कुदेरमेतोवा बहनें: टेनिस के शिखर तक का अदृश्य सफर – कड़ी मेहनत और समर्पण की दास्तान

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जब हम विश्व के शीर्ष टेनिस खिलाड़ियों को देखते हैं, तो अक्सर उनके शानदार शॉट्स, उनकी तेज गति और कोर्ट पर उनकी बेजोड़ एकाग्रता पर मोहित हो जाते हैं। हम उनकी जीत की कहानियाँ पढ़ते हैं, उनके ग्रैंड स्लैम के पलों का जश्न मनाते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे की उस लंबी, थका देने वाली यात्रा को शायद ही कभी समझ पाते हैं। यह यात्रा केवल खिलाड़ी की नहीं होती, बल्कि पूरे परिवार, विशेषकर माता-पिता के बलिदान, दृढ़ संकल्प और अथक प्रयासों की होती है। वेरोनिका और पोलिना कुदेरमेतोवा, दो नाम जो आज टेनिस जगत में अपनी पहचान बना चुके हैं, उनकी कहानी भी इसी अदृश्य संघर्ष और प्रेरणा का जीवंत उदाहरण है।

शुरुआती कदम: जब सपने जन्म लेते हैं

एडुआर्ड कुदेरमेतोव, जो स्वयं एक प्रतिष्ठित हॉकी खिलाड़ी रह चुके हैं, के लिए अपनी बेटियों को टेनिस की दुनिया में आते देखना शायद अप्रत्याशित रहा होगा। उनका मानना है कि बेटियों को किसी ने `भेजा` नहीं था, बल्कि वे स्वयं इस खेल की ओर आकर्षित हुईं। वेरोनिका, जो बड़ी बहन हैं, ने मात्र साढ़े आठ साल की उम्र में अपने माता-पिता के सामने यह `तथ्य` रख दिया कि वह टेनिस खेलेंगी। यह बच्चों की स्वाभाविक जिज्ञासा और अंदरूनी प्रेरणा का एक सुंदर उदाहरण था। उनकी माँ, जिनके कंधों पर अक्सर परिवार की पूरी व्यवस्था का बोझ होता है, ने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कल्पना कीजिए एक माँ की दिनचर्या: बड़ी बेटी को टेनिस प्रशिक्षण के लिए ले जाना, जबकि छोटी, पोलिना, जो उस समय केवल ढाई साल की थी, को साथ लेकर चलना। कोर्ट पर माँ का घंटों बिताना, बच्चों के लिए गाड़ी में भोजन तैयार करना और खिलाना—यह सब किसी भी एथलीट की शुरुआती यात्रा का एक अभिन्न, पर अक्सर अनदेखा हिस्सा होता है। जहाँ बड़ी बहन जाती थी, छोटी भी उसके पदचिह्नों पर चलती थी। ऐसे में, पोलिना का टेनिस से जुड़ना एक स्वाभाविक क्रम बन गया। माँ का यह अथक समर्थन ही इन दोनों बहनों के टेनिस प्रेम की पहली मजबूत नींव थी।

एक हॉकी खिलाड़ी का टेनिस स्कूल

एडुआर्ड के लिए, हॉकी से टेनिस में आना एक बिल्कुल नई दुनिया में कदम रखने जैसा था। एक पूर्व पेशेवर खिलाड़ी होने के नाते, उन्हें खेल के अनुशासन और समर्पण का ज्ञान तो था, लेकिन टेनिस की बारीकियां उनके लिए भी नई थीं। वे खुद को `ट्रेनर` नहीं मानते थे, बल्कि एक `सहयात्री` के रूप में उन्होंने इस यात्रा को सीखा। उन्होंने दूसरों को काम करते हुए देखा, मॉस्को के विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों से जानकारी जुटाई, और धीरे-धीरे टेनिस की दुनिया को समझा। यह किसी भी माता-पिता के लिए एक अनूठी चुनौती है – अपने बच्चे के जुनून को समझने और उसका समर्थन करने के लिए स्वयं एक नया कौशल सीखना।

शुरुआत में, वेरोनिका के साथ एडुआर्ड का मुख्य ध्यान शारीरिक फिटनेस पर था, जबकि पोलिना के साथ उन्होंने खुद को टेनिस कोच की भूमिका में पाया। यह एक जटिल समीकरण था: एक ही छत के नीचे माता-पिता और कोच, दोनों भूमिकाएँ निभाना।

“जब माता-पिता और बच्चा, दोनों कोच और खिलाड़ी होते हैं – लगातार 24 घंटे साथ रहना मुश्किल होता है। आप कुछ और चाहते हैं, वे कुछ और करते हैं…। दूसरे कोच के साथ क्या होता है? आप एक-दूसरे से आराम करते हैं। आप अपने घर चले गए, बच्चा अपने घर चला गया, और अगले दिन सब ठीक हो गया। लेकिन यहाँ आप घर पर भी साथ हैं, होटल में भी साथ हैं, और प्रशिक्षण में भी साथ हैं।”

