इटालियन फुटबॉल के दिग्गज क्लब जुवेंटस ने हाल ही में अपने दस्ते में दो महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिन्होंने ट्रांसफर बाजार में सबकी निगाहें अपनी ओर खींच ली हैं। यह कोई सीधा-सीधा अदला-बदली का सौदा नहीं है, जैसा कि अक्सर देखा जाता है। इसके बजाय, यह दो अलग-अलग, लेकिन समानांतर ऑपरेशन हैं जो क्लब के वित्तीय स्वास्थ्य और भविष्य की रणनीति को दर्शाते हैं। फुटबॉल के मैदान पर तो मैच जीते जाते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे अक्सर नंबरों का खेल चलता है, और जुवेंटस इस खेल में माहिर होता जा रहा है।
जोआओ मारियो का ट्यूरिन आगमन: `युवा` की परिभाषा पर एक व्यंग्य
पुर्तगाल के युवा विंगर जोआओ मारियो अब आधिकारिक तौर पर ट्यूरिन पहुंच चुके हैं। उनके मेडिकल टेस्ट जेमेडिकल (JMedical) में हुए, जिसके बाद वह कोच ट्यूडोर के प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने के लिए तैयार हैं। जुवेंटस ने इस खिलाड़ी के लिए 12 मिलियन यूरो खर्च किए हैं। कहा जा रहा है कि यह `युवा` खिलाड़ी टीम में एक नई ऊर्जा लाएगा। `युवा` शब्द पर थोड़ा ठहरते हैं। जोआओ मारियो का जन्म 2000 में हुआ था, जिसका मतलब है कि वह अब 25 वर्ष के हो चुके हैं। फुटबॉल की दुनिया में, जहां 30 की उम्र पार करने के बाद भी खिलाड़ी खुद को `अनुभवी` मानने में हिचकिचाते हैं, वहीं 25 साल के खिलाड़ी को `युवा` कहकर पेश करना, शायद इस बात का संकेत है कि क्लब खुद को कितना `युवा` दिखाना चाहता है।
हालांकि, क्लब सूत्रों का कहना है कि जोआओ मारियो को टीम में एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इसका मतलब है कि जुवेंटस अभी भी एक और अधिक अनुभवी खिलाड़ी की तलाश में है, और एटलेटिको मैड्रिड के मोलिना पर उनकी नजरें टिकी हुई हैं। यानी, एक `युवा` आया है, लेकिन उसकी `देखभाल` के लिए `बुजुर्ग` का इंतजार है। यह वैसी ही बात है, जैसे कोई कंपनी नया सॉफ्टवेयर तो ले आती है, लेकिन उसे चलाने के लिए पुराने, आज़माए हुए इंजीनियर की तलाश करती रहती है।
अल्बर्टो कोस्टा की पोर्तो रवानगी: बैलेंस शीट का गणित
दूसरी तरफ, जुवेंटस ने अल्बर्टो कोस्टा को पोर्तो को बेच दिया है। यह कदम क्लब के लिए एक रणनीतिक जीत साबित हुआ है, क्योंकि पोर्तो ने कोस्टा के लिए 16 मिलियन यूरो का भुगतान किया है। पिछले साल जुवेंटस ने उन्हें 14 मिलियन में खरीदा था, जिससे इस सौदे से क्लब को `न्यूनतम पूंजीगत लाभ` (minimal capital gain) हुआ है। अब इसे मुनाफा कहें या बस बैलेंस शीट को थोड़ा सुंदर बनाने का एक तरीका, यह तो समय ही बताएगा।
कोस्टा की विदाई ने जुवेंटस के कुछ प्रशंसकों को राहत दी है। सोशल मीडिया पर उनकी राय यही है कि कोस्टा मैदान पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए थे और उनका जाना टीम के लिए अच्छा है। हालांकि, कुछ अन्य अभी भी क्लब की स्थानांतरण नीति पर सवाल उठा रहे हैं। उनके अनुसार, `खराब` खिलाड़ी को बेचना तो ठीक है, लेकिन उसकी जगह आने वाला खिलाड़ी भी कहीं `उतना ही खराब` न निकल जाए। फुटबॉल में कभी-कभी `कम खराब` चुनना भी एक चुनौती होती है।
जुवेंटस की स्थानांतरण रणनीति का व्यापक चित्र
यह दोहरे स्थानांतरण जुवेंटस की मौजूदा स्थिति का एक स्पष्ट संकेत हैं। क्लब, जिसने कभी सीरी ए पर लगातार नौ साल राज किया था, अब वित्तीय स्थिरता और खेल के मैदान पर सफलता के बीच संतुलन खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है। खिलाड़ियों को लगातार बेचना और खरीदना, छोटी-मोटी `प्लसवालेंजा` (लाभ) कमाना – यह सब उस दूरगामी योजना की कमी को दर्शाता है जिसकी जुवेंटस को सख्त जरूरत है। ऐसा लगता है जैसे जुवेंटस एक ऐसी पुरानी कार है जिसे बार-बार पुर्जे बदलकर चलाया जा रहा है, बजाय इसके कि एक नई, बेहतर गाड़ी खरीदी जाए।
क्रिस्टियानो रोनाल्डो के आगमन और कोविड-19 महामारी ने बेशक क्लब की वित्तीय कमर तोड़ी, लेकिन कुछ प्रशंसकों का मानना है कि `कैल्सियोपोली` (Calciopoli) के बाद क्लब की सबसे बड़ी चुनौती, `अजीबोगरीब` स्थानांतरण नीतियां हैं। जहां अतालांटा और नेपोली जैसे क्लब कम खर्च में बेहतरीन खिलाड़ी ढूंढकर उन्हें महंगे दामों पर बेचकर शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं जुवेंटस एक ऐसे भंवर में फंसता नजर आ रहा है, जहां हर साल नए चेहरों की फौज खड़ी होती है, लेकिन टीम की असली पहचान कहीं खो जाती है।
नए कोच ट्यूडोर के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी। उन्हें इस नए मिश्रण को एक विजयी टीम में ढालना होगा, ऐसी टीम जो न केवल कागज पर अच्छी लगे, बल्कि मैदान पर भी दौड़, अनुशासन और खेल का एक न्यूनतम स्तर दिखा सके – जो कि पिछले कुछ समय से जुवेंटस के खेल से गायब है। उम्मीद है कि ट्यूडोर के पास कोई जादू की छड़ी हो, क्योंकि सिर्फ वित्तीय लाभ कमाने से कप नहीं जीते जाते।
निष्कर्ष: एक अनिश्चित भविष्य की ओर?
कुल मिलाकर, जोआओ मारियो का जुवेंटस में आगमन और अल्बर्टो कोस्टा की पोर्तो में विदाई, सिर्फ दो खिलाड़ियों के आवागमन से कहीं अधिक है। यह एक ऐसे क्लब की कहानी है जो अपने गौरवशाली अतीत और अनिश्चित भविष्य के बीच खड़ा है। क्या यह `युवा और अनुभवी` का मिश्रण जुवेंटस को फिर से शीर्ष पर लाएगा, या यह सिर्फ बैलेंस शीट को सुंदर बनाने का एक और प्रयास साबित होगा? यह तो आने वाला सीज़न ही बताएगा। फुटबॉल प्रेमियों की निगाहें इस पर टिकी हैं – कहीं इस `जटिल खेल` में जुवेंटस अपना ही खेल न बिगाड़ दे।