डिजिटल दुनिया में किसी वीडियो गेम को `खरीदना` क्या वाकई मालिकाना हक देता है? यह सवाल आज गेमर्स के बीच एक गर्म बहस का मुद्दा बन गया है। खासकर तब, जब ऑनलाइन गेम्स के सर्वर बंद हो जाते हैं और आपका खरीदा हुआ गेम अचानक खेलने लायक नहीं रहता। यह ऐसा है जैसे आपने कोई किताब खरीदी हो और प्रकाशक आकर उसे वापस ले जाए क्योंकि अब उसे छापना फायदेमंद नहीं है। इसी निराशा और गुस्से से जन्मा है एक नया उपभोक्ता आंदोलन।
`स्टॉप किलिंग गेम्स`: जब खिलाड़ियों ने आवाज़ उठाई
`स्टॉप किलिंग गेम्स` (Stop Killing Games) नाम का यह आंदोलन गेम पब्लिशर्स के उस चलन को चुनौती दे रहा है जिसमें वे ऑनलाइन गेम्स के सर्वर बंद कर देते हैं, प्रभावी रूप से उन गेम्स को नष्ट कर देते हैं जो खिलाड़ियों ने पूरे पैसे देकर खरीदे हैं। यह आंदोलन तेज़ी से ज़ोर पकड़ रहा है। यूरोपीय नागरिकों की पहल (European Citizens` Initiative) के तहत दायर की गई इनकी याचिका पर हाल ही में दस लाख हस्ताक्षर पूरे हुए हैं। यह यूरोपीय कमीशन के लिए ज़रूरी संख्या है, जिसका मतलब है कि अब कमीशन को इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से जवाब देना होगा। खिलाड़ियों की मांग सीधी है: हमारे खरीदे हुए गेम्स को मरने से रोको!
उद्योग का तर्क: व्यापार की ज़रूरत या मुनाफाखोरी?
लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। वीडियो गेम उद्योग की यूरोपीय लॉबिंग संस्था, `वीडियो गेम्स यूरोप` (Video Games Europe), इस आंदोलन के खिलाफ सामने आई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि ऑनलाइन गेम्स के सर्वर बंद करने का फैसला “कई पहलुओं पर आधारित होता है” और “कभी भी हल्के में नहीं लिया जाता”। यह कदम तब उठाया जाता है जब “कोई ऑनलाइन अनुभव व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं रह जाता”।
`वीडियो गेम्स यूरोप` का कहना है कि कंपनियों के लिए यह विकल्प खुला होना चाहिए कि जब कोई गेम कमाई न दे रहा हो या उसके खिलाड़ी बहुत कम रह जाएं, तो उसके सर्वर बंद किए जा सकें। वे मानते हैं कि यह खिलाड़ियों के लिए निराशाजनक हो सकता है, लेकिन उनका दावा है कि उद्योग स्थानीय उपभोक्ता संरक्षण कानूनों का पालन करते हुए खिलाड़ियों को सर्वर बंद होने की पर्याप्त सूचना देता है।
महंगा खेल और सुरक्षा की चिंता
उद्योग का एक और बड़ा तर्क लागत से जुड़ा है। `वीडियो गेम्स यूरोप` का कहना है कि अगर गेम पब्लिशर्स को बेचे गए हर ऑनलाइन गेम के सर्वर हमेशा चलाने के लिए मजबूर किया गया, तो “इन वीडियो गेम्स को बनाना बेहद महंगा (prohibitively expensive) हो जाएगा”। कई गेम्स तो शुरू से ही केवल ऑनलाइन अनुभव के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। ऐसी पाबंदी लगाने से गेम डेवलपर्स की रचनात्मकता और विकल्पों पर अंकुश लगेगा।
प्राइवेट सर्वर (Private Servers) को एक संभावित विकल्प के तौर पर देखा जाता है, लेकिन उद्योग इस पर भी आपत्ति जताता है। उनके अनुसार, प्राइवेट सर्वर में खिलाड़ियों के डेटा की सुरक्षा, अवैध सामग्री को हटाना और समुदाय में हानिकारक व्यवहार पर नियंत्रण जैसे उपाय नहीं होते, जो आधिकारिक सर्वरों पर होते हैं। इससे अधिकारों के मालिकों (जैसे गेम कंपनी) पर कानूनी जवाबदेही आ सकती है।
आगे क्या? डिजिटल मालिकाना हक की बहस
`स्टॉप किलिंग गेम्स` आंदोलन की शुरुआत पिछले साल Ubisoft द्वारा The Crew गेम के सर्वर बंद करने के फैसले के बाद हुई थी, जिसके लिए Ubisoft को मुकदमे का भी सामना करना पड़ रहा है। Concord और BioWare के Anthem जैसे अन्य ऑनलाइन गेम्स भी सर्वर बंद होने की सूची में शामिल हुए हैं।
याचिका की अंतिम तिथि 31 जुलाई है। यूरोपीय कमीशन द्वारा इस पर विचार करने के बाद भी, किसी भी संभावित कानूनी बदलाव या फैसले में काफी समय लग सकता है – शायद सालों। यह पूरा मामला डिजिटल युग में `मालिकाना हक` के जटिल सवाल को उठाता है। जब आप कोई डिजिटल उत्पाद खरीदते हैं जिसका अस्तित्व किसी तीसरे पक्ष के सर्वर पर निर्भर करता है, तो आपका नियंत्रण कितना होता है?
यह खिलाड़ियों के अपने खरीदे हुए गेम्स तक पहुंच के अधिकार और गेम कंपनियों के व्यापार चलाने की ज़रूरत के बीच एक कशमकश है। उद्योग इसे व्यापार का सामान्य हिस्सा बताता है, जबकि खिलाड़ी इसे बेचे गए उत्पाद को छीनना मानते हैं। इस डिजिटल अधिकार की लड़ाई का अंजाम देखना वाकई दिलचस्प होगा।