जियांगमेन, चीन में आयोजित एफआईवीबी मेन्स U21 वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक नाम खूब चर्चा में रहा – ताकुमा कावानो। 19 वर्षीय यह युवा जापानी खिलाड़ी न केवल अपनी टीम का सबसे कम उम्र का आउटसाइड हिटर है, बल्कि उसने अपने प्रदर्शन से यह भी साबित कर दिया है कि वह भविष्य का एक बड़ा सितारा है। उसकी यह यात्रा साधारण नहीं रही, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव और सीखने की ललक ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है।
इतालवी धरती पर मिला पहला `झटका` और सीखा नया पाठ
जापान में रहते हुए ताकुमा कावानो को शायद ही कभी नेट पर ऐसी चुनौती का सामना करना पड़ा था, जहाँ विरोधी खिलाड़ी उसे पूरी तरह से ब्लॉक कर दें। लेकिन इटली में गैस सेल्स ब्लूएनर्जी पियासेंज़ा के साथ दो महीने की इंटर्नशिप ने उसे पहली बार असली चुनौती का स्वाद चखाया। वहाँ उसे एहसास हुआ कि ऊंचे और मजबूत ब्लॉकों के खिलाफ स्कोर करना कितना मुश्किल हो सकता है।
कावानो याद करते हैं, “तब तक, मैं केवल जापानी खिलाड़ियों के खिलाफ खेला था, इसलिए मुझे ऊपर से ब्लॉक किए जाने की निराशा या ऊंचे ब्लॉकों के खिलाफ स्कोर करने का तरीका नहीं पता था।” उन्होंने आगे कहा, “इटली में, मैंने ऊंचे ब्लॉकरों से निपटने के विभिन्न तरीके सीखे और पाया कि मेरे अपने कौशल कहाँ प्रभावी हो सकते हैं। इसने मुझे आत्मविश्वास दिया, और इस टूर्नामेंट में इसने मेरी बहुत मदद की है।” यह अनुभव केवल खेल का नहीं, बल्कि व्यक्तित्व के विकास का भी था, जिसने उसे एक खिलाड़ी के रूप में और अधिक परिपक्व बनाया।
जापान से वैश्विक मंच तक का सफर
1.97 मीटर लंबे ताकुमा कावानो ने संदाई गाकुएन हाई स्कूल से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अब वासेदा विश्वविद्यालय में नामांकित हैं। उनका स्कूल वॉलीबॉल से विश्व मंच तक का उदय तेजी से हो रहा है। वे अपनी युवावस्था के बावजूद जापान की U21 टीम में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
कावानो कहते हैं, “मेरे लिए, यह इटली में प्रतिस्पर्धा करने से ज्यादा बढ़ने की जगह थी।” वह आगे कहते हैं, “मुझे नहीं पता कि मैं दोबारा जाऊंगा या नहीं, लेकिन मैं अपने कौशल में सुधार करना चाहता हूं ताकि मैं शीर्ष स्तर के विरोधियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम खिलाड़ी बन सकूं।” यह उनकी निरंतर सीखने और बेहतर बनने की इच्छा को दर्शाता है।
हार से सीखा जीत का मंत्र
चीन में भी उनकी सीखने की प्रक्रिया जारी रही। विश्व चैंपियनशिप से पहले, जापान ने इटली, पोलैंड और मेजबान देश के खिलाफ दोस्ताना मैच खेले। परिणाम ज्यादातर सीधे सेटों में हार थे, लेकिन कावानो का कहना है कि वे मैच भी बहुमूल्य तैयारी साबित हुए।
उन्होंने बताया, “हम 3-0 या 3-1 से हारे, लेकिन हमने ब्लॉकिंग और डिफेंस का उपयोग करना बहुत कुछ सीखा।” “आखिरी दो मैचों तक, हमारा डिफेंस बहुत बेहतर हो गया था, और वह अनुभव हमारे लिए वास्तव में मूल्यवान था।” यह दिखाता है कि हार केवल एक पड़ाव है, मंजिल नहीं, और एक सच्चे खिलाड़ी के लिए हर अनुभव सीखने का अवसर होता है। पूल प्ले में बुल्गारिया के खिलाफ पांच सेटों का कड़ा मुकाबला भी जापान और कावानो के लिए एक बड़ा सीखने का अनुभव था, जिसने उनकी कमजोरियों को उजागर किया और सुधार की दिशा दिखाई।
प्रेरणा और भविष्य की उड़ान
युकी इशिकावा और रान ताकाहाशी जैसे जापानी खिलाड़ियों के विदेशों में बढ़ते कद से भी कावानो को प्रेरणा मिली है। वह कहते हैं, “यह खास लगता है। मैं अभी बहुत छोटा हूं, और इस टूर्नामेंट में मैं टीम के सबसे युवा सदस्यों में से एक हूं। उस आंदोलन का हिस्सा बनना मेरे लिए वास्तव में प्रेरक है।”
पहले से ही जापान के सीनियर पूल में शामिल ताकुमा कावानो U21 मंच को अपनी उन्नति में अगला कदम मानते हैं। उनका लक्ष्य है कि जो कुछ भी उन्होंने यहाँ सीखा है, उसे सीनियर स्तर पर भी सफलता प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल करें। जियांगमेन में, कावानो U21 विश्व चैंपियनशिप में जापान के शीर्ष स्कोरर रहे हैं, जो उनकी प्रतिभा और सीनियर टीम में जगह बनाने के उनके दावे को मजबूत करता है।
निष्कर्ष
ताकुमा कावानो की कहानी सिर्फ वॉलीबॉल के बारे में नहीं है, बल्कि यह दृढ़ संकल्प, अनुकूलन और अंतरराष्ट्रीय अनुभवों को अपनी ताकत में बदलने की कहानी है। एक युवा खिलाड़ी के रूप में उन्होंने जिस तरह से चुनौतियों का सामना किया और उनसे सीखा, वह कई उभरते खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है। U21 विश्व चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन उनके उज्ज्वल भविष्य का संकेत है, और इसमें कोई संदेह नहीं कि वह जल्द ही जापान की सीनियर वॉलीबॉल टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य बनेंगे। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती और हर मुश्किल एक नया अवसर लेकर आती है।