हाल ही में, डिजिटल गेमिंग की दुनिया में एक बड़ा विवाद सामने आया है, जहाँ भुगतान सुविधाएँ प्रदान करने वाली दिग्गज कंपनियाँ जैसे मास्टरकार्ड (Mastercard) और वीज़ा (Visa) कुछ गेम्स को प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए दबाव डाल रही हैं। इन कंपनियों का दावा है कि वे `कानून के शासन` का पालन कर रही हैं, लेकिन कई लोगों का मानना है कि यह डिजिटल सामग्री पर एक प्रकार का अनकहा नियंत्रण, या यूँ कहें कि `सेंसरशिप` थोपने का प्रयास है। यह मामला सिर्फ गेम्स तक सीमित नहीं, बल्कि ऑनलाइन सामग्री के भविष्य और हमारी डिजिटल स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है, खासकर एक ऐसे दौर में जब हमारी ज़्यादातर गतिविधियाँ ऑनलाइन होती जा रही हैं।
`कानून का शासन` या नैतिक निगरानी?
विवाद की जड़ में स्टीम (Steam) और इटच.आईओ (Itch.io) जैसे लोकप्रिय डिजिटल गेम स्टोरफ्रंट्स से “वयस्क” सामग्री वाले गेम्स का हटाया जाना है। मीडिया रिपोर्ट्स और गेम डेवलपर्स के आरोपों के बाद, मास्टरकार्ड ने चुप्पी तोड़ी और अपना बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी भी गेम का मूल्यांकन नहीं किया है या गेम क्रिएटर साइटों पर किसी भी गतिविधि पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। उनके अनुसार, “हमारा भुगतान नेटवर्क कानून के शासन पर आधारित मानकों का पालन करता है। सीधे शब्दों में कहें, हम अपने नेटवर्क पर सभी कानूनी खरीद की अनुमति देते हैं। साथ ही, हम व्यापारियों से उचित नियंत्रण रखने की अपेक्षा करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मास्टरकार्ड का उपयोग अवैध खरीद, जिसमें अवैध वयस्क सामग्री भी शामिल है, के लिए नहीं किया जा सके।”
वीज़ा ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया कि उनका उद्देश्य `कानूनी खरीद पर नैतिक निर्णय` लेना नहीं है, और वे भी कानून का पालन कर रहे थे। हालांकि, यहाँ एक दिलचस्प बात यह है कि हटाए गए गेम्स में से किसी में भी वास्तव में अवैध सामग्री होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। अक्सर `अवैध` और `वयस्क` के बीच की बारीक रेखा को धुंधला कर दिया जाता है, जिससे वैध सामग्री पर भी मनमाने ढंग से प्रतिबंध लग सकते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे कोई वित्तीय संस्थान यह तय करने लगे कि आप अपनी वैध आय कहाँ खर्च कर सकते हैं, भले ही आप पूरी तरह से कानूनी वस्तुएँ या सेवाएँ खरीद रहे हों। क्या यह `कानून का शासन` है या एक अप्रत्यक्ष नैतिक निगरानी?
