टेनिस की दुनिया के बेताज बादशाह नोवाक जोकोविच ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनके लिए उम्र महज एक आंकड़ा है। शंघाई मास्टर्स में अपने हालिया शानदार प्रदर्शन के साथ, उन्होंने न सिर्फ एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, बल्कि अपनी अद्भुत निरंतरता और खेल के प्रति अटूट समर्पण का भी प्रमाण दिया है।
80 मास्टर्स सेमीफ़ाइनल: एक असाधारण उपलब्धि
शंघाई में युवा खिलाड़ी ज़िज़ु बर्गेस को क्वार्टरफ़ाइनल में शिकस्त देकर, दुनिया के नंबर 5 खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने अपने करियर का 80वां मास्टर्स 1000 सेमीफ़ाइनल खेला। यह आंकड़ा केवल एक संख्या नहीं, बल्कि दशकों की कड़ी मेहनत, अटूट प्रतिबद्धता और हर मैच में जीतने की प्रबल इच्छा का प्रतीक है। ज़रा सोचिए, कई खिलाड़ी अपने पूरे करियर में 80 मास्टर्स टूर्नामेंट खेलने की कल्पना भी नहीं कर पाते, और जोकोविच ने 80 बार इस प्रतिष्ठित स्तर के सेमीफ़ाइनल तक का सफर तय किया है! यह उपलब्धि उन्हें खेल इतिहास के सबसे महान एथलीटों में से एक के रूप में स्थापित करती है।
उम्रदराज खिलाड़ी का जलवा: 38 साल में भी युवा खिलाड़ियों को पछाड़ना
जोकोविच की यह उपलब्धि और भी खास हो जाती है जब हम उनकी उम्र पर गौर करते हैं। 38 साल और 4 महीने की उम्र में, वह अब मास्टर्स 1000 टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे उम्रदराज सेमीफ़ाइनलिस्ट बन गए हैं। आमतौर पर, इस उम्र तक आते-आते खिलाड़ी या तो संन्यास ले लेते हैं या अपनी खेल शैली को धीमा कर देते हैं। लेकिन जोकोविच ने मानो समय को ही चुनौती दे दी है। उनके कोर्ट पर फुर्तीले मूवमेंट, सटीक शॉट्स और मानसिक दृढ़ता देखकर लगता ही नहीं कि वह इस खेल में दो दशकों से ज्यादा का अनुभव रखते हैं। यह उनकी असाधारण फिटनेस, खेल के प्रति उनकी गहरी समझ और हर चुनौती का डटकर सामना करने के उनके जज्बे का प्रमाण है। इसे देखकर शायद ही कोई होगा जो कहेगा कि `जोकोविच का समय अब ढल रहा है`!
निरंतरता की मिसाल: हार को भी मात देना
`रोलैंड गैरोस 2023` के बाद से, जोकोविच ने 18 क्वार्टरफ़ाइनल मुकाबलों में से केवल एक में हार का सामना किया है (ब्रिस्बेन में रायली ओपेल्का के खिलाफ)। यह आंकड़ा उनकी अविश्वसनीय निरंतरता को दर्शाता है। शीर्ष स्तर के टेनिस में ऐसी कंसिस्टेंसी बनाए रखना लगभग असंभव माना जाता है, जहाँ हर हफ्ते नए और युवा खिलाड़ी अपनी जगह बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन जोकोविच हर बार खुद को साबित करते हैं, चाहे प्रतिद्वंद्वी कोई भी हो। उनकी इस क्षमता को देखकर लगता है कि हर मैच उनके लिए केवल एक और अवसर है, अपनी महानता को दोहराने का।
आगे क्या? वैलेंटिन वाशेरो से अगली भिड़ंत
शंघाई में चार बार के चैंपियन जोकोविच अब सेमीफाइनल में वैलेंटिन वाशेरो का सामना करेंगे। उनकी यह यात्रा अभी समाप्त नहीं हुई है। हर मैच, हर टूर्नामेंट उनके लिए न केवल नए रिकॉर्ड बनाने का एक मौका होता है, बल्कि अपनी विरासत को और भी मजबूत करने का भी। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह `अजेय` खिलाड़ी आने वाले समय में और कितने रिकॉर्ड तोड़ता है और टेनिस इतिहास में अपना नाम कितनी बार सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवाता है। जोकोविच ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब दृढ़ संकल्प और प्रतिभा मिलती है, तो उम्र सिर्फ एक संख्या बनकर रह जाती है।
नोवाक जोकोविच का यह प्रदर्शन सिर्फ टेनिस प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो मानता है कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और जुनून से किसी भी उम्र में शीर्ष पर पहुंचा जा सकता है। उनकी यात्रा अभी जारी है, और दुनिया उत्सुकता से उनके अगले कीर्तिमान का इंतजार कर रही है।