ओसिम्हेन ट्रांसफर घोटाला: नापोली के गुप्त चैट ने खोले वित्तीय फर्जीवाड़े के राज

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फुटबॉल की दुनिया में खिलाड़ियों का ट्रांसफर सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एक बड़ा कारोबार भी है। लेकिन जब इस कारोबार पर धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं के बादल मंडराने लगते हैं, तो यह न केवल क्लबों की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाता है, बल्कि पूरे खेल की पारदर्शिता को भी चुनौती देता है। हाल ही में, नापोली और लिल के बीच विक्टर ओसिम्हेन के हाई-प्रोफाइल ट्रांसफर सौदे को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने फुटबॉल जगत में हड़कंप मचा दिया है।

एक हाई-प्रोफाइल डील और उसके पीछे का `रहस्य`

यह मामला 2020 का है, जब नाइजीरियाई स्ट्राइकर विक्टर ओसिम्हेन को फ्रांस के लिल क्लब से इटली के नापोली क्लब में 70 मिलियन यूरो की भारी भरकम राशि में ट्रांसफर किया गया था। पहली नज़र में यह एक सामान्य, भले ही महंगा, ट्रांसफर लग सकता है। लेकिन इतालवी समाचार पत्र रिपब्लिका द्वारा हाल ही में उजागर की गई कुछ गुप्त चैट और दस्तावेज़ों ने इस सौदे की वास्तविकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन दस्तावेज़ों से पता चलता है कि नापोली के तत्कालीन स्पोर्ट्स डायरेक्टर क्रिस्टियानो गिउंटोली, उनके डिप्टी जियुसेपे पोम्पिलियो और सीईओ एंड्रिया चियावेली ने कथित तौर पर लिल के साथ मिलकर खिलाड़ियों के मूल्यांकन को `फुलाने` (inflating) की साजिश रची थी, ताकि 70 मिलियन यूरो की वांछित राशि तक पहुँचा जा सके।

`डाका` वाली चैट और बजट की तंगी

इन चैट्स में नापोली के शीर्ष अधिकारियों की आंतरिक बातचीत सामने आई है, जो काफी चौंकाने वाली है। सीईओ चियावेली ने एक बार तो यहाँ तक कह दिया, “उम्मीद है कि वे मना कर दें… नहीं तो हमें डकैती करनी पड़ेगी।” यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से दिखाता है कि क्लब कैसे इस सौदे को अंतिम रूप देने के लिए वित्तीय दबाव में था, और शायद कुछ अनैतिक रास्तों पर विचार कर रहा था।

गिउंटोली और पोम्पिलियो के बीच की बातचीत और भी दिलचस्प है। गिउंटोली ने लिखा, “मैं रुका हुआ हूँ… उन्होंने मुझे इसे भेजने के लिए कहा है, यह उम्मीद करते हुए कि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। मुझे ऑरेलियो (डी लॉरेंटिस, क्लब अध्यक्ष) से बात करनी होगी। क्या आतंकवादी है।” इस पर पोम्पिलियो ने जवाब दिया, “यह मनोवैज्ञानिक आतंकवाद है।” गिउंटोली ने आगे अपने बजट की तंगी का हवाला देते हुए कहा, “लिखो कि हम भाग्यशाली थे कि अमराबत और कुम्बुल्ला नहीं आना चाहते थे, नहीं तो हमें पेटैगना के साथ चैंपियनशिप खेलनी पड़ती।” पोम्पिलियो, जो शायद सबूत मिटाने की कला में माहिर थे, ने तुरंत सलाह दी, “आपको कुछ भी लिखने की ज़रूरत नहीं है… ईमेल में कोई निशान मत छोड़ो। मौखिक रूप से जो चाहो कहो।” यह हास्य और विडंबना का एक मिश्रण है, जब अधिकारी इतनी बेबाकी से `आतंकवाद` और `डकैती` जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए वित्तीय हेरफेर की योजना बनाते हैं, और साथ ही अपनी बातों का रिकॉर्ड न रखने की सलाह देते हैं।

संदिग्ध खिलाड़ी मूल्यांकन और लिल के संदेह

आरोपों के मुताबिक, ओसिम्हेन के लिए 70 मिलियन यूरो की कीमत तक पहुँचने के लिए, लिल के तत्कालीन अध्यक्ष जेरार्ड लोपेज़ की कथित सहमति से, नापोली ने कुछ खिलाड़ियों – तीसरे गोलकीपर कार्नेज़िस और युवा खिलाड़ियों लुइगी लिगुओरी, क्लाउडियो मांज़ी और सिरो पाल्मीएरी – के ट्रांसफर कार्ड शामिल किए। इन खिलाड़ियों का कुल मिलाकर 20 मिलियन यूरो मूल्यांकन किया गया था। विडंबना यह है कि इन खिलाड़ियों को तुरंत सेरी सी और डी टीमों को ऋण पर दे दिया गया था, और कुछ तो कभी फ्रांस गए भी नहीं।

