतरंज को और भी रोमांचक बना रही है। समरकंद में होने वाला यह महासंग्राम केवल कुछ रिकॉर्ड ही नहीं तोड़ेगा, बल्कि शतरंज के भविष्य की दिशा भी तय करेगा। एक बात तो तय है: शतरंज अब सिर्फ `दिमागी कसरत` नहीं, बल्कि `गति, सटीकता और युवा साहस` का एक अद्भुत मिश्रण बनती जा रही है।
यह ग्रैंड स्विस हमें यह देखने का मौका देगा कि क्या यह युवा लहर अनुभव के चट्टानों को तोड़ पाएगी, या अनुभव अभी भी अपनी पकड़ बनाए रखेगा। लेकिन एक बात निश्चित है – शतरंज का भविष्य पहले से कहीं अधिक उज्ज्वल और ऊर्जावान दिख रहा है।