फुटबॉल ट्रांसफर बाजार एक जटिल शतरंज का खेल है, जहाँ हर चाल मायने रखती है। कभी-कभी, खिलाड़ी की इच्छाएं और क्लब की जरूरतें आपस में इस कदर उलझ जाती हैं कि मामला `बांहों की कुश्ती` में बदल जाता है। ऐसा ही कुछ इंटर मिलान और उनके अल्बानियाई मिडफील्डर क्रिस्टजान असलानी के बीच देखने को मिल रहा है।
एक जिद्दी मिडफील्डर और 15 मिलियन का दांव
क्रिस्टजान असलानी, पूर्व एंपोली खिलाड़ी, इंटर मिलान के लिए ट्रांसफर बाजार में एक कांटा बन गए हैं। क्लब उन्हें बेचना चाहता है, और स्पेनिश क्लब बेटिस ने 15 मिलियन यूरो के एक ठोस ऑफर के साथ स्थायी स्थानांतरण का प्रस्ताव भी दिया था। इंटर के लिए यह एक अच्छा वित्तीय प्रस्ताव था, खासकर ऐसे समय में जब क्लब को संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। लेकिन असलानी ने इस ट्रांसफर को साफ-साफ ठुकरा दिया। उनका तर्क सीधा है: वह इटली के बाहर किसी भी क्लब में नहीं जाना चाहते और सीरी ए में ही खेलना जारी रखना चाहते हैं।
यहां विडंबना यह है कि जब आप अपने क्लब की योजना में फिट नहीं बैठते हैं और एक आकर्षक प्रस्ताव ठुकराते हैं, तो यह आपकी “सीरी ए के प्रति वफादारी” से ज्यादा “बाजार की वास्तविकताओं से आंखें मूंदने” जैसा लगता है। असलानी, जो मिलान में अपने ठिकाने पर मुस्कुराते हुए दिखे, शायद यह भूल गए कि फुटबॉल केवल पिच पर नहीं, बल्कि मेज पर भी खेला जाता है।
इंटर की मजबूरी और असलानी का गतिरोध
इंटर मिलान के लिए यह स्थिति परेशानी भरी है। उन्होंने असलानी को स्पष्ट कर दिया है कि मिडफ़ील्ड में पहले से ही कई खिलाड़ी हैं, और हाल ही में सुसिच जैसे खिलाड़ियों के आने से उनकी जगह और कम हो गई है। सीधे शब्दों में कहें तो, वह अब टीम की मुख्य योजना का हिस्सा नहीं हैं। इंटर चाहता है कि असलानी को उनकी सही कीमत पर बेचा जाए, ताकि उस पैसे का इस्तेमाल नए खिलाड़ियों में निवेश करने या क्लब की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए किया जा सके। लेकिन असलानी का जिद्दी रुख इसमें बाधा डाल रहा है।
क्लब को पता है कि असलानी के लिए इटली के बाहर ही अच्छे प्रस्ताव आ रहे हैं, जहाँ उनकी मांग और मूल्यांकन उचित है। लेकिन सीरी ए में कोई भी इतालवी क्लब इंटर की मांगों को पूरा करने को तैयार नहीं है। ऐसे में यह गतिरोध एक गंभीर समस्या बन गया है।
आगे क्या? `कड़ा रुख` या `लोन` का विकल्प
यदि असलानी अपना मन नहीं बदलते, तो इंटर के पास कुछ ही विकल्प बचते हैं। एक संभावित समाधान उन्हें `लोन` पर भेजना होगा, लेकिन इंटर इस रास्ते पर जाने से बचना चाहता है। लोन का मतलब है कि खिलाड़ी की सैलरी का बोझ अक्सर आंशिक रूप से क्लब पर बना रहता है, और उसे बेचने से मिलने वाला पैसा तुरंत नहीं मिलता। यह एक ऐसा कदम है जो क्लब के लिए कम फायदेमंद होता है।
यह स्थिति `बांहों की कुश्ती` जैसी है जहाँ न तो खिलाड़ी हार मानने को तैयार है और न ही क्लब अपने वित्तीय हितों से समझौता करना चाहता है। यदि यह गतिरोध जारी रहता है, तो इंटर को `कड़ा रुख` अपनाना पड़ सकता है, जिसका मतलब यह हो सकता है कि असलानी को पूरे सीजन बेंच पर बैठना पड़े या उन्हें अंडर-23 टीम में धकेल दिया जाए। यह किसी भी खिलाड़ी के करियर के लिए अच्छा नहीं होता, खासकर तब जब वह अपने खेल के सर्वश्रेष्ठ वर्षों में हो।
फुटबॉल बाजार में खिलाड़ियों की इच्छाएं महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन क्लब के वित्तीय स्वास्थ्य और टीम की जरूरतों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। असलानी के मामले में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी “सीरी ए प्रेम” क्लब के `कड़े रुख` के आगे टिक पाता है, या उन्हें अंततः अपने भविष्य को बचाने के लिए एक कड़वा घूंट पीना पड़ता है।