कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में हाल ही में संपन्न हुए **बीच प्रो टूर एलीट** इवेंट ने रेत पर रोमांच, कौशल और अप्रत्याशित मोड़ों की एक शानदार गाथा लिखी। यह सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं था, बल्कि यह उस खेल भावना का प्रमाण था जो खिलाड़ियों को अपनी सीमाओं से परे धकेलती है। साथ ही, इसने यह भी उजागर किया कि कैसे **FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण (Volleyball Empowerment)** कार्यक्रम उभरती प्रतिभाओं और स्थापित दिग्गजों दोनों के लिए एक निर्णायक बदलाव ला रहा है, उन्हें वैश्विक मंच पर चमकने का अवसर प्रदान कर रहा है।
पुरुष वर्ग: नॉर्वेजियन `वाइकिंग्स` का अजेय अभियान
पुरुषों के वर्ग में, नॉर्वे के **एंडर्स मोल** और **क्रिश्चियन सोरम** ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे दुनिया के शीर्ष पर क्यों राज करते हैं। “बीचवॉली वाइकिंग्स” के नाम से मशहूर इस जोड़ी ने, FIVB सशक्तिकरण कार्यक्रम से मिले महत्वपूर्ण कोचिंग समर्थन के साथ, मॉन्ट्रियल में अपना दूसरा एलीट स्वर्ण पदक जीतकर अपने प्रभावशाली रिकॉर्ड में एक और अध्याय जोड़ा। उनका सफर आसान नहीं था; पूल चरण में उन्हें तीन टाई-ब्रेक से गुजरना पड़ा, जिनमें से उन्होंने दो जीते। लेकिन एक बार जब उन्होंने अपनी लय पकड़ी, तो एलिमिनेशन राउंड में उन्होंने एक भी सेट नहीं गंवाया। यह उनकी अटूट दृढ़ता और अद्वितीय तालमेल का परिणाम था, जिसकी बदौलत वे दबाव में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सके।
सेमीफाइनल में, इस शीर्ष वरीयता प्राप्त जोड़ी ने मौजूदा विश्व चैंपियन चेक गणराज्य के **ओन्ड्रेज पेरुसिक** और **डेविड श्वाइनेर** को 2-0 (21-14, 21-18) से शिकस्त दी। इसके बाद फाइनल में, स्वीडन के युवा और ऊर्जावान **जैकब होल्टिंग निलसन** और **एलमर एंडरसन** की जोड़ी के खिलाफ भी उन्होंने 2-0 (21-19, 21-13) से शानदार जीत दर्ज की। मोल और सोरम के लिए यह बीच प्रो टूर पर उनका **24वां पदक** था, जिसमें **13 स्वर्ण** शामिल हैं – एक ऐसा आंकड़ा जो उनकी निरंतरता और इस खेल पर उनके प्रभुत्व की कहानी कहता है।
स्वीडन के युवा सितारों का उदय और चेक का कांस्य
स्वीडन के 10वीं वरीयता प्राप्त युवा खिलाड़ी, होल्टिंग निलसन और एंडरसन की जोड़ी ने अपने ही देश के ओलंपिक चैंपियन डेविड अहमैन और जोनाटन हेलविग को एक रोमांचक 2-1 (21-17, 18-21, 18-16) से हराकर बड़ा उलटफेर किया और लगातार तीसरा बीच प्रो टूर पोडियम हासिल किया। यह युवा जोड़ी, अपनी शानदार वापसी के साथ, खेल के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल संकेत है, जिसने दिखाया कि अनुभव पर युवाओं का जोश कैसे भारी पड़ सकता है। दूसरी ओर, पांचवीं वरीयता प्राप्त विश्व चैंपियन पेरुसिक और श्वाइनेर ने कांस्य पदक के मैच में ओलंपिक चैंपियंस को एक नाखून-काटने वाले 2-1 (14-21, 22-20, 20-18) के शानदार वापसी वाली जीत में हराया। इस जीत ने चेक जोड़ी के टूर रिकॉर्ड को 11 पोडियम तक बढ़ाया, जो उनकी अनुभवी क्षमता और दबाव में प्रदर्शन करने की काबिलियत का प्रतीक है।
महिला वर्ग: कनाडा की सरजमीं पर सुनहरी जीत और जर्मन दृढ़ता
महिला वर्ग में, घरेलू दर्शकों का उत्साह सातवें आसमान पर था, और कनाडा की **मेलिसा ह्यूमाना-पारेडेस** और **ब्रांडी विल्करसन** ने उन्हें निराश नहीं किया। पेरिस 2024 ओलंपिक रजत पदक विजेता इस जोड़ी ने मॉन्ट्रियल में अजेय रहकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। उन्होंने टूर्नामेंट में केवल दो सेट गंवाए और फाइनल में जर्मनी की **स्वेन्या मुलर** और **सिन्जा टिलमैन** को 2-0 (21-15, 22-20) से हराकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेलिसा और ब्रैंडी के लिए यह बीच प्रो टूर पर उनका तीसरा स्वर्ण और कुल मिलाकर छठा पदक था। उनकी जीत ने न केवल कनाडा के गौरव को बढ़ाया बल्कि उनकी असाधारण टीमवर्क और रणनीतिक समझ को भी उजागर किया।