इस तरह के मूल्यांकन पर लिल के प्रशासनिक और कानूनी निदेशक जूलियन मोर्डैक ने भी अपनी चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने अपने तत्कालीन सीईओ मार्क इंगला को एक संदेश में चेतावनी दी थी कि “इस सौदे से जुड़े जोखिमों के बारे में आपको फिर से चेतावनी देना मेरा कर्तव्य है… हर `अजीब` माना जाने वाला विवरण इन सभी ऑपरेशनों (5 खिलाड़ियों से संबंधित समझौतों) पर सवाल उठा सकता है और इसके लिए वास्तविक जवाब और स्पष्टीकरण देने होंगे।” यह दर्शाता है कि अनियमितताओं के प्रति संदेह सिर्फ नापोली तक ही सीमित नहीं था।

कानूनी लड़ाई और खेल न्याय का विरोधाभास

यह पूरा मामला इतालवी वित्तीय पुलिस (गार्डिया डी फिनान्ज़ा) की जाँच का हिस्सा है, जिसके आधार पर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर लॉरेंजो डेल ज्यूडिस और जियोर्जियो ओरानो ने नापोली के अध्यक्ष ऑरेलियो डी लॉरेंटिस और सीईओ चियावेली के खिलाफ फर्जी बैलेंस शीट के आरोप में मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है। इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई 6 नवंबर को होनी है।

दिलचस्प बात यह है कि खेल के दृष्टिकोण से, इतालवी फुटबॉल महासंघ (फेडरकैल्सियो) ने 2022 में ही इस मामले को बंद कर दिया था। यह आपराधिक जाँच और खेल न्याय के बीच एक स्पष्ट विरोधाभास को दर्शाता है, जहाँ एक ही मामले पर दो अलग-अलग निष्कर्ष निकलते हैं।

नापोली का बचाव: `सामान्य बातचीत` का तर्क

नापोली की कानूनी टीम ने इन आरोपों का खंडन किया है। उनके वकीलों, गिनो फैबियो फुल्गेरी, गैटेनो स्केलिस और लोरेंजो कॉन्ट्राडा ने एक बयान में कहा कि “यह कोई गैरकानूनी योजना नहीं है, बल्कि खिलाड़ियों के खरीद-बिक्री से जुड़ी एक सामान्य सौदेबाजी की गतिशीलता है, जो इस क्षेत्र में स्वाभाविक है और जिसमें आपराधिक रूप से प्रासंगिक कोई बात नहीं है।” उन्होंने प्रेस में गोपनीय जाँच दस्तावेजों के लीक होने पर भी `आश्चर्य` व्यक्त किया है, जिसकी प्रकाशन पर कानून द्वारा रोक होनी चाहिए थी। वकीलों का तर्क है कि चैट में दिए गए वाक्यांशों को उनके व्यापक संदर्भ से `निकाला` गया है और केवल उनकी पूरी जानकारी के साथ ही उनके वास्तविक अर्थ को समझा जा सकता है। उनका यह भी कहना है कि जिन लोगों का लेख में उल्लेख किया गया है, उनसे पब्लिक प्रॉसिक्यूटर पहले ही पूछताछ कर चुके हैं और उन्होंने “सटीक, स्पष्ट और ठोस स्पष्टीकरण” दिए हैं, जो किसी भी वास्तविक प्रमाणिक प्रासंगिकता को खारिज करते हैं।

फुटबॉल में पारदर्शिता का भविष्य

ओसिम्हेन ट्रांसफर केस फुटबॉल की दुनिया में वित्तीय पारदर्शिता को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ता है। यह मामला दिखाता है कि कैसे क्लब अपने वित्तीय खातों को संतुलित करने और वांछित सौदों को अंतिम रूप देने के लिए खिलाड़ियों के मूल्यांकन में हेरफेर कर सकते हैं। जबकि नापोली अपनी बेगुनाही का दावा कर रहा है, गुप्त चैट्स और लिल के अधिकारियों की शुरुआती आपत्तियां एक गहरी कहानी बयां करती हैं। इस हाई-प्रोफाइल मामले का परिणाम आने वाले समय में फुटबॉल क्लबों के वित्तीय व्यवहार और ट्रांसफर बाजार के नियमों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। क्या यह सिर्फ `सामान्य बातचीत` थी, या एक सोची समझी `डाका` की योजना? इसका जवाब अदालत तय करेगी, और पूरा फुटबॉल जगत इस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।