इटली की महिला वॉलीबॉल टीम ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। बैंकॉक में FIVB महिला विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीतकर, उन्होंने न केवल अपनी झोली में दूसरा विश्व कप डाला है, बल्कि वॉलीबॉल इतिहास के पन्नों में एक नया, सुनहरा अध्याय भी जोड़ दिया है। यह सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि अदम्य इच्छाशक्ति, वर्षों के समर्पण और अद्वितीय टीम वर्क का परिणाम है, जिसने उन्हें `लीजेंड` की श्रेणी में खड़ा कर दिया है। खेल जगत में ऐसे पल कम ही आते हैं, जब कोई टीम इतनी निरंतरता और प्रभुत्व के साथ शिखर पर काबिज होती है।
बैंकाक में महासंग्राम: तुर्की को हराकर रचा इतिहास
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित इस महाकुंभ का फाइनल मैच इटली और तुर्की के बीच खेला गया। यह मुकाबला किसी फिल्मी थ्रिलर से कम नहीं था, जहाँ हर सेट के साथ दर्शकों की धड़कनें तेज होती जा रही थीं। पाँच सेट तक चले इस रोमांचक मुकाबले में, इटली की अज़ूर्रे (जैसा कि इटली की राष्ट्रीय टीमों को प्यार से कहा जाता है) ने 3-2 (25-23, 13-25, 26-24, 19-25, 15-8) से जीत दर्ज की। यह जीत दर्शाती है कि दबाव में भी यह टीम कैसे शांत रहकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती है। दूसरे और चौथे सेट में पिछड़ने के बाद भी हार न मानने का उनका जज्बा ही उन्हें चैंपियन बनाता है। क्या खूब कहा गया है, “जब हौसले बुलंद हों, तो पहाड़ भी रास्ता दे देते हैं।” इस टीम ने इसे सच कर दिखाया।
माल्पेंसा में वीरोचित स्वागत: एक राष्ट्र का गौरव
अपनी शानदार जीत के कुछ ही घंटों बाद, जैसे ही इटली की टीम दुबई होते हुए मालपेंसा हवाई अड्डे पर उतरी, उनका स्वागत किसी सुपरस्टार से कम नहीं था। सोमवार दोपहर 2:30 बजे (स्थानीय समय) जब कप्तान अन्ना डेनेसी ने विश्व कप ट्रॉफी को ऊपर उठाया, तो पूरे टर्मिनल में तालियों और नारों की गूँज सुनाई दी। खिलाड़ियों के लिए यह सिर्फ एक स्वागत नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का स्नेह और गर्व था। थकावट के बावजूद, खिलाड़ियों ने प्रशंसकों के साथ सेल्फी खिंचवाई, ऑटोग्राफ दिए और इंटरव्यू दिए। वे जानते थे कि यह पल कितना अनमोल है। फेडरेशन के अधिकारी भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने, जो इस बात का प्रमाण है कि यह जीत पूरे देश के लिए कितनी मायने रखती है। यह दृश्य बता रहा था कि खेल सिर्फ खेल नहीं, यह राष्ट्रीय पहचान और सम्मान का प्रतीक है।
एक स्वर्णिम युग की शुरुआत: `ट्रिपल क्राउन` का ताज
यह जीत इटली के लिए केवल एक खिताब नहीं है, बल्कि एक असाधारण 15 महीनों की पराकाष्ठा है। इस दौरान इटली ने लगातार वॉलीबॉल नेशंस लीग (VNL) के खिताब जीते, पेरिस में ओलंपिक स्वर्ण पदक अपने नाम किया और अब विश्व चैंपियनशिप भी हासिल कर ली। उन्होंने अपनी अजेय यात्रा को 36 मैचों तक पहुँचा दिया है, जो अपने आप में एक अविश्वसनीय रिकॉर्ड है। इस विश्व कप के साथ, इटली ने वॉलीबॉल के इतिहास में एक दुर्लभ `ट्रिपल क्राउन` भी पूरा कर लिया है, जिसका अर्थ है कि वे एक साथ ओलंपिक, वॉलीबॉल नेशंस लीग और विश्व चैंपियनशिप के वर्तमान चैंपियन हैं। इतिहास में केवल दो अन्य महिला राष्ट्रीय टीमों – 1980 के दशक की शुरुआत में चीन और सहस्राब्दी के मोड़ पर क्यूबा – ने यह उपलब्धि हासिल की थी। इटली अब उन महान टीमों की कतार में शामिल हो गया है, जिनके बारे में आने वाली पीढ़ियाँ कहानियाँ सुनेंगी। यह ऐसा ही है जैसे किसी शतरंज के खिलाड़ी ने एक साथ राजा, रानी और हाथी को मात दे दी हो!
जूलियो वेलास्को, हेड कोच, ने अपनी टीम को “लीजेंडरी” कहकर संबोधित किया। उनका कहना था, “इस समूह में अविश्वसनीय लचीलापन है। लगातार दो पाँच-सेट के कड़े मुकाबलों से निकलकर जीत हासिल करना बताता है कि ये खिलाड़ी किस मिट्टी के बने हैं। यह सिर्फ शारीरिक शक्ति नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता का प्रमाण है।”
सितारे जिन्होंने चमकाया: टीम के नायक
इस जीत के पीछे कई सितारों का योगदान रहा। अनुभवी सेटर अलेसिया ओरो को टूर्नामेंट की सबसे मूल्यवान खिलाड़ी (MVP) और सर्वश्रेष्ठ सेटर चुना गया। उनकी सटीक पासिंग और खेल की समझ ने टीम को हर मुश्किल से निकाला। ड्रीम टीम में उनके साथ लिबेरो मोनिका डी गेनारो और मध्य ब्लॉकर अन्ना डेनेसी भी शामिल थीं, जो इटली के प्रभुत्व को दर्शाती हैं। फाइनल में, पाओला एगोनु ने 22 अंक बनाकर अपनी धमाकेदार मौजूदगी दर्ज कराई, जबकि आउटसाइड हिटर मिरियम सिला ने 19 अंक जोड़े। बेंच से आईं एकतेरीना एंट्रोपोवा ने निर्णायक क्षणों में महत्वपूर्ण खेल दिखाए, जो टीम की गहराई और लचीलेपन का प्रमाण है। कोच जूलियो वेलास्को की रणनीति और खिलाड़ियों के बीच का सामंजस्य इस जीत की नींव थी। यह टीमवर्क का ही कमाल है कि हर खिलाड़ी ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया और एक-दूसरे के पूरक बने।
विरासत और भविष्य: इतिहास में अमर
2002 में अपने पहले खिताब के बाद, 2018 में रजत और 2022 में कांस्य पदक जीतने वाली इस टीम के पास अब दो विश्व चैंपियनशिप और कुल चार पदक हैं। खिलाड़ियों के लिए घर पर जश्न अभी शुरू ही हुआ है, लेकिन वॉलीबॉल इतिहास में उनकी जगह पहले ही सुनिश्चित हो चुकी है। यह जीत केवल एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है कि कैसे समर्पण और कड़ी मेहनत से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। इटली की महिला वॉलीबॉल टीम ने साबित कर दिया है कि वे सिर्फ खिलाड़ी नहीं, बल्कि वॉलीबॉल के इतिहास के निर्माता हैं। अब देखना यह है कि यह `स्वर्णिम युग` और कितनी नई ऊँचाइयों को छुएगा। पूरी दुनिया की नजरें अब उन पर टिकी हैं, यह जानने के लिए कि क्या वे इस अद्भुत विजय यात्रा को जारी रख पाती हैं!