मारिन चिलिच: कोर्ट के योद्धा का 37वां जन्मदिन और अभूतपूर्व वापसी

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आज 28 सितंबर, 1988 को जन्मे क्रोएशियाई टेनिस स्टार मारिन चिलिच अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं। यह केवल एक कैलेंडर की तारीख नहीं, बल्कि एक ऐसे खिलाड़ी के करियर का मील का पत्थर है जिसने टेनिस कोर्ट पर जीत और हार, चोट और वापसी, महिमा और दृढ़ संकल्प की एक अविश्वसनीय गाथा लिखी है। GoTennis.ru पोर्टल की टीम भी मारिन को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देती है और उनके अच्छे स्वास्थ्य तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।

मारिन चिलिच टेनिस कोर्ट पर

सुनहरे करियर की शानदार चमक

मारिन चिलिच का नाम टेनिस प्रेमियों के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है। 2005 में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू करने के बाद से, उन्होंने टेनिस की दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि निस्संदेह 2014 यूएस ओपन में मिली जीत थी, जहां उन्होंने फाइनल में जापानी खिलाड़ी केई निशिकोरी को मात देकर अपना पहला और एकमात्र ग्रैंड स्लैम खिताब जीता। यह एक ऐसा क्षण था जिसने उन्हें टेनिस के अभिजात वर्ग में शामिल कर दिया।

उनके करियर की कुछ अन्य मुख्य बातें:

  • एकल वर्ग में 21 एटीपी खिताब जीते।
  • 2017 में विंबलडन और 2018 में ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में पहुंचे, जो ग्रैंड स्लैम में उनकी निरंतरता को दर्शाता है।
  • जनवरी 2018 में करियर की सर्वश्रेष्ठ विश्व रैंकिंग नंबर 3 हासिल की, जो उनके शिखर प्रदर्शन का प्रमाण है।
  • अपने करियर में कुल $32,315,033 से अधिक की पुरस्कार राशि जीती है, जो उनकी दीर्घकालिक सफलता का सूचक है।

चुनौतियों का सामना और वापसी की मिसाल

हालांकि, चिलिच का करियर केवल सफलताओं की कहानी नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में, उन्हें घुटने की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें कोर्ट से कई बार दूर रहना पड़ा। इन चोटों ने उनकी रैंकिंग को काफी नीचे गिरा दिया, और वह एक समय एटीपी रैंकिंग में 212वें स्थान पर आ गए। किसी भी खिलाड़ी के लिए यह एक कठिन दौर होता है, जब चोट न केवल शरीर को, बल्कि मनोबल को भी तोड़ देती है।

लेकिन मारिन चिलिच ने हार नहीं मानी। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और अथक परिश्रम के बल पर, वह हाल ही में कोर्ट पर लौटे और तुरंत ही अपनी वापसी का लोहा मनवाया। सितंबर में, उन्होंने हांगझोऊ में एक `250-श्रेणी` टूर्नामेंट जीता। यह जीत सिर्फ एक खिताब नहीं थी, बल्कि एक मजबूत वापसी का प्रतीक थी, जिसने उन्हें एटीपी इतिहास में सबसे कम रैंक वाला चैंपियन बना दिया। यह बात कम ही खिलाड़ी कह सकते हैं कि वे विश्व के नंबर 3 रह चुके हैं और साथ ही एटीपी इतिहास के सबसे कम रैंक वाले चैंपियन भी! क्या यह विडंबना है या दृढ़ता का एक नया कीर्तिमान? शायद दोनों, और यह निश्चित रूप से उनकी अद्भुत वापसी की कहानी को और भी दिलचस्प बनाता है।

कोर्ट के बाहर का जीवन: परिवार और समर्थन

कोर्ट के बाहर, मारिन एक समर्पित पारिवारिक व्यक्ति भी हैं। फरवरी 2020 में, उन्होंने अपनी पत्नी क्रिस्टीना के साथ अपने पहले बेटे बाल्डो का स्वागत किया। सितंबर 2021 में, उनके दूसरे बेटे विटो का जन्म हुआ। परिवार का यह मजबूत आधार निस्संदेह उन्हें कोर्ट पर चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।

भविष्य की ओर एक निगाह

मारिन चिलिच की हालिया जीत ने यह साबित कर दिया है कि भले ही उम्र और चोटें अपनी छाप छोड़ें, एक सच्चे चैंपियन का जज्बा कभी खत्म नहीं होता। 37 साल की उम्र में भी, उनमें बड़े खिताब जीतने की भूख और टॉप स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता साफ दिखती है। उनकी कहानी उन सभी खिलाड़ियों और व्यक्तियों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं, यह दिखाती है कि समर्पण और धैर्य के साथ किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

हम मारिन चिलिच को उनके जन्मदिन पर एक बार फिर शुभकामनाएं देते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनका यह “दूसरा करियर” भी उतना ही शानदार और यादगार होगा जितना उनका पहला था। उनकी वापसी की कहानी टेनिस की किताबों में हमेशा के लिए दर्ज रहेगी, एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में जिसने कभी हार नहीं मानी।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।