बास्केटबॉल कोर्ट के जादूगर, एनबीए चैंपियन राजोन रोंडो एक नए खेल के मैदान में अपना कौशल दिखा रहे हैं – फ्लैग फुटबॉल। उनकी यात्रा, एनबीए की चकाचौंध से लॉस एंजिल्स 2028 ओलंपिक के सपनों तक, खेल जगत में एक अनोखी कहानी बुन रही है।
एनबीए कोर्ट से एक अप्रत्याशित मोड़
राजोन रोंडो का नाम एनबीए के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 2008 में बोस्टन सेल्टिक्स के साथ चैंपियनशिप जीतने वाले “बिग थ्री” (पॉल पियर्स, केविन गार्नेट और रे एलन) की तिकड़ी में रोंडो एक महत्वपूर्ण कड़ी थे। उनकी असाधारण पासिंग, कोर्ट विजन और रक्षात्मक क्षमता ने उन्हें लीग के सबसे प्रतिभाशाली पॉइंट गार्ड्स में से एक बनाया। बास्केटबॉल से संन्यास लेने के बाद, कई लोगों ने सोचा कि वह कोचिंग या कमेंट्री में अपना करियर बनाएंगे, लेकिन रोंडो के मन में कुछ और ही चल रहा था। खेल के प्रति उनका जुनून और अदम्य प्रतिस्पर्धी भावना उन्हें एक बिल्कुल नई दिशा में ले गई – फ्लैग फुटबॉल।
फ्लैग फुटबॉल: एक नया जुनून
फ्लैग फुटबॉल, अमेरिकी फुटबॉल का एक कम संपर्क वाला संस्करण है जहाँ खिलाड़ियों को टैकल करने के बजाय उनकी कमर से झंडे (फ्लैग) छीनने होते हैं। यह शारीरिक टकराव को कम करता है और रणनीति तथा फुर्ती पर अधिक जोर देता है। रोंडो ने, 39 वर्ष की आयु में, इस खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया। उनकी प्राकृतिक एथलेटिकिज्म और रणनीति बनाने की क्षमता ने उन्हें इस नए क्षेत्र में भी तेजी से पहचान दिलाई। अफवाहें तो यहाँ तक हैं कि उन्हें अमेरिका में फ्लैग फुटबॉल के सबसे बेहतरीन क्वार्टरबैक में से एक माना जा रहा है, हालांकि आधिकारिक रैंकिंग की अनुपस्थिति में यह दावा थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर लग सकता है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि रोंडो अपना सब कुछ झोंक रहे हैं।

ओलंपिक सपने और राह की चुनौतियाँ
फ्लैग फुटबॉल के लिए रोंडो का उत्साह और भी बढ़ गया है क्योंकि लॉस एंजिल्स में 2028 ओलंपिक खेलों में यह खेल पदार्पण करने जा रहा है। किसी भी खिलाड़ी का ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना एक परम सपना होता है। हालांकि, रोंडो के लिए यह राह इतनी आसान नहीं दिख रही है।
- मौजूदा राष्ट्रीय टीम: अमेरिका में पहले से ही फ्लैग फुटबॉल की एक समर्पित राष्ट्रीय टीम है, जिसमें ऐसे एथलीट शामिल हैं जिन्होंने अपना पूरा करियर इसी खेल को समर्पित किया है।
- एनएफएल सितारों की दौड़: पैट्रिक महोम्स जैसे एनएफएल के बड़े सितारे भी ओलंपिक टीम में जगह बनाने की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। इन हाई-प्रोफाइल खिलाड़ियों की उम्मीदवारी ने मौजूदा फ्लैग फुटबॉल खिलाड़ियों में कुछ असंतोष पैदा किया है।
- विपणन बनाम योग्यता: यूएस ओलंपिक कमेटी (USOC) के लिए, महोम्स या रोंडो जैसे बड़े नामों का टीम में होना दर्शकों और मीडिया का ध्यान खींचने के लिए एक बड़ा प्लस पॉइंट होगा। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ओलंपिक टीम का चयन पूरी तरह से योग्यता पर आधारित होगा, या फिर मार्केटिंग की ज़रूरतें इस पर हावी होंगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या `असली` फ्लैग फुटबॉल खिलाड़ियों को मौका मिलता है, या फिर बड़े नाम बाजी मार ले जाते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि मार्केटिंग की जरूरतें ही अंतिम निर्णय पर भारी पड़ें।

निष्कर्ष: एक खिलाड़ी की अदम्य भावना
राजोन रोंडो की कहानी सिर्फ एक खेल बदलने वाले एथलीट की नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की है जिसकी प्रतिस्पर्धी भावना उम्र या खेल की सीमाओं से परे है। एनबीए के चमकदार कोर्ट से फ्लैग फुटबॉल के मैदान तक का उनका सफर हमें दिखाता है कि सच्ची लगन और खेल के प्रति प्रेम किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। चाहे वह 2028 ओलंपिक में पदक जीते या नहीं, रोंडो ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह हमेशा उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार रहते हैं। उनकी यह यात्रा खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी, जो हमें यह सिखाती है कि जीवन में कभी भी नए सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ना चाहिए।