FIVB का ‘सशक्तिकरण मंत्र’: थाईलैंड से सूरीनाम तक, वॉलीबॉल में विजय गाथाएँ

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खेल जगत में अक्सर कहा जाता है कि प्रतिभा सर्वोपरि है, लेकिन कुछ रणनीतिक निवेश और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के साथ, प्रतिभा निस्संदेह चमक उठती है। अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल महासंघ (FIVB) का `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` (Volleyball Empowerment) कार्यक्रम इस बात का जीता-जागता प्रमाण है। यह सिर्फ पैसे बांटने का कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह `सही जगह, सही समय पर` निवेश कर, टीमों को वैश्विक मंच पर सफलता के शिखर पर पहुंचाने का एक सटीक फॉर्मूला है। हाल ही में दक्षिण पूर्व एशियाई (SEA) वी लीग और कैरिबियन जोनल वॉलीबॉल एसोसिएशन (CAZOVA) अंडर-17 चैंपियनशिप में जो परिणाम देखने को मिले हैं, वे इसी सशक्तिकरण की कहानी कहते हैं।

दक्षिण पूर्व एशियाई वी लीग: एशियाई दिग्गजों का उदय

महिला वॉलीबॉल में दक्षिण पूर्व एशिया हमेशा से ही उत्साह और प्रतिभा का केंद्र रहा है। इस साल की एसईए वी लीग में, मेजबान थाईलैंड ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। यह कोई तुक्का नहीं था; थाईलैंड वॉलीबॉल एसोसिएशन को FIVB के सशक्तिकरण कार्यक्रम से 84,000 अमेरिकी डॉलर का कोच समर्थन और 138,000 अमेरिकी डॉलर के उपकरण मिले हैं। कोच किआटिपोंग राडचटाग्रिएंगकाई की देखरेख में, उनकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और पूरे टूर्नामेंट में अजेय रही, जिसमें उन्होंने फिलीपींस और इंडोनेशिया को हराया।

वियतनाम की टीम ने रजत पदक जीतकर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। उन्हें FIVB से 35,266 अमेरिकी डॉलर का कोच समर्थन और कोच विकास कार्यक्रमों के लिए 18,000 अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त अनुदान मिला है। ऑस्ट्रेलियाई कोच कार्ल लिम के मार्गदर्शन में, वियतनाम ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया, खासकर थाईलैंड के खिलाफ कड़े मुकाबले में, जो पांच सेट तक चला।

फिलीपींस ने कांस्य पदक जीतकर पोडियम पर अपनी जगह बनाई, जो उनकी बढ़ती हुई वॉलीबॉल शक्ति का प्रतीक है। फिलीपींस राष्ट्रीय वॉलीबॉल फेडरेशन को FIVB से कुल 687,500 अमेरिकी डॉलर का जबरदस्त कोच समर्थन मिला है, जिसका एक बड़ा हिस्सा उनकी महिला टीम के लिए समर्पित है। ब्राजील के कोच जॉर्ज एडसन डी ब्रिटो के नेतृत्व में, फिलीपींस टीम ने इंडोनेशिया को हराकर पदक हासिल किया। इसके अलावा, उन्हें 75,000 अमेरिकी डॉलर के वॉलीबॉल उपकरण भी मिले। इस निवेश ने स्पष्ट रूप से टीम के प्रदर्शन में जान फूंक दी है।

टूर्नामेंट की सबसे मूल्यवान खिलाड़ी (MVP) थाईलैंड की 27 वर्षीय पिम्पिचया कोकराम रहीं। इसके साथ ही एक `ड्रीम टीम` भी घोषित की गई, जिसमें तीनों पदक विजेता देशों के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को शामिल किया गया, जो क्षेत्र में वॉलीबॉल की गहराई को दर्शाता है। यह सब कुछ सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि सुनियोजित निवेश का नतीजा है।

सीएज़ोवा अंडर-17 चैंपियनशिप: युवा प्रतिभाओं को मिला मंच

वॉलीबॉल सशक्तिकरण का प्रभाव केवल वरिष्ठ टीमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जमीनी स्तर पर युवा प्रतिभाओं को भी पोषित कर रहा है। जमैका में आयोजित उद्घाटन सीएज़ोवा अंडर-17 वॉलीबॉल चैंपियनशिप में, सूरीनाम और बारबाडोस की टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया, और इसमें भी FIVB का समर्थन स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।

सूरीनाम के वॉलीबॉल फेडरेशन, सुवोबो को FIVB से 157,500 अमेरिकी डॉलर का कोच समर्थन प्राप्त हुआ है। महिला टीमों को कोच मिगुएल मिसीडजांग और लियोनेल मुंदर की विशेषज्ञता का लाभ मिला, जबकि पुरुष टीमों ने कोच कार्लोस ओर्टा फेलॉव के मार्गदर्शन में काम किया।

महिला वर्ग में, सूरीनाम की अंडर-17 टीम ने सभी चार मैच जीतकर स्वर्ण पदक जीता। फाइनल में, उन्होंने बारबाडोस को एक कड़े मुकाबले में 3-2 से हराया। सूरीनाम की 14 वर्षीय प्रतिभाशाली मिडिल ब्लॉकर ज़ोए रोथोफ़ को MVP चुना गया, जो इस कार्यक्रम की सफलता का एक और उदाहरण है कि कैसे यह युवा सितारों को सामने ला रहा है।

पुरुष वर्ग में, बारबाडोस ने सभी चार मैच सीधे सेटों में जीतकर ऐतिहासिक क्षेत्रीय खिताब अपने नाम किया। वहीं, सूरीनाम की पुरुष टीम ने कांस्य पदक जीता, जिसने उनके देश के वॉलीबॉल विकास में एक और मील का पत्थर जोड़ा। बारबाडोस के 14 वर्षीय सेटर डैनियल रीस को टूर्नामेंट का MVP चुना गया।

सशक्तिकरण का व्यापक प्रभाव: भविष्य की ओर एक कदम

ये परिणाम सिर्फ जीत-हार के आंकड़े नहीं हैं, बल्कि यह दर्शाते हैं कि FIVB का `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` कार्यक्रम कैसे वैश्विक स्तर पर वॉलीबॉल के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कोचों, उपकरणों और प्रशिक्षण में यह रणनीतिक निवेश न केवल टीमों को तत्काल सफलता दिला रहा है, बल्कि यह दीर्घकालिक रूप से प्रतिभा विकास के लिए एक मजबूत नींव भी तैयार कर रहा है। यह एक स्पष्ट संदेश है: सही प्रोत्साहन के साथ, कोई भी टीम अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकती है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना नाम बना सकती है। शायद यह “पैसा सब कुछ नहीं खरीद सकता” वाली पुरानी कहावत को वॉलीबॉल के संदर्भ में फिर से सोचने का समय है। कभी-कभी, एक अच्छी रकम, सही दिशा में, वाकई बहुत कुछ बदल सकती है!

जैसे-जैसे निन्ह बिन्ह, वियतनाम में दूसरे महिला एसईए वी लीग टूर्नामेंट की तैयारी हो रही है, दुनिया उत्सुकता से देख रही है कि ये निवेशित टीमें और कितनी ऊंचाइयों को छूती हैं। यह तो सिर्फ शुरुआत है, और वॉलीबॉल का भविष्य निश्चित रूप से उज्ज्वल दिख रहा है।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।