शंघाई, चीन — टेनिस की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो समय और परिस्थितियों की बेड़ियों को तोड़ देते हैं। नोवाक जोकोविच उन्हीं में से एक हैं। हाल ही में शंघाई मास्टर्स में, उन्होंने न केवल अपनी असाधारण खेल क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि उन्होंने यह भी साबित किया कि उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है, और खेल के प्रति जुनून ही असली ईंधन है। मारिन सिलिच के साथ मिलकर, उन्होंने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसने खेल प्रेमियों को सोचने पर मजबूर कर दिया – मास्टर्स इतिहास का सबसे उम्रदराज मैच।
उम्र का रिकॉर्ड और अदम्य भावना
जब जोकोविच और सिलिच ने शंघाई के कोर्ट पर कदम रखा, तो दोनों की कुल उम्र 75 साल थी। यह आंकड़ा अपने आप में एक कहानी कहता है। यह दो दिग्गजों की कहानी है, जो दशकों से अपनी कला को निखार रहे हैं, और आज भी युवा प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जोकोविच ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “खेल से पहले मैंने और मारिन ने अपनी कुल उम्र के बारे में सोचा: 75 साल। यह बहुत ज्यादा है। उम्मीद है कि हम और मैच खेलेंगे और शायद और रिकॉर्ड तोड़ेंगे।”
यह सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ना नहीं है; यह एक संदेश है। एक संदेश कि समर्पण और निरंतर प्रयास से, आप अपनी शारीरिक सीमाओं को भी पार कर सकते हैं। जोकोविच के अनुसार, उन्होंने और सिलिच ने “आज ऐसे खेला जैसे हम 15 साल छोटे हों।” यह सिर्फ एक आत्मविश्वासपूर्ण बयान नहीं, बल्कि उनकी शारीरिक फिटनेस और मानसिक दृढ़ता का प्रमाण है। कोर्ट पर, उनका एकमात्र लक्ष्य होता है जीत का रास्ता खोजना, फिर चाहे प्रतिद्वंद्वी कोई भी हो या उम्र का कोई भी पड़ाव हो।
शंघाई की `पागल` आर्द्रता: एक अनदेखी चुनौती
शंघाई मास्टर्स सिर्फ प्रतिद्वंद्वियों की चुनौती लेकर नहीं आया, बल्कि अप्रत्याशित पर्यावरणीय बाधाएं भी लाया। जोकोविच ने खुद स्वीकार किया, “ईमानदारी से कहूं तो, यहां बस पागलपन भरी आर्द्रता है। मुझे याद नहीं कि चीन में ऐसा कभी हुआ हो।” कल्पना कीजिए, विश्व के एक शीर्ष एथलीट के लिए ऐसी स्थितियां कितनी चुनौतीपूर्ण होती होंगी, जब पसीना लगातार बहता हो और हवा में नमी की वजह से सांस लेना भी मुश्किल लगे।
लेकिन जोकोविच जैसे खिलाड़ी ऐसी चुनौतियों से घबराते नहीं। उनका रवैया सीधा है: “यह मेरे, प्रतिद्वंद्वी और बाकी सभी के लिए समान है। इसे स्वीकार करना होगा और स्थिति से निपटना होगा।” इस व्यावहारिकता के बीच, उनकी विनोदप्रियता भी देखने को मिली। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “बहुत पसीना बहाना पड़ता है, इसलिए इस हफ्ते लॉन्ड्री का बिल बहुत ज्यादा आएगा।” यह उनकी क्षमता का प्रतीक है कि वे कठिन परिस्थितियों में भी हल्का-फुल्का रहने का रास्ता खोज लेते हैं, जबकि अंदर ही अंदर वे अगले बिंदु के लिए अपनी रणनीति बना रहे होते हैं।
चीनी प्रशंसकों का प्यार: एक गहरा रिश्ता
खेल के मैदान पर सिर्फ रैकेट और गेंद की ही बात नहीं होती; यह जुड़ाव और भावनाओं का भी खेल है। जोकोविच का चीनी प्रशंसकों के साथ रिश्ता इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने कहा, “मुझे अपनी चीनी भाषा और ज्ञान को ताज़ा करने की ज़रूरत है। ऐसे भावुक दर्शकों के सामने खेलना हमेशा खुशी की बात होती है।”
जोकोविच ने दशकों से चीनी दर्शकों का अपार प्यार और समर्थन प्राप्त किया है, और वे इसे अच्छे टेनिस और कुछ बुनियादी चीनी वाक्यांशों के माध्यम से चुकाने की कोशिश करते हैं। मैच के दौरान खचाखच भरी गैलरी देखकर वे अभिभूत थे। यह दर्शाता है कि कैसे एक खिलाड़ी अपनी वैश्विक अपील और व्यक्तिगत प्रयासों से भौगोलिक सीमाओं को लांघकर दिलों में जगह बना सकता है। शंघाई का स्टेडियम, जिसे जोकोविच ने टूर के सबसे खूबसूरत स्टेडियमों में से एक बताया, उनके लिए सिर्फ एक खेलने की जगह नहीं, बल्कि प्रशंसकों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव का मंच है।
पहला पड़ाव पार: आगे की राह
मारिन सिलिच के खिलाफ मैच निश्चित रूप से अत्यधिक तीव्र था। यह जोकोविच के लिए शंघाई में पहला महत्वपूर्ण परीक्षण था। उन्होंने स्वीकार किया, “कोर्ट पर मुश्किल था, क्योंकि मैच बहुत तीव्र था, मारिन एक शानदार प्रतिद्वंद्वी है।” लेकिन आखिरकार, उन्होंने इस बाधा को पार कर लिया, जिससे उन्हें आगे के टूर्नामेंट के लिए आत्मविश्वास मिला।
नोवाक जोकोविच की कहानी सिर्फ टेनिस कोर्ट पर उनकी जीतों की नहीं है। यह दृढ़ता, अनुकूलनशीलता और मानवीय जुड़ाव की कहानी है। शंघाई में, उन्होंने उम्र को चुनौती दी, अप्रत्याशित परिस्थितियों को स्वीकार किया, और अपने प्रशंसकों के साथ अपने रिश्ते को मजबूत किया। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि सफलता केवल कौशल से नहीं मिलती, बल्कि मानसिक शक्ति और अदम्य भावना से भी प्राप्त होती है, जो उन्हें हर चुनौती को पार करने में मदद करती है।