ग्लैमरस तलवारबाजी की ‘दिव्य डोडी’ से अल्ट्रासाइक्लिंग की अदम्य महारानी: डोराना वैकारोनी का अद्वितीय सफर

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इटालियन तलवारबाजी के गलियारों में, एक नाम गूँजता था: `दिव्य डोडी` – डोराना वैकारोनी। उनकी कलाबाजी, उनका ग्लैमर और पोडियम पर उनकी चमक, सब कुछ उस समय के लिए एक नई हवा थी। लेकिन जब उन्होंने तलवार छोड़कर साइक्लिंग का पैडल संभाला, तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यह `डोडी` पहाड़ों और महाद्वीपों को पार करने वाली एक अल्ट्रासाइक्लिस्ट बन जाएगी। उनका सफर, ग्लैमर से धैर्य और साहस की एक अद्भुत मिसाल है।

डोराना वैकारोनी

तलवारबाजी की चमचमाती दुनिया: `दिव्य डोडी` का उदय

लगभग 14 साल की उम्र में ब्यूनस आयर्स में विश्व चैंपियनशिप में तलवार थामे डोराना ने सबको चौंका दिया था। 16 की उम्र में मॉस्को ओलंपिक (1980) में छठा स्थान हासिल करना, जब प्रतिद्वंद्वी उनकी माँ की उम्र के थे, उनके असीम प्रतिभा का प्रमाण था। वह सिर्फ एक एथलीट नहीं थीं; वह एक फैशन आइकन थीं – मास्क से झांकती चोटी, फिर छोटा हेयरकट, ढेर सारी अंगूठियां और झुमके, चमकीले नाखून, और यहां तक कि गुड लक के लिए उनके बैग में भरवां भालू भी होते थे। उनकी लोकप्रियता चरम पर थी, और शायद यही वजह थी कि कुछ प्रतिस्पर्धियों को उनसे ईर्ष्या होती थी। लेकिन डोराना को इसकी परवाह नहीं थी; उन्हें पता था कि वह कौन हैं और क्या चाहती हैं।

वह हमेशा स्पष्टवादी रहीं। कई बार उन्हें `प्रबंधित करने में मुश्किल` एथलीट माना गया, क्योंकि वह अपनी शर्तों पर जीना पसंद करती थीं। टीम के कमरे में अकेले रहना या अपने विचार खुलकर व्यक्त करना, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती थी, लेकिन उन्हें कभी परवाह नहीं हुई। उन्होंने बताया, “मैं हमेशा सीधी-सपाट बात करती थी। मुझे नहीं पता कि इससे मुझे नुकसान हुआ या नहीं, शायद थोड़ा हुआ होगा, लेकिन मुझे परवाह नहीं है: मैं कभी भी बातों को जैसा हैं वैसा कहने से पीछे नहीं हटती।” जब उन्होंने 30 साल की उम्र में तलवारबाजी छोड़ी, तो वह संतुष्ट थीं। “तलवारबाजी एक शानदार खेल है, लेकिन मुझे अब यह पर्याप्त नहीं लगता था। मुझे अपने अंदर एक और आग महसूस हुई। मैंने वह सब जीत लिया था जो मैं जीतना चाहती थी।”

डोराना वैकारोनी तलवारबाजी करते हुए

अल्ट्रासाइक्लिंग का नया जुनून: सीमाएं तोड़ने का सफर

करीब 25 साल पहले, डोराना को सैन डिएगो में अपनी जिम में स्पिनिंग करते हुए अल्ट्रासाइक्लिंग का कीड़ा लग गया। उन्हें पता चला कि उनके पास असाधारण एरोबिक क्षमता है, जबकि तलवारबाजी के दिनों में उन्हें अक्सर ऐंठन होती थी – विडंबना, है ना? पहले उन्होंने पारंपरिक साइक्लिंग की, यहां तक कि कुछ सीज़न के लिए एक आधिकारिक टीम के लिए भी दौड़ीं, और मास्टर वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी भाग लिया। और फिर… उन्होंने बस अपनी यात्रा लंबी कर दी।

