इतालवी महिला फुटबॉल टीम की अविश्वसनीय वापसी: 28 साल बाद यूरो सेमीफाइनल में गर्जना!

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इटली की क्रिस्टियाना गिरेली नॉर्वे के खिलाफ गोल का जश्न मनाते हुए

जेनेवा के मैदान पर जब अंतिम सीटी बजी, तो इतालवी महिला फुटबॉल टीम के कोच एंड्रिया सोनसिन घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गए। यह सिर्फ एक जीत नहीं थी; यह **28 साल का इंतजार** था, एक ऐसी टीम की वापसी थी जिसने कभी हार न मानने का संकल्प लिया था। इटली ने नॉर्वे को 2-1 से हराकर यूरो 2025 के सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली, जो 1997 के बाद पहली बार हुआ है। उस समय इतालवी लड़कियाँ फाइनल तक पहुँची थीं, लेकिन जर्मनी से हार गई थीं। आज की कहानी कुछ और है, और यह “नो-लिमिट्स” इटली की कहानी है, एक ऐसी टीम की जो हर चुनौती को पार करने का दम रखती है।

पहला हाफ: दबदबा और दबाव

मैच की शुरुआत से ही इतालवी टीम ने आक्रामक रुख अपनाया। नॉर्वे, जो अपने ग्रुप में शीर्ष पर थी और कई वापसी वाली जीत दर्ज कर चुकी थी, इस दबाव के लिए शायद तैयार नहीं थी। कोच सोनसिन की रणनीति, जिसमें **ओलिविएरो** और **बोनान्सी** जैसी अथक खिलाड़ियों को शामिल किया गया था, मैदान पर स्पष्ट रूप से रंग लाई। इटली ने नॉर्वे की स्टार खिलाड़ी **एडा हेगेरबर्ग** को शुरुआती समय में ही शांत रखा, जिससे उनके आक्रमणों में धार नहीं आ पाई।

मैच के 8वें मिनट में **कारुसो** का पहला गोल का अवसर आया, उसके बाद **गिरेली**, **सेवेरिनी** और **बोनान्सी** ने भी प्रयास किए। आधे घंटे के खेल में बोनान्सी ने एक शानदार शॉट लगाया जो पोस्ट के करीब से निकल गया। हालांकि, कुछ ही देर बाद बोनान्सी की एक चूक ने हेगेरबर्ग को एक सुनहरा अवसर दिया, लेकिन वह गोल नहीं कर पाईं। पहले हाफ में दोनों टीमें गोलरहित बराबरी पर रहीं, लेकिन इटली का इरादा और आक्रामक खेल स्पष्ट था। यह ऐसा था जैसे एक कुशल नर्तकी धीमी शुरुआत करती है, लेकिन उसके हर कदम में आगामी तूफान का संकेत होता है।

दूसरा हाफ: नाटक, वापसी और निर्णायक गोल

दूसरे हाफ की शुरुआत में ही इतालवी टीम ने अपने खेल की गति बढ़ाई, और फिर वह पल आया जिसका इंतजार था। **क्रिस्टियाना गिरेली**, **कैंटोर** की तेज दौड़ और सटीक पास से प्रेरित होकर, छोटे से बॉक्स में गेंद पर पैर लगाने में सफल रहीं और इटली 1-0 से आगे हो गया। गिरेली ने जल्द ही अपना दूसरा गोल करने का मौका गंवा दिया, और यहीं से मैच में नॉर्वे की वापसी की उम्मीदें जग गईं। इतालवी टीम ने पहले हाफ में अपनी सारी ऊर्जा लगा दी थी, और अब उन्हें नॉर्वे के पलटवार का सामना करना पड़ रहा था।

