विश्व टेनिस में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले रूसी खिलाड़ी करेन खाचानोव इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। विश्व के 10वें नंबर के इस खिलाड़ी के लिए लगातार चार हार कोई छोटी बात नहीं। आखिर क्या वजह है कि शीर्ष वरीयता प्राप्त यह खिलाड़ी अचानक अपनी लय खो बैठा है? यह सवाल सिर्फ प्रशंसकों के मन में ही नहीं, बल्कि खुद खाचानोव के अंदर भी उठ रहा है, और उन्होंने इस पर खुलकर अपनी राय रखी है।
हाल ही में अल्माटी में हुए टूर्नामेंट के दूसरे दौर में जर्मनी के जान-लेनार्ड स्ट्रफ से 6/4, 6/7(5), 3/6 के स्कोर से मिली हार खाचानोव के लिए चौथी लगातार एटीपी हार थी। यह हार उनके संघर्ष को और गहरा करती है, खासकर तब जब उनसे बड़े मंचों पर शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। खेल के इस उतार-चढ़ाव भरे सफर में, जब परिणाम आपके पक्ष में न हों, तो मानसिक दृढ़ता ही सबसे बड़ी पूंजी होती है।
खाचानोव ने अपने प्रदर्शन पर खुलकर बात की है, और उनकी बातें सिर्फ हार-जीत से कहीं ज्यादा गहरी हैं। उन्होंने पिछले साल की गर्मियों को “दबा हुआ” बताया था, जहां वे सकारात्मकता से अधिक नकारात्मकता महसूस कर रहे थे। “एक समय पर मैंने महसूस किया कि मैं खुद पर बहुत अधिक दबाव डालने लगा हूँ,” उन्होंने कहा। यह केवल खेल का मैदान नहीं, बल्कि दिमाग का खेल है, जहाँ एक खिलाड़ी खुद को हर हार के बाद निराश होने से रोकना सीखता है। “यूएस ओपन और पहले चीनी टूर्नामेंट के बाद मुझे एहसास हुआ कि हम हर हफ्ते टूर्नामेंट खेलते हैं, और मैं बस निराश होते-होते थक गया था,” खाचानोव ने स्वीकार किया। उनकी यह टिप्पणी खेल की उस कठोर वास्तविकता को दर्शाती है जहाँ निरंतरता और मानसिक शक्ति ही कुंजी है।
टेनिस, जैसा कि खाचानोव कहते हैं, “एक बहुत ही अजीब खेल है।” कुछ चीजें विश्लेषण योग्य होती हैं, लेकिन कुछ रहस्यमय ढंग से अनसुलझी रह जाती हैं। “अगर आप अपनी मानसिकता में बहुत गहराई तक उतरेंगे, तो यह मेरी मदद नहीं करता,” उन्होंने समझाया। उनकी फिलॉसफी सरल है: यदि आप जानते हैं कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की है, तो परिणाम चाहे कुछ भी हो। खाचानोव का मानना है कि भले ही परिणाम उनके पक्ष में न रहे हों, उनकी खेल की गुणवत्ता में गिरावट नहीं आई है। “मैं 2/6, 2/6 से नहीं हार रहा हूँ। मेरा स्तर अभी भी है – यह न्यूनतम नहीं, बल्कि औसत है,” उन्होंने जोर दिया। एक शीर्ष 10 खिलाड़ी का खुद को `औसत` कहना, कहीं न कहीं उनकी विनम्रता और वास्तविकता को दर्शाता है, या शायद यह खेल की उस जटिलता को, जहाँ `औसत` भी विश्व स्तरीय हो सकता है। सवाल सिर्फ करीबी मैचों को जीतने का है।
पिछली हार के कारणों पर गौर करते हुए, खाचानोव ने यूएस ओपन को अपनी लय बिगाड़ने वाला कारक बताया। “शायद यूएस ओपन ने मुझे थोड़ा लय से हटा दिया,” उन्होंने कहा। इसके अलावा, पीठ दर्द ने भी उन्हें परेशान किया। ये दोनों कारक मिलकर उन्हें अपने सामान्य खेल और कार्यक्रम से थोड़ा विचलित कर गए। यह दर्शाता है कि एक एलीट खिलाड़ी के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का तालमेल कितना महत्वपूर्ण है, और ज़रा सी चूक भी प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।
लेकिन खाचानोव हार मानने वालों में से नहीं हैं। उन्होंने याद दिलाया कि साल की शुरुआत में भी उन्होंने ऐसे ही कुछ करीबी मैच गंवाए थे, लेकिन फिर अपनी फॉर्म वापस हासिल कर ली। अब उनका लक्ष्य है इन “मैचों को इकट्ठा करना,” यानी उन करीबी मुकाबलों को जीत में बदलना। टेनिस जगत उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या खाचानोव अपनी `अजीब` खेल की गुत्थियों को सुलझाकर एक बार फिर शीर्ष पर अपनी जगह बना पाते हैं। उनका दृढ़ संकल्प यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि यह संघर्ष सिर्फ एक अस्थायी पड़ाव है, मंजिल अभी बाकी है।
