फुटबॉल के मैदान पर कुछ मैच ऐसे होते हैं जो केवल स्कोरलाइन के लिए याद नहीं रखे जाते, बल्कि अपने रोमांच, उतार-चढ़ाव और कभी न हार मानने वाले जज्बे के लिए अमर हो जाते हैं। इटली और इजरायल के बीच खेला गया विश्व कप क्वालिफिकेशन मुकाबला बिल्कुल ऐसा ही था – एक ऐसा मैच जिसमें इटली ने भले ही 5-4 से जीत दर्ज की, लेकिन यह विजय कहानी से कहीं ज्यादा सवाल छोड़ गई। यह सिर्फ तीन अंक नहीं थे, बल्कि एक दिल दहला देने वाला अनुभव था जिसने प्रशंसकों को सीट से बांधे रखा और कोच को शायद रात भर सोने नहीं दिया।
गोलों का अंबार और रक्षात्मक दुःस्वप्न
हंगरी के डेब्रेसेन में खेले गए इस मुकाबले की शुरुआत ही कुछ ऐसी थी, जिसने इटली के प्रशंसकों को अपनी पुरानी मजबूत रक्षापंक्ति की याद दिला दी। मैच के शुरुआती पंद्रह मिनट में ही इज़राइल ने लोकेटेलि के आत्मघाती गोल की बदौलत बढ़त हासिल कर ली। यह तो सिर्फ शुरुआत थी। गैटूसो के मार्गदर्शन में, इटली की टीम ने शुक्रवार को एस्टोनिया के खिलाफ जो संयम दिखाया था, वह इस मैच में नदारद था। रक्षात्मक रूप से टीम बिखरी हुई नजर आ रही थी, मानो किसी ने अचानक दरवाजों की जगह जाली लगा दी हो। इजरायली खिलाड़ियों ने इटली की बाईं ओर की कमजोरी का भरपूर फायदा उठाया और बीच-बीच में खतरे पैदा करते रहे।
हमलावरों का जादू और जीत का जज्बा
एक तरफ जहां इटली की रक्षापंक्ति पानी मांग रही थी, वहीं दूसरी तरफ उसके हमलावर आग उगल रहे थे। मोइसे कीन ने दो शानदार गोल दागकर टीम को संकट से निकाला। उनके पहले गोल ने इटली को 1-1 की बराबरी पर ला खड़ा किया, और दूसरे ने इजरायल की 2-1 की बढ़त को तुरंत 2-2 में बदल दिया। ऐसा लग रहा था कि इटली ने अपने पिछले दिनों के महान रक्षकों की विरासत को हमलावरों के कंधों पर डाल दिया है।
इसके बाद, गैटूसो की टीम ने बढ़त बनाई। रासपाडोरी, जो एस्टोनिया के खिलाफ भी बेंच से आकर गोल कर चुके थे, ने एक बार फिर ऐसा ही किया और इटली को 4-2 की आरामदायक बढ़त दिला दी। पोलिटानो ने भी गोल करके इस गोलFest में अपना योगदान दिया। ऐसा लग रहा था कि मैच खत्म हो चुका है, लेकिन इटली की कहानी में एक और मोड़ आना बाकी था।
आखिरी मिनटों का ड्रामा और टोनाली का नायकत्व
फुटबॉल में कहा जाता है कि जब तक आखिरी सीटी न बज जाए, तब तक कुछ भी हो सकता है। इटली ने इस कहावत को सच साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 4-2 की बढ़त के बाद, इटली की रक्षात्मक गलतियों ने फिर से सिर उठाया। इजरायल ने दो मिनट के भीतर दो गोल दागकर स्कोर 4-4 कर दिया! स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया। प्रशंसकों के दिलों की धड़कनें तेज हो गईं। यह इटली के लिए विश्व कप के सपनों का अंत हो सकता था।
लेकिन तभी, टीम में एक ऐसा खिलाड़ी था जिसने हार नहीं मानी। सैंड्रो टोनाली ने मैच के अतिरिक्त समय में एक बेहतरीन क्रॉस-शॉट लगाया, जो सीधे गोलपोस्ट में जा धंसा। स्कोर 5-4, और इटली ने अविश्वसनीय तरीके से जीत दर्ज कर ली। यह एक ऐसी जीत थी जिसने गैटूसो के चेहरे पर राहत की मुस्कान लाई होगी, लेकिन साथ ही उनकी माथे पर चिंता की लकीरें भी गहरी कर दी होंगी।
कोच गैटूसो की चुनौती
नए कोच जेन्नारो गैटूसो के लिए यह मैच किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था। दो मैचों में 6 अंक हासिल करना एक अच्छी शुरुआत है, खासकर जब टीम ने 10 गोल दागे हों। लेकिन चार गोल खाना, जिसमें दो आत्मघाती गोल भी शामिल हैं, एक ऐसी बात है जिसे कोई भी कोच नजरअंदाज नहीं कर सकता। इटली, जो कभी अपनी `कैटनेचियो` (मजबूत रक्षात्मक खेल) के लिए जानी जाती थी, अब एक ऐसी टीम बन गई है जो जितनी तेजी से गोल करती है, उतनी ही तेजी से उन्हें गंवा भी सकती है।
प्रशंसकों में भी बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग कहते हैं कि यह आधुनिक फुटबॉल है जहां हमला ही सर्वश्रेष्ठ रक्षा है, जबकि कुछ पुराने स्कूल के फुटबॉल प्रेमी अपनी मजबूत रक्षापंक्ति के दिनों को याद कर रहे हैं। वे सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह रक्षापंक्ति विश्व कप के दबाव भरे नॉकआउट मैचों में टिक पाएगी।
विश्व कप की दौड़ और आगे की राह
इस जीत के साथ इटली विश्व कप क्वालिफिकेशन समूह में दूसरे स्थान पर बना हुआ है, हालांकि नॉर्वे के पास एक मैच कम है और वे आसानी से मोल्दोवा को हराकर अपनी बढ़त बढ़ा सकते हैं। गैटूसो और उनकी टीम के लिए आगे की राह आसान नहीं है। उन्हें न केवल अपनी हमलावर शक्ति को बनाए रखना होगा, बल्कि अपनी रक्षात्मक कमियों को भी दूर करना होगा।
यह मैच सिर्फ एक स्कोरकार्ड नहीं था; यह इटली के फुटबॉल की वर्तमान दुविधा का प्रतिबिंब था – एक ऐसी टीम जो गोलों का अंबार लगा सकती है, लेकिन जो हर पल अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने को तैयार रहती है। अब देखना यह है कि क्या गैटूसो इस “दिलचस्प” शैली को विश्व कप की सफलता में बदल पाते हैं, या फिर यह रोमांचक खेल केवल एक रोमांचक याद बनकर रह जाएगा।