फिर आया मैच का विवादास्पद पल। रेफरी **फ्रैपर्ट** ने 13वें मिनट में नॉर्वे को एक संदिग्ध पेनल्टी दी, जो स्पष्ट रूप से ऑफसाइड से प्रभावित लग रही थी। इतालवी टीम के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती थीं। लेकिन भाग्य ने इस बार अज़ूरी (इतालवी टीम के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द) का साथ दिया: **हेगेरबर्ग ने पेनल्टी को बाहर मार दिया**, जिससे इटली की साँसें वापस आईं। हालाँकि, कुछ ही मिनटों बाद, गोलकीपर **जूलियानी** की एक गलती भरी निकासी ने हेगेरबर्ग को फिर से मौका दिया, और इस बार उन्होंने कोई गलती नहीं की, स्कोर 1-1 हो गया। मैच फिर से रोमांचक मोड़ पर आ गया, जैसे कोई पुरानी हिंदी फिल्म का इंटरवल हो जहाँ नायक संकट में फँस जाता है।

इटली एक बार फिर संकट में थी, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति अक्षुण्ण थी। सोनसिन ने टीम में नई ऊर्जा भरने के लिए कुछ अहम बदलाव किए: थक चुकी बोनान्सी की जगह कैंबियागी और सेवेरिनी की जगह ग्रेगी को लाया गया। नॉर्वे ने खेल पर अपना दबदबा बनाए रखा, लेकिन इतालवी टीम शांत और संयमित रही। और फिर, 45वें मिनट में, **कैंटोर के एक और शानदार पास पर गिरेली ने हेडर से अपना दूसरा और मैच का विजयी गोल दागा!** यह फुटबॉल की सुंदरता है – जो आपको एक पल में छीन लेता है, वही अगले ही पल में आपको वापस दे देता है। इस बार आखिरी मिनट इटली के पक्ष में रहा। इसके बाद का अतिरिक्त समय कुछ हद तक भ्रमपूर्ण रहा, लेकिन इतालवी टीम के लिए यह एक जबरदस्त जीत थी, एक ऐसी उपलब्धि जो कुछ साल पहले तो सपने में भी नहीं सोची जा सकती थी।

इटली महिला फुटबॉल टीम जीत का जश्न मनाते हुए

एक नई शुरुआत: `नो-लिमिट्स` इटली

यह जीत सिर्फ एक मैच से कहीं अधिक है। यह एक ऐसी टीम के लिए आशा की किरण है जो कुछ साल पहले संघर्ष कर रही थी, और जिसे अक्सर `कमतर` आंकने वाले आलोचकों का सामना करना पड़ता था। कोच सोनसिन के नेतृत्व में, इन इतालवी लड़कियों ने साबित कर दिया है कि वे वास्तव में “नो-लिमिट्स” वाली टीम हैं। उनकी ऊर्जा, मैदान पर लड़ने की भावना और दिखाया गया कौशल दर्शकों की आँखों में भी चमक भर देता है, चाहे वे पुरुष फुटबॉल के कितने ही बड़े प्रशंसक क्यों न हों। यह जीत महिला फुटबॉल के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो यह दर्शाता है कि जुनून और कड़ी मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है, और खेल में असली रोमांच लिंग से नहीं, बल्कि दिल से आता है।

क्या आप जानते हैं? इटली महिला फुटबॉल टीम 1997 में यूरो कप के फाइनल तक पहुंची थी, जहाँ उन्हें जर्मनी से हार का सामना करना पड़ा था। इस जीत के साथ, वे 28 साल बाद फिर से सेमीफाइनल में पहुंची हैं, जो उनके संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानी कहता है।

अब इतालवी टीम का सामना सेमीफाइनल में होगा, जहाँ उन्हें एक और कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा। 1997 की यादें ताज़ा हैं, लेकिन यह एक नई टीम है, नए सपने हैं और एक नया आत्मविश्वास है। क्या वे इतिहास रच पाएंगी और फाइनल में जगह बना पाएंगी? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन एक बात निश्चित है: इस इतालवी टीम ने दिखा दिया है कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं, और उनके खेल में एक ऐसी ऊर्जा है जो हर देखने वाले को मोहित कर लेती है। वे अब सिर्फ फुटबॉल नहीं खेलतीं, वे एक कहानी लिख रही हैं – साहस, वापसी और अदम्य भावना की कहानी।

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।