FIVB सशक्तिकरण का प्रभाव: जर्मनी की राह
जर्मनी की स्वेन्या मुलर और सिन्जा टिलमैन की जोड़ी ने भी FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण कार्यक्रम से लाभ उठाया, जिससे उन्हें अपने प्रशिक्षण और प्रदर्शन को निखारने में मदद मिली। विश्व की नंबर दो रैंकिंग वाली इस जोड़ी ने फाइनल तक पहुंचने से पहले एक भी सेट नहीं गंवाया, जो उनकी तैयारी और कौशल का प्रमाण है। यद्यपि उन्हें फाइनल में रजत पदक से संतोष करना पड़ा, यह उनकी सातवीं बीच प्रो टूर पदक था, जो उनकी निरंतर उपस्थिति और उच्च-स्तरीय प्रदर्शन को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि कैसे FIVB का समर्थन खिलाड़ियों को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक संसाधन और विशेषज्ञता प्रदान करता है, भले ही इस बार सोना हाथ न आया हो।
ब्राजील का कांस्य: वापसी की कहानी
मौजूदा ओलंपिक चैंपियन ब्राजील की **एना पेट्रीसिया रामोस** और **एडुआर्डा सैंटोस लिस्बोआ (डूटा)** के लिए, मॉन्ट्रियल इस साल अप्रैल के बाद बीच प्रो टूर में उनकी पहली उपस्थिति थी। सेमीफाइनल में घरेलू टीम से हारने के बाद, उन्होंने कांस्य पदक मैच में वापसी की और लातविया की टीना ग्राउडिना और अनास्तासिया सामोइलोवा को 2-0 (21-14, 21-16) से हराकर अपना दूसरा लगातार कांस्य और कुल मिलाकर 10वां टूर पदक हासिल किया। यह उनकी लचीलापन और शीर्ष स्तर पर बने रहने की क्षमता का एक और उदाहरण था, जिसने दिखाया कि एक हार से खेल खत्म नहीं होता, बल्कि वापसी की प्रेरणा मिलती है।
FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण: सफलता का गुप्त सूत्र?
मॉन्ट्रियल में देखी गई इन सभी सफलता कहानियों में **FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण** कार्यक्रम की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। नॉर्वेजियन वॉलीबॉल फेडरेशन को उनके पुरुष बीच वॉलीबॉल टीमों के लिए USD 252,000 और जर्मन वॉलीबॉल फेडरेशन को उनकी महिला टीमों के लिए USD 168,000 का कोच समर्थन आवंटित किया गया। यह वित्तीय और विशेषज्ञता सहायता सीधे तौर पर खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार करती है, उन्हें विश्व स्तरीय कोचिंग, प्रशिक्षण सुविधाएं और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के अवसर प्रदान करती है। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि बीच वॉलीबॉल के वैश्विक विकास के लिए एक निवेश है, जो छोटे देशों की टीमों को भी वैश्विक दिग्गजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने में सक्षम बनाता है। एक तरह से, यह सिर्फ रेत पर जीत नहीं, बल्कि हर खिलाड़ी के सपने को उड़ान देने की कहानी है, जिसे `सशक्तिकरण` का पंख मिला है।
निष्कर्ष: खेल का उज्ज्वल भविष्य
मॉन्ट्रियल एलीट इवेंट ने हमें बीच वॉलीबॉल के कुछ बेहतरीन प्रदर्शनों का साक्षी बनाया। यह सिर्फ पदक जीतने के बारे में नहीं था, बल्कि यह खेल भावना, दृढ़ता और वैश्विक समर्थन के महत्व के बारे में था। नॉर्वे के वाइकिंग्स से लेकर कनाडा की घरेलू नायिकाओं तक, हर टीम ने दिखाया कि कड़ी मेहनत, प्रतिभा और सही समर्थन के साथ क्या हासिल किया जा सकता है। 21 विभिन्न देशों की 27 पुरुष और 28 महिला टीमों ने इस स्पर्धा में भाग लिया, जो खेल की वैश्विक पहुँच को दर्शाता है। अगला एलीट इवेंट जर्मनी के हैम्बर्ग में 27 से 31 अगस्त तक होगा, और मॉन्ट्रियल की सफलताएँ निश्चित रूप से आगामी टूर्नामेंटों के लिए एक उच्च मानक स्थापित करती हैं। बीच वॉलीबॉल का भविष्य उज्ज्वल है, और FIVB सशक्तिकरण जैसे कार्यक्रम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह चमकती रहे।