जीवन की सबसे बड़ी जंग: अकिले पोलोनारा का ल्यूकेमिया से संघर्ष

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एक चैंपियन की अटूट आत्मा

खेल की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो अपने प्रदर्शन से इतिहास रचते हैं। इटली के बास्केटबॉल स्टार अकिले पोलोनारा भी इन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने चार अलग-अलग देशों में राष्ट्रीय खिताब जीते हैं, और एक बार कैंसर को भी मात दी है। लेकिन, 33 साल की उम्र में, अकिले अब अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मैच खेल रहे हैं – उनका मुकाबला माइलॉयड ल्यूकेमिया से है। यह एक ऐसी चुनौती है जो कोर्ट पर खेले गए किसी भी गेम से कहीं अधिक कठिन है।

जुलाई की शुरुआत में, अकिले ने कीमोथेरेपी और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए स्पेन के वालेंसिया शहर का रुख किया। जब उन्हें पहली बार इस बीमारी का पता चला, तो उनका दिल टूट गया। उन्होंने अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां करते हुए कहा:

`निराशा। दो साल पहले एक ट्यूमर से लड़ने के बाद, इस बार एक और गंभीर बीमारी का पता चलने पर मुझे लगा जैसे मेरी दुनिया ही खत्म हो गई हो। मैंने सोचना शुरू कर दिया: `मुझसे ही क्यों? मैंने ऐसा क्या गलत किया?` इस बीमारी के आगे, पहले वाली बीमारी कुछ भी नहीं थी। जब मैंने `ल्यूकेमिया` शब्द सुना, तो इसे मौत से जोड़ दिया। यह डरावना है।`

इटली में इस विशेष उपचार प्रोटोकॉल की अनुपलब्धता के कारण उन्हें वालेंसिया जाना पड़ा। पहले कीमोथेरेपी चक्र के बाद उन्हें मतली और पेट दर्द जैसी समस्याएं हुईं, लेकिन उनकी दृढ़ता कम नहीं हुई। अकिले की सबसे बड़ी ताकत उनका परिवार है, जो इस कठिन समय में उनके साथ चट्टान की तरह खड़ा है। उनकी पत्नी एरिका, चार साल की बेटी विटोरिया और दो साल का बेटा अकिले जूनियर उनके साथ वालेंसिया में एक किराए के घर में रह रहे हैं। उनकी सास ने भी अपनी नौकरी छोड़कर उनकी देखभाल के लिए पूरा समय दिया है। अकिले कहते हैं, `परिवार का पास होना एक अद्भुत अहसास है, यह मुझे लड़ने की शक्ति देता है।`

खेल जगत से भी उन्हें अथाह समर्थन मिल रहा है। इटली की नेशनल बास्केटबॉल टीम के उनके साथी और कोच उनके साथ लगातार संपर्क में हैं। अकिले बताते हैं, `मैं हर दिन दो-तीन टीम साथियों से बात करता हूं। नेशनल टीम के मेरे साथी मेरे साथ खड़े हैं, खासकर गैलीनारी और टोनुट। और स्पिसू, वह मेरे भाई जैसा है।` उनके कोच पॉज़्ज़ेको भी प्रतिदिन उनसे संपर्क बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा, `मुझे इटालियन बास्केटबॉल परिवार की निकटता महसूस हुई है।` विर्तस बोलोग्ना के साथ इटालियन चैंपियनशिप जीतने के बाद, उनके साथियों ने अस्पताल में उनसे मुलाकात की और स्कुडेटो ट्रॉफी उन्हें सौंपी। यह उनके लिए एक बेहद भावुक क्षण था, जो यह दर्शाता है कि खेल सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं है, बल्कि एक परिवार का निर्माण भी करता है।

जिस खिलाड़ी ने अपने करियर में इतने खिताब जीते, जिसने कोर्ट पर हर चुनौती का सामना किया, आज उसकी प्राथमिकताएं पूरी तरह से बदल गई हैं। `इस समय मैं बास्केटबॉल के बारे में नहीं सोच रहा हूं,` अकिले स्पष्ट करते हैं। `मैं यहां जो कर रहा हूं, उस पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। मेरा लक्ष्य सामान्य जीवन में लौटना है, अगर उसके बाद बास्केटबॉल है, तो बहुत अच्छा। अभी यह प्राथमिकता नहीं है।`

दिलचस्प बात यह है कि अस्पताल में रहते हुए भी, अकिले बास्केटबॉल ट्रांसफर बाजार की खबरों पर नजर रखते हैं। शायद एक खिलाड़ी के लिए, मैदान से दूर रहने पर भी खेल से पूरी तरह से कट पाना असंभव होता है। या शायद यह सिर्फ इस बात का संकेत है कि एक बार जब आप चैंपियन बन जाते हैं, तो आपकी जिज्ञासा और प्रतिस्पर्धा की भावना कभी नहीं मरती, भले ही आप जीवन की सबसे कठिन चुनौती का सामना कर रहे हों। अपने बच्चों को उन्होंने बताया है कि उन्हें `एक वायरस` है, क्योंकि छोटे बच्चों को सच्चाई समझाना मुश्किल है। यह एक पिता का अपने बच्चों को चिंता से बचाने का कोमल प्रयास है।

अकिले पोलोनारा की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की बीमारी से लड़ने की कहानी नहीं है, बल्कि यह मानवीय भावना की अदम्य शक्ति का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी बड़ी चुनौती क्यों न आए, परिवार, दोस्तों और एक अटूट इच्छाशक्ति के साथ हम हर बाधा को पार कर सकते हैं। जैसा कि अकिले ने कहा है, `मौत डरावनी है, लेकिन मैं जीतूंगा।` और हम सभी उनके साथ हैं, इस विश्वास के साथ कि यह चैंपियन अपनी सबसे बड़ी लड़ाई भी जीतेगा और एक बार फिर सामान्य जीवन की ओर लौटेगा।

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।