फुटबॉल का अखाड़ा: जब डी ज़ेरबी ने रैबियोट विवाद पर तोड़ी चुप्पी – अनुशासन, माता-प्रबंधक और मार्सेल का भविष्य

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मार्सेल के फुटबॉल क्लब में हालिया दिनों से एक तूफ़ान सा आया हुआ है। इसकी वजह कोई खराब प्रदर्शन या टीम की हार नहीं, बल्कि टीम के भीतर पनपा एक निजी विवाद है, जिसने अब सार्वजनिक रूप ले लिया है। केंद्र में हैं **एड्रियन रैबियोट**, मार्सेल के प्रतिभाशाली मिडफील्डर, और उनके कोच **रॉबर्टो डी ज़ेरबी**। यह कहानी सिर्फ एक झगड़े की नहीं, बल्कि अनुशासन, टीम भावना और आधुनिक फुटबॉल में खिलाड़ियों के आस-पास मौजूद “प्रबंधक मंडली” के जटिल संबंधों की है।

जब मैदान बना रणभूमि: रैबियोट और रोवे का विवाद

सबकी नज़रों से दूर, रेन्नेस में हुए एक प्रशिक्षण सत्र के दौरान, एड्रियन रैबियोट और साथी खिलाड़ी रोवे के बीच तीखी बहस हुई और बात हाथापाई तक पहुँच गई। यह कोई मामूली बहस नहीं थी, बल्कि इतनी गंभीर कि हस्तक्षेप करने के लिए **बॉडीगार्ड्स** को बुलाना पड़ा। ऐसी घटना किसी भी पेशेवर क्लब के लिए गंभीर चिंता का विषय होती है, और मार्सेल में भी यही हुआ।

कोच डी ज़ेरबी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रैबियोट को निलंबित कर दिया। उनका मानना था कि यह एक अस्थायी कदम था, जिससे रैबियोट को अपनी गलती का एहसास होगा और वे पश्चाताप के साथ वापस आएंगे।

“मैं सड़कों से आया हूँ, इसलिए मैं किसी लड़ाई से हैरान नहीं होता। लेकिन मुझे उम्मीद थी कि रैबियोट सिर झुकाए हुए, माफी मांगेगा। और चीजें सामान्य हो जातीं,” डी ज़ेरबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा।

लेकिन, जैसा कि अक्सर होता है, उम्मीदों और वास्तविकता के बीच हमेशा एक महीन रेखा होती है।

माफ़ी की कीमत: देरी और असहमति

डी ज़ेरबी की उम्मीद के विपरीत, रैबियोट तुरंत माफ़ी मांगने नहीं आए। जब वे आए, तो सिर्फ आज ही आए – घटना के कई दिनों बाद। और उनकी माफ़ी के साथ-साथ, उन्हें अपनी सज़ा भी “बहुत कठोर” लगी। यह एक विडंबना ही है कि कुछ खिलाड़ियों के लिए **`माफ़ी`** शब्द उनके साप्ताहिक वेतन के चेक जितना ही दुर्लभ होता है, और जब आता है, तो साथ में अपनी शिकायतें भी लाता है।

डी ज़ेरबी ने एक पिता की तरह रैबियोट से बात की, उन्हें सलाह दी, लेकिन उस सलाह पर अमल करना या न करना रैबियोट पर छोड़ दिया। यह एक ऐसे पिता का रुख था, जो अपने बच्चे की गलतियों को जानता है, लेकिन उसे खुद सुधारने का मौका भी देता है।

माँ का प्रवेश: प्रबंधक का हस्तक्षेप

विवाद को और हवा तब मिली जब रैबियोट की माँ और एजेंट, **वेरोनिक रैबियोट**, मैदान में कूद पड़ीं। उन्होंने डी ज़ेरबी पर “धोखेबाजी” और “असंगति” का आरोप लगाते हुए कहा कि यह झगड़ा सिर्फ एक “बहाना” था और असली मुद्दा “पैसे” का है। उन्होंने रैबियोट की स्थिति की तुलना ग्रीनवुड से भी की, जिस पर डी ज़ेरबी ने स्पष्ट किया कि ग्रीनवुड के मुद्दे व्यक्तिगत थे, जबकि रैबियोट का मामला **”कार्यस्थल के गलत व्यवहार”** का था।

डी ज़ेरबी ने साफ कहा कि इस स्थिति को **”रैबियोट के दल द्वारा बुरी तरह से संभाला गया”**। यह आधुनिक फुटबॉल की एक और जटिलता को दर्शाता है, जहाँ खिलाड़ी के पेशेवर जीवन में उसके निजी संबंधों और व्यावसायिक एजेंटों का गहरा प्रभाव होता है, जो कई बार टीम के संतुलन और अनुशासन को बिगाड़ सकता है।

डी ज़ेरबी का सिद्धांत: अनुशासन सर्वोपरि

डी ज़ेरबी का मानना है कि चाहे आप कोई भी पेशेवर हों – वेटर, वकील या मजदूर – अगर आप अपने वरिष्ठों के सामने झगड़ा करते हैं, तो सिर्फ दो ही विकल्प होते हैं: निलंबन या बर्खास्तगी। फुटबॉल कोई अपवाद नहीं है।

“हमने निलंबन का फैसला किया, और हमें उम्मीद थी कि एक ईमानदार पश्चाताप होगा और यह समझा जाएगा कि फुटबॉल टीम में भी एक पदानुक्रम होता है। यह एक अनिवार्य निर्णय था क्योंकि हमारे बॉडीगार्ड्स को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था।”

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कैसे उन्होंने पहले रैबियोट का समर्थन किया था, उन्हें पेरिस में कप्तान बनाया था और यहां तक कि उन्हें प्रशंसकों से भी बचाया था। उन्होंने रैबियोट को अपने Aix-en-Provence वाले घर में रहने की पेशकश भी की थी, ताकि उन्हें होटल न जाना पड़े। डी ज़ेरबी ने रैबियोट के लिए अपनी परवाह व्यक्त की, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि क्लब के नियमों का सम्मान सर्वोपरि है।

आगे क्या? मार्सेल और रैबियोट का भविष्य

अब, इस विवाद के बाद, एड्रियन रैबियोट **बाजार में हैं**। डी ज़ेरबी के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच सुलह की संभावना कम दिख रही है। एक ऐसे खिलाड़ी के बिना खेलना मुश्किल है, जो रैबियोट के स्तर का हो, लेकिन डी ज़ेरबी स्पष्ट हैं कि वे टीम को पूरा करने के लिए नए खिलाड़ियों की तलाश करेंगे। उन्होंने बाजार बंद होने तक 5-6 नए खिलाड़ियों के शामिल होने की उम्मीद जताई है।

यह घटना आधुनिक फुटबॉल में अनुशासन, खिलाड़ियों के अहंकार, और एजेंटों के प्रभाव पर कई सवाल खड़े करती है। एक सफल टीम सिर्फ व्यक्तिगत प्रतिभाओं का संग्रह नहीं होती, बल्कि एकजुटता, सम्मान और कठोर अनुशासन की नींव पर खड़ी होती है। डी ज़ेरबी का रुख स्पष्ट है: कोई भी खिलाड़ी टीम से बड़ा नहीं होता, और नियमों का सम्मान करना हर किसी के लिए अनिवार्य है। अब देखना यह है कि रैबियोट इस `पितृवत सलाह` पर क्या करते हैं, और मार्सेल इस तूफ़ान के बाद कैसे आगे बढ़ता है।

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।