यह टिप्पणी उस मनोवैज्ञानिक बोझ को दर्शाती है जो इस तरह के संबंध में आता है। इसीलिए, पोलिना के लिए एक अलग कोच रखने का निर्णय लिया गया, जो दर्शाता है कि कभी-कभी पेशेवर दूरी बनाए रखना ही सबसे अच्छा विकल्प होता है। यह सिर्फ एक खेल रणनीति नहीं, बल्कि पारिवारिक सद्भाव बनाए रखने का एक समझदार निर्णय था।

परिवार, कोच और चुनौती का त्रिकोण

पेशेवर खेल में सफलता एक महंगी शर्त है। यह केवल प्रतिभा या कड़ी मेहनत की बात नहीं, बल्कि भारी वित्तीय निवेश, यात्रा के खर्च और विशेषज्ञों की फीस का भी मामला है। एडुआर्ड बताते हैं कि किस तरह एक युवा खिलाड़ी के साथ यात्रा करने वाले कोच का खर्च – टिकट, होटल, भोजन, और वेतन – एक बड़ी चुनौती होती है। और यह सब इस गारंटी के बिना कि आपका बच्चा सफल होगा ही। वे इसे एक “लॉटरी” कहते हैं, जो खेल जगत की कठोर सच्चाई को बयां करता है।

कम उम्र में विदेश यात्रा करना, नए वातावरण में ढलना, और लगातार उच्च स्तर पर प्रदर्शन करना, ये सब बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है। 16-18 साल की उम्र वह नाजुक पड़ाव होता है, जब युवा एथलीट कभी-कभी पूरी तरह हार मान लेते हैं। उन्हें लगता है कि वे यह सब नहीं चाहते, बल्कि यह उनके माता-पिता का सपना है। ऐसे में, मानसिक संतुलन बनाए रखना और उन्हें प्रेरित रखना सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है।

मानसिक युद्ध और जीत की कुंजी

एडुआर्ड की सबसे शक्तिशाली शिक्षा शायद यही थी कि सफलता का सूत्र क्या है। वह अक्सर अपने बच्चों और अन्य युवा एथलीटों से कहते थे:

“यह प्रतिभा पर निर्भर नहीं करता। 1% आपकी प्रतिभा है, और 99% काम है। जो बेहतर काम करेगा, वही खेलेगा। जो जीतना चाहता है, जिसमें खुद को पार करने की इच्छा है, वही खेलेगा।”

यह एक सीधी, परंतु कठोर सच्चाई है। वे उन संभावित प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आगाह करते हैं जो आलस्य या आत्मसंतुष्टि के कारण अपनी क्षमताओं को बर्बाद कर देते हैं। एडुआर्ड उन्हें एक कड़वा भविष्य दिखाते हैं: जब वे सोफे पर बैठकर टीवी देखेंगे, और जिन खिलाड़ियों को उन्होंने कभी खुद से `खराब` समझा था, उन्हें टीवी पर खेलते देखेंगे, उनके प्रायोजकों, उनकी प्रसिद्धि को देखेंगे, तब उन्हें अपनी छोड़ी हुई मेहनत का पछतावा होगा।

यह सिर्फ टेनिस की कहानी नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में लागू होने वाला एक सार्वभौमिक सिद्धांत है। चाहे वह खेल हो, शिक्षा हो, या करियर हो – समर्पण, अनुशासन और कड़ी मेहनत ही सफलता की असली कुंजी है। प्रतिभा एक शुरुआती चिंगारी हो सकती है, लेकिन उसे आग में बदलने के लिए 99% ईंधन पसीना, प्रयास और अदम्य इच्छाशक्ति ही होती है।

खेल से परे एक जीवन पाठ

वेरोनिका और पोलिना कुदेरमेतोवा की कहानी हमें सिखाती है कि पेशेवर खेल का सफर केवल ग्रैंड स्लैम जीतने या रैंकिंग में ऊपर चढ़ने तक सीमित नहीं है। यह उससे कहीं ज़्यादा गहरा है। यह एक परिवार की कहानी है जो एक साझा सपने के लिए एकजुट होकर काम करता है। यह उस माँ की कहानी है जिसने चुपचाप घंटों बलिदान दिया। यह उस पिता की कहानी है जिसने अपने खेल की सीमाओं से बाहर निकलकर अपनी बेटियों के सपनों को अपना बनाया। और सबसे बढ़कर, यह उस अटूट विश्वास की कहानी है कि कड़ी मेहनत, इच्छाशक्ति और अनुशासन किसी भी जन्मजात प्रतिभा से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। यह कहानी सिर्फ टेनिस प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहता है। सफलता की कोई शॉर्टकट नहीं होता, केवल अथक प्रयास का मार्ग ही आपको शिखर तक ले जाता है।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।