हाल ही में, उन्होंने अल्ट्रासाइक्लिंग डोलोमिटिका (Ultracycling Dolomitica) में भाग लिया, जो 718 किलोमीटर, 22 पहाड़ी दर्रे और लगभग 20,000 मीटर की चढ़ाई का एक दुर्जेय रास्ता है। उन्होंने इसे 47 घंटे से अधिक समय में पूरा किया। “यह वास्तव में बहुत कठिन था,” वह हंसती हैं, “लेकिन भावनाएं अनंत थीं।” जब उनसे पूछा गया कि क्या वह बिना रुके सोती हैं, तो उनका जवाब था: “अरे नहीं! आमतौर पर मैं 1000 किलोमीटर तक बिना सोए रह सकती हूं। और मैं चार रात तक भी बिना सोए रह सकती हूं।” यह सिर्फ दूरी नहीं, यह मानसिक दृढ़ता का खेल है।

डोराना वैकारोनी साइकिल चलाते हुए

रेस अक्रॉस अमेरिका (RAAM) और सहनशक्ति का शिखर

उन्होंने दुनिया की सबसे कठिन अल्ट्रासाइक्लिंग रेस, रेस अक्रॉस अमेरिका (RAAM) में चार बार भाग लिया है, जिसमें प्रशांत से अटलांटिक तक 5000 किलोमीटर और 50,000 मीटर से अधिक की चढ़ाई शामिल है। उन्होंने इसे दो बार जीता है। “यह एक अविश्वसनीय दौड़ है,” वह बताती हैं, “अपने भीतर की यात्रा, प्रतिरोध और लचीलेपन की परीक्षा।” वह 2026 में अपनी पांचवीं RAAM की तैयारी कर रही हैं, जिसका लक्ष्य इसे दस दिनों में पूरा करना है – अभी तक उन्होंने ग्यारह दिनों में इसे पूरा किया है। “मैं यह कर सकती हूँ, मुझे विश्वास है,” वह दृढ़ता से कहती हैं।

जब उनसे पूछा गया कि वह एक साल में कितने किलोमीटर साइक्लिंग करती हैं, तो उनका जवाब था: “लगभग पचास हज़ार।” यह एक ऐसी संख्या है जिस पर कई पेशेवर साइक्लिस्ट भी शायद सिर खुजलाने लगें, मानो कोई कह रहा हो “मैं इतना तो अपनी कार से भी नहीं चलता!” लेकिन डोराना के लिए, यह बस जीवन का हिस्सा है। बारिश हो या धूप, दर्द हो या थकान, उन्हें कभी पीछे हटना नहीं आता। “मैं साइकिल पर अच्छा महसूस करती हूँ। और मैं अपने आप से शांति में रहती हूँ।”

डोराना वैकारोनी मुस्कुराते हुए

कैलिफ़ोर्निया में नया जीवन और एक निःस्वार्थ भावना

डोराना कैलिफ़ोर्निया में करीब एक दशक से रह रही हैं, जहाँ वह सैन डिएगो में फेंसिंग सिखाती हैं और एक मानसिक कोच के रूप में भी काम करती हैं। इटली में उन्हें `घुटन` महसूस होती थी, खासकर जब उन्हें बिना मजिस्ट्रियल डिप्लोमा के अपनी युवा शिष्य, मार्टिना फ़ैवारेट्टो (जो अब विश्व चैंपियन हैं) को कोचिंग देने से रोका गया। “यह बेतुका था,” वह कहती हैं। अमेरिका ने उन्हें खुले दिल से स्वीकार किया, और अब उनके पास इतालवी के साथ-साथ अमेरिकी नागरिकता भी है।

डोराना वैकारोनी सिर्फ एक चैंपियन नहीं हैं; वह एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर जीवन जिया है। उनकी बेटियां, जेसिका (38) और एनेट (26), भी स्वतंत्र हैं, क्योंकि डोराना मानती हैं कि बच्चों को अपने दम पर उड़ना सीखना चाहिए। “मैं वो `हेलिकॉप्टर माँ` नहीं हूँ,” वह स्पष्ट कहती हैं। तलवारबाजी के ग्लैमर से लेकर अल्ट्रासाइक्लिंग की कठोरता तक, उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि सच्ची ताकत और संतुष्टि तब मिलती है जब आप लगातार खुद को चुनौती देते हैं, अपनी सीमाओं को तोड़ते हैं, और हर पड़ाव पर `मैं कर सकती हूँ` की भावना को जीवित रखते हैं। डोराना वैकारोनी: एक अदम्य आत्मा, जो कभी नहीं रुकती, क्योंकि उनका अगला साहसिक कार्य हमेशा इंतजार कर रहा होता है।

डोराना वैकारोनी की तस्वीर

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।