एक लॉबिंग समूह का दबाव और उसके परिणाम
इस पूरे प्रकरण के पीछे ऑस्ट्रेलिया का एक एंटी-पॉर्न लॉबिंग समूह, कलेक्टिव शाउट (Collective Shout) है। इस समूह ने गर्व से इन कार्यों का श्रेय लिया है। कलेक्टिव शाउट ने एक खुला पत्र जारी किया, जिसमें दावा किया गया था कि स्टीम और इटच.आईओ जैसे इंडी गेम स्टोरफ्रंट्स पर `बलात्कार, अनाचार और बाल यौन शोषण` वाली सामग्री वाले गेम्स होस्ट किए जा रहे थे। इस समूह ने यह भी दावा किया कि उन्होंने भुगतान प्रोसेसर कंपनियों को लगभग 1,000 ईमेल और कॉल भेजे थे, उनसे यह धमकी देने का आग्रह किया था कि यदि वे इन गेम्स को नहीं हटाते हैं, तो वे इन पोर्टलों से अपना समर्थन वापस ले लेंगे।
लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ? किसी भी स्पष्ट रूप से परिभाषित “वयस्क सामग्री” वाले गेम को हटा दिया गया। कई डेवलपर्स ने शिकायत की है कि समलैंगिक (LGBTQ+) विषयों या सामग्री वाले गेम्स भी इस `सफाई अभियान` की चपेट में आ गए हैं। उन्होंने भुगतान प्रोसेसरों की आलोचना की है कि वे मनमाने ढंग से अपने नैतिक मानकों — और कलेक्टिव शाउट के — को उन चीज़ों पर लागू कर रहे हैं जिन्हें वयस्क खरीदने और खेलने की अनुमति रखते हैं। यह अजीब विरोधाभास है कि `कानून` की बात करने वाले एक समूह के मनमाने दावों पर कार्रवाई कर रहे हैं, भले ही `कानून` का कोई स्पष्ट उल्लंघन न हुआ हो। क्या ऐसे में `डिजिटल बाज़ार` में व्यापारिक निर्णयों पर बाहरी `नैतिक दबाव` हावी नहीं हो रहा है?
उद्योग का प्रतिरोध और आगे की राह
भुगतान प्रोसेसरों द्वारा वयस्क सामग्री के लिए भुगतान का समर्थन बंद करने के बाद के हफ्तों में, कई साइटों को कठोर कदम उठाने पड़े। स्टीम ने अपने स्टोरफ्रंट से सामग्री हटाना शुरू कर दिया और अपनी सेवा की शर्तों में एक अस्पष्ट अपडेट किया। इटच.आईओ ने भी साइट से सामग्री को डी-इंडेक्स करना शुरू कर दिया। हालाँकि, हाल ही में इटच.आईओ ने वयस्क और `कार्य के लिए सुरक्षित नहीं` (NSFW) सामग्री को फिर से इंडेक्स करना शुरू कर दिया है, लेकिन उन्होंने कहा है कि उनकी भुगतान प्रोसेसरों के साथ बातचीत जारी है। इटच.आईओ ने स्ट्राइप (Stripe) का भी उपयोग किया है, और यह वित्तीय साइट अब ऐसी वयस्क सामग्री की बिक्री का समर्थन नहीं करेगी जो “यौन संतुष्टि के लिए डिज़ाइन की गई सामग्री” के विवरण में फिट बैठती है। यह परिभाषा अपने आप में काफी व्यापक और व्याख्या के अधीन है।
पिछले कुछ हफ्तों से, गेम संगठनों, डेवलपर्स और कलाकारों ने मिलकर भुगतान कंपनियों के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन किया है। इंटरनेशनल गेम डेवलपर्स एसोसिएशन (IGDA) ने वयस्क गेम्स के मॉडरेशन में `अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता` का आह्वान किया है। अन्य समूहों ने लोगों से इन दोनों भुगतान प्रोसेसरों पर दबाव डालने और सेंसरशिप के बारे में अपनी चिंताओं को दर्ज करने के लिए कॉल करने का आग्रह किया है। यह एक ऐसे युद्ध जैसा है जहाँ कलाकार अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं, और वित्तीय गेटकीपर अपने नियम थोप रहे हैं।
यह घटना दर्शाती है कि डिजिटल दुनिया में `गेटकपर` कौन हैं। जब वित्तीय कंपनियाँ, जो केवल भुगतान सुविधाएँ प्रदान करती हैं, सामग्री के `नैतिक` निर्धारण में दखल देने लगती हैं, तो यह न केवल कलात्मक स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक छोटा सा लॉबिंग समूह भी बड़े उद्योग को हिला सकता है। भविष्य में, हमें यह देखना होगा कि क्या पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया की मांग प्रभावी होती है, या भुगतान कंपनियों की `अघोषित` सेंसरशिप की शक्ति बढ़ती रहती है। आखिरकार, हर किसी को यह जानने का अधिकार है कि उनकी पसंदीदा सामग्री कब और क्यों `गायब` हो सकती है, और इस पर किसका नियंत्रण है – कानून का, या कुछ चुनिंदा नैतिक पुलिसवालों का?