शतरंज, दिमागी कसरत का वह खेल जहाँ हर चाल सोच-समझकर चली जाती है, अब समय की कसौटी पर खरा उतरने की तैयारी कर रहा है। विश्व शतरंज महासंघ (FIDE) ने एक महत्वाकांक्षी पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की है, जिसका नाम है “फास्ट क्लासिक”। इस पहल का मकसद है ऐसे टूर्नामेंट्स को मानक रेटिंग सूची में शामिल करना जहाँ समय नियंत्रण थोड़ा कम हो। यह कदम उस पुरानी सोच को चुनौती दे रहा है कि क्लासिक शतरंज केवल लंबे प्रारूपों में ही खेला जा सकता है।
समय के साथ तालमेल: क्यों `फास्ट क्लासिक` की ज़रूरत पड़ी?
आधुनिक जीवनशैली में हर चीज़ तेज़ी से बदल रही है। लोगों के पास अब घंटों एक ही खेल पर टिके रहने का समय कम होता जा रहा है। शतरंज खिलाड़ी और आयोजक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि खेल के क्लासिक सार को बनाए रखते हुए, इसे थोड़ा फुर्तीला बनाया जाए। FIDE ने इस ज़रूरत को समझा है और इसी के परिणामस्वरूप “फास्ट क्लासिक” की अवधारणा सामने आई है। अब सवाल यह है कि क्या यह “फास्ट” क्लासिक, खिलाड़ियों को अपनी गहरी रणनीतिक सोच को उसी कुशलता से प्रदर्शित करने का मौका देगा, या फिर यह सिर्फ एक और तेज़-तर्रार प्रारूप बन जाएगा? समय ही बताएगा, लेकिन प्रयोग जारी है!
वर्तमान मानक रेटिंग नियम: एक नज़र
आज की तारीख़ में, किसी मैच को मानक रेटिंग के लिए योग्य होने के लिए, समय नियंत्रण खिलाड़ियों की रेटिंग पर निर्भर करता है (यह मानते हुए कि खेल 60 चालों तक चलेगा):
- यदि कम से कम एक खिलाड़ी की रेटिंग 2400 या उससे अधिक है: प्रति खिलाड़ी 120 मिनट।
- यदि कम से कम एक खिलाड़ी की रेटिंग 1800 या उससे अधिक है: प्रति खिलाड़ी 90 मिनट।
- यदि दोनों खिलाड़ी 1800 से कम रेटेड हैं: प्रति खिलाड़ी 60 मिनट।
यह स्पष्ट है कि पारंपरिक क्लासिक खेल काफी समय लेते हैं, जो एक दिन में सीमित संख्या में राउंड की अनुमति देता है।
पायलट प्रोजेक्ट: भविष्य की एक झलक
पायलट प्रोजेक्ट के तहत, FIDE ने तीन टूर्नामेंट्स को चुना है जहाँ “फास्ट क्लासिक” नियम लागू होंगे। इन मैचों का समय नियंत्रण 45 मिनट प्रति खिलाड़ी, साथ में प्रति चाल 30 सेकंड का इंक्रीमेंट (पहली चाल से शुरू होकर) होगा। इन रोमांचक टूर्नामेंट्स के परिणाम खिलाड़ियों की मानक रेटिंग में गिने जाएंगे।
शामिल टूर्नामेंट्स हैं:
- कतर कप (7-13 सितंबर)
- क्यूसीए ट्रेनिंग सेंटर सितंबर टूर्नामेंट क्लासिकल (25-27 सितंबर)
- महिला विश्व टीम चैम्पियनशिप (17-24 नवंबर)
हालांकि, इन आयोजनों के लिए कुछ विशेष शर्तें भी हैं:
- कोई भी `टाइटल नॉर्म्स` (जैसे GM या IM) प्रदान नहीं किए जाएंगे।
- आयोजक एक दिन में दो से अधिक राउंड निर्धारित नहीं कर सकते।
यह सुनिश्चित करने के लिए है कि प्रयोग नियंत्रित वातावरण में हो और इसका पूरी तरह से मूल्यांकन किया जा सके।
विचार के पीछे कौन?
“फास्ट क्लासिक” का मूल विचार ओलेग स्क्वोर्त्सोव द्वारा प्रस्तावित किया गया था। वह एक प्रसिद्ध शतरंज संरक्षक और ज्यूरिख शतरंज चैलेंज (2012-2017) के आयोजक रहे हैं। उन्होंने ऐसे आयोजनों का सुझाव दिया था जहाँ राउंड 2 से 3 घंटे तक चलें, जिससे एक ही दिन में दो राउंड खेलना संभव हो सके। यह वाकई एक दूरदर्शी सोच थी, जिसने अब आकार लेना शुरू कर दिया है।
आगे क्या? FIDE का जिम्मेदार दृष्टिकोण
FIDE इस मामले की गंभीरता को समझता है और पूरी जिम्मेदारी के साथ इसे आगे बढ़ा रहा है। ये पायलट इवेंट्स वास्तविक दुनिया के परीक्षण के रूप में काम करेंगे। इनके समापन के बाद, FIDE परिणामों का गहन विश्लेषण करेगा और प्रतिभागियों से प्रतिक्रिया एकत्र करेगा। उसके बाद ही, इसे व्यापक रूप से लागू करने या इसमें बदलाव करने पर कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह पहल शतरंज के खेल को और अधिक सुलभ और आकर्षक बनाती है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास पारंपरिक क्लासिक प्रारूपों के लिए पर्याप्त समय नहीं है। क्या यह शतरंज को एक नई पीढ़ी के खिलाड़ियों और प्रशंसकों से जोड़ेगा? यह एक ऐसा बदलाव है जो शतरंज के बोर्ड पर समय की चाल को परिभाषित कर सकता है।
