कॉल ऑफ ड्यूटी का फिल्मी सपना: जब स्टीवन स्पीलबर्ग के हाथ से फिसला ‘कंट्रोल’

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महान हॉलीवुड निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग और उनकी कल्पनाशीलता ने हमें कई यादगार फिल्में दी हैं। `जुरासिक पार्क` से लेकर `शूलर्स लिस्ट` तक, उनके जादू से कोई अछूता नहीं रहा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा प्रोजेक्ट भी था जिसे वे दिल से करना चाहते थे, पर बात बन नहीं पाई? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं विश्व प्रसिद्ध वीडियो गेम ‘कॉल ऑफ ड्यूटी’ (Call of Duty) के फिल्मी रूपांतरण की। हैरानी की बात यह है कि एक्टिविशन (Activision) ने खुद स्पीलबर्ग के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। क्यों? आइए जानते हैं इस दिलचस्प कहानी को, जहाँ रचनात्मक स्वतंत्रता और कॉर्पोरेट नियंत्रण के बीच एक अदृश्य युद्ध लड़ा गया।

स्पीलबर्ग की चाहत और एक्टिविशन की शर्तें

खबरों के मुताबिक, स्टीवन स्पीलबर्ग ‘कॉल ऑफ ड्यूटी’ फ्रेंचाइजी के बड़े प्रशंसक हैं। वे खुद इस गेम पर आधारित फिल्म का निर्देशन करना चाहते थे, और इसके लिए उन्होंने यूनिवर्सल (Universal) के साथ मिलकर एक्टिविशन से संपर्क भी किया। समस्या उनके शर्तों में थी। स्पीलबर्ग की टीम ने `टॉप-ऑफ-मार्केट` आर्थिक सौदा, फिल्म के निर्माण और मार्केटिंग पर पूर्ण नियंत्रण, और सबसे महत्वपूर्ण – `फाइनल कट` की मांग की। हॉलीवुड की भाषा में `फाइनल कट` का मतलब है कि निर्देशक को फिल्म के अंतिम संस्करण पर आखिरी फैसला लेने का अधिकार होता है। स्पीलबर्ग उन चुनिंदा निर्देशकों में से हैं जिन्हें ऐसी सुविधा मिलती है, जैसे क्वेंटिन टारनटिनो और जेम्स कैमरून। यह एक तरह का रचनात्मक वीटो पावर है।

नियंत्रण की जंग: एक्टिविशन का डर और अतीत के अनुभव

स्पीलबर्ग की इन मांगों ने एक्टिविशन (जो अब माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व में है) के अधिकारियों को कथित तौर पर `डरा` दिया। किसी गेमिंग कंपनी के लिए अपनी सबसे बड़ी और सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ्रेंचाइजी पर इतना कम नियंत्रण छोड़ना एक बड़ा जोखिम था। यह कोई पहली बार नहीं था जब एक्टिविशन ने ‘कॉल ऑफ ड्यूटी’ को बड़े पर्दे पर लाने की कोशिश की हो। 2015 में, उन्होंने एक्टिविशन ब्लिज़ार्ड स्टूडियोज़ की स्थापना की थी और इस गेम के ब्रह्मांड पर कई फिल्में बनाने की योजना बनाई थी। `मॉडर्न वॉरफेयर` और `ब्लैक ऑप्स` जैसी उप-ब्रांड्स पर आधारित फिल्में बनाने की बातें हुईं, लेकिन उनमें से कोई भी कभी हकीकत नहीं बन पाई। शायद यही वजह थी कि एक्टिविशन इस बार नियंत्रण गंवाना नहीं चाहता था, और उन्हें लगा कि स्पीलबर्ग की शर्तें उनकी ब्रांड पहचान के साथ खिलवाड़ कर सकती हैं।

पैरमाउंट की नई पहल और बदली हुई रणनीति

अब, `कॉल ऑफ ड्यूटी` फिल्म पैरमाउंट (Paramount) में बन रही है। डेविड एलिसन, जो स्काईडांस के माध्यम से पैरमाउंट के नए प्रमुख बने हैं, इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे हैं। एलिसन ने घोषणा की है कि वे `कॉल ऑफ ड्यूटी` के बहुत बड़े प्रशंसक हैं और इसका एक वफादार रूपांतरण पर्दे पर लाना चाहते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, एलिसन के प्रस्ताव में एक्टिविशन को “प्रक्रिया पर बहुत अधिक नियंत्रण” दिया गया है, जो कि स्पीलबर्ग के मामले से बिल्कुल उलट है। अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि फिल्म का निर्देशन कौन करेगा या उसमें कौन कलाकार होंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि एक्टिविशन इस बार अपनी शर्तों पर काम कर रहा है।

स्पीलबर्ग और वीडियो गेम: एक जटिल रिश्ता

यह सुनना थोड़ा विडंबनापूर्ण लगता है कि स्पीलबर्ग, जिन्होंने खुद वीडियो गेम से संबंधित कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है, इस प्रोजेक्ट से बाहर हो गए। उन्होंने `हेलो` (Halo) टीवी सीरीज का निर्माण किया था, हालांकि वह दो सीजन के बाद रद्द हो गई। वीडियो गेम की दुनिया में, उन्होंने `मेडल ऑफ ऑनर` (Medal of Honor) सीरीज बनाई थी, जिसे `कॉल ऑफ ड्यूटी` का पूर्ववर्ती माना जाता है। यहाँ तक कि उन्होंने 2008 में पहेली गेम `बूम ब्लॉक्स` का निर्देशन भी किया था।

लेकिन शायद सबसे प्रसिद्ध (या कुख्यात) उदाहरण उनकी फिल्म `ई.टी.` (E.T.) का वीडियो गेम रूपांतरण है, जिसे इतना बुरा माना गया था कि उसके प्रकाशक ने उसकी लाखों प्रतियां रेगिस्तान में दफना दी थीं! तो, हॉलीवुड के इस महानायक को पता है कि एक खराब वीडियो गेम रूपांतरण क्या कर सकता है। शायद एक्टिविशन को यही डर था कि अत्यधिक नियंत्रण एक और `ई.टी.` जैसी स्थिति न पैदा कर दे, भले ही यह स्पीलबर्ग की फिल्म होती! कभी-कभी, महानता भी जोखिम भरी हो सकती है, खासकर जब ब्रांड की प्रतिष्ठा दांव पर हो।

निष्कर्ष: पर्दे के पीछे की कहानी

संक्षेप में, `कॉल ऑफ ड्यूटी` फिल्म के इर्द-गिर्द की कहानी सिर्फ एक फिल्म बनाने की नहीं है, बल्कि यह रचनात्मक स्वतंत्रता और कॉर्पोरेट नियंत्रण के बीच की जंग की कहानी है। एक तरफ स्पीलबर्ग जैसा दूरदर्शी निर्देशक है जो अपनी कला पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है, और दूसरी तरफ एक गेमिंग दिग्गज है जो अपनी अरबों डॉलर की फ्रेंचाइजी की विरासत को बचाना चाहता है। देखना दिलचस्प होगा कि पैरमाउंट और एक्टिविशन मिलकर इस लोकप्रिय गेम को बड़े पर्दे पर कितनी सफलतापूर्वक उतार पाते हैं, और क्या यह दर्शकों तथा गेम के कट्टर प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरा उतर पाता है। इस पूरी घटना से एक बात तो साफ़ है – हॉलीवुड और गेमिंग की दुनिया के बीच की रेखाएँ अब उतनी सीधी नहीं रही हैं, और नियंत्रण की लड़ाई हमेशा चलती रहेगी।

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।