शंघाई मास्टर्स के टेनिस कोर्ट पर एक बार फिर वह नजारा देखने को मिला, जिसके लिए नोवाक जोकोविच को दुनिया भर में जाना जाता है – एक ऐसी वापसी, जो हार मान चुके खिलाड़ियों के लिए एक पाठ है, और प्रशंसकों के लिए रोमांच का एक अनमोल पल। तीसरे दौर के मुकाबले में, 24 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता जोकोविच ने जर्मन खिलाड़ी यानिक हानफमैन के खिलाफ 4/6, 7/5, 6/3 से एक बेहद कठिन जीत हासिल की। यह सिर्फ एक मैच जीतना नहीं था; यह खुद को एक असंभव सी दिखने वाली चुनौती से बाहर निकालने की उनकी अदम्य इच्छाशक्ति का प्रमाण था।
जब हानफमैन ने दिखाया अपना दम: एक अप्रत्याशित तूफान
मैच की शुरुआत में, जोकोविच के समर्थक शायद अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। आम तौर पर कोर्ट पर अपनी धाक जमाने वाले जोकोविच को, हानफमैन ने पहले सेट में पूरी तरह से बेबस कर दिया। हानफमैन की सर्विस में गजब की ताकत थी, उनके ग्राउंडस्ट्रोक सटीक और आक्रामक थे, और उन्होंने जोकोविच को कोर्ट के चारों ओर दौड़ाकर, हर पॉइंट के लिए जूझने पर मजबूर कर दिया। जोकोविच ने स्वयं स्वीकार किया, “यानिक निश्चित रूप से अपनी खेल भावना और प्रदर्शन के लिए प्रशंसा और तालियों के हकदार हैं। वह जीत के बहुत करीब थे और मेरे विचार में, मैच के अधिकांश हिस्से में – पूरे पहले सेट और दूसरे सेट के कुछ हिस्से में – कोर्ट पर हावी रहे।” यह किसी भी खिलाड़ी के लिए एक गंभीर चुनौती थी, विशेषकर उस खिलाड़ी के लिए जो शायद ही कभी इस तरह से दबाव में आता है। ऐसा लग रहा था मानो जोकोविच एक अप्रत्याशित तूफान में घिर गए हों, जहां हर शॉट एक चुनौती पेश कर रहा था।
जोकोविच का `सर्वाइवल मोड`: हार न मानने का मंत्र
पहले सेट गंवाने और दूसरे सेट की शुरुआत में भी संघर्ष करते हुए, कई खिलाड़ियों का मनोबल टूट सकता है। लेकिन नोवाक जोकोविच, जिनके नाम कई रिकॉर्ड हैं, हार को आसानी से स्वीकार करने वाले खिलाड़ियों में से नहीं हैं। उनके लिए यह क्षण केवल अस्तित्व का था – गेम में बने रहने का। उन्होंने कहा, “मुझे खेल में बने रहने और सचमुच `जीवित रहने` के लिए अपना सब कुछ झोंकना पड़ा – और मैंने यह कर दिखाया।” यह बयान उनकी मानसिक दृढ़ता को दर्शाता है। दूसरे सेट के मध्य भाग से, जोकोविच ने धीरे-धीरे हानफमैन की सर्विस को समझना शुरू किया। उन्होंने अपनी रणनीति बदली, अपनी रिटर्न गेम को मजबूत किया और लंबी रैलियों में हानफमैन को थकाना शुरू किया। यह सिर्फ ताकत का खेल नहीं था; यह धैर्य, रणनीति और अनुभव का मिश्रण था, जिसे केवल एक महान चैंपियन ही इतने दबाव में बनाए रख सकता है।
रणनीतिक उलटफेर और निर्णायक प्रहार
मैच का निर्णायक मोड़ दूसरे सेट में तब आया, जब जोकोविच ने हानफमैन की सर्विस पर दबाव बढ़ाना शुरू किया। हानफमैन की तेज़ गति और आक्रामकता ने उन्हें असहज कर रखा था, जैसा कि जोकोविच ने बताया, “वह अविश्वसनीय रूप से तेजी से खेल रहे थे, जिससे मैं लगातार असहज महसूस कर रहा था जब गेंद उनकी तरफ थी।” लेकिन जोकोविच ने इस असहजता को अवसर में बदला। उन्होंने अपनी सर्विस में सुधार किया, बेसलाइन से अपनी सटीकता बढ़ाई और धीरे-धीरे मैच पर नियंत्रण करना शुरू किया। तीसरे सेट में प्रवेश करते ही, जोकोविच अपनी लय में लौट चुके थे। उनकी हर चाल सटीक थी, और हानफमैन की शुरुआती ऊर्जा अब फीकी पड़ने लगी थी। 6/3 से तीसरा सेट जीतकर, जोकोविच ने न केवल मैच जीता, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि क्यों उन्हें टेनिस के इतिहास के सबसे बड़े `फिनिशर्स` में से एक माना जाता है।
चीनी प्रशंसकों की गूंज: खेल का एक अभिन्न अंग
इस अद्भुत मुकाबले में चीनी प्रशंसकों की भूमिका भी कम नहीं थी। जोकोविच ने स्वयं उनकी ऊर्जा की सराहना की। उन्होंने कहा, “मैं चीनी प्रशंसकों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं – उनकी ऊर्जा आज बस शानदार थी।” कोर्ट पर मौजूद हजारों दर्शकों का उत्साह और तालियां, संघर्ष कर रहे खिलाड़ी के लिए एक अतिरिक्त प्रेरणा का काम करती हैं। जब जोकोविच मुश्किल में थे, तो शायद इन्हीं प्रशंसकों की गूंज ने उन्हें हार न मानने का संदेश दिया होगा। यह इस बात का प्रमाण है कि खेल सिर्फ खिलाड़ियों के बीच का मुकाबला नहीं, बल्कि खिलाड़ियों, उनके समर्थकों और उस पल की साझा भावना के बीच का एक भावनात्मक जुड़ाव भी है।
निष्कर्ष: जोकोविच का अदम्य जज़्बा
यानिक हानफमैन के खिलाफ शंघाई मास्टर्स में यह जीत सिर्फ एक टेनिस मैच का परिणाम नहीं थी, बल्कि नोवाक जोकोविच के अदम्य साहस, उनकी मानसिक दृढ़ता और कभी हार न मानने वाले जज्बे का एक और शानदार उदाहरण थी। यह हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है जो जीवन में चुनौतियों का सामना करता है – कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, यदि आप धैर्य, सटीक रणनीति और अटूट विश्वास के साथ डटे रहें, तो जीत हमेशा संभव है। जोकोविच ने एक बार फिर साबित कर दिया कि शीर्ष पर बने रहना केवल प्रतिभा का खेल नहीं, बल्कि हर मैच में खुद को नए सिरे से साबित करने और मुश्किलों से लड़कर जीतने का एक सतत संघर्ष है, और इस संघर्ष में वह अक्सर ही विजेता बनकर उभरते हैं।