विश्वविद्यालय खेल सिर्फ किताबों और डिग्रियों तक सीमित नहीं होते; वे युवा प्रतिभाओं को वैश्विक मंच पर चमकने का अवसर भी प्रदान करते हैं। हाल ही में संपन्न हुए Rhine-Ruhr 2025 FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के वॉलीबॉल चैंपियनशिप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि युवा प्रतिभाएं खेल के मैदान पर क्या कमाल कर सकती हैं। खेल भावना, रणनीति और शारीरिक कौशल का अद्भुत संगम, इन खेलों ने दिखाया कि कैसे छात्र एथलीट अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने खेल में भी विश्व स्तरीय उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं। बर्लिन में खेले गए इन मुकाबलों ने दर्शकों को रोमांच और उत्साह से भर दिया।
पुरुष वर्ग: पोलैंड का अजेय अभियान
पुरुषों के टूर्नामेंट में पोलैंड की टीम एक अजेय शक्ति के रूप में उभरी। वे न केवल प्रतिद्वंद्वियों पर हावी रहे, बल्कि उन्होंने पूरे अभियान के दौरान अपने कौशल का अद्भुत प्रदर्शन किया। पोलैंड ने अपने छह मैचों में से सिर्फ एक सेट गंवाया, जो उनके दबदबे का स्पष्ट प्रमाण है। फिलीपींस, अर्जेंटीना और कोलंबिया को सीधे सेटों में धूल चटाने के बाद, उन्होंने चीनी ताइपे को क्वार्टर फाइनल में चार सेटों में मात दी। सेमीफाइनल में जापान के खिलाफ 3-0 की दमदार जीत ने उनके इरादे साफ कर दिए थे, कि वे स्वर्ण पदक के अलावा कुछ और नहीं चाहते।
और फिर आया वह निर्णायक मुकाबला, फाइनल में ब्राजील के खिलाफ। उम्मीद थी कि यह एक कांटे की टक्कर होगी, लेकिन पोलैंड ने ब्राजील को 3-0 (25-15, 25-18, 25-20) से हराकर मैच को एकतरफा बना दिया। यह 1991 के बाद उनका दूसरा यूनिवर्सियाड स्वर्ण था, जो दर्शाता है कि वॉलीबॉल में उनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। वहीं, इटली ने कांस्य पदक जीतकर अपने अभियान को सम्मानजनक तरीके से समाप्त किया। सेमीफाइनल में ब्राजील से कड़े संघर्ष के बाद 3-2 से हारने के बावजूद, इटली ने जापान को 3-1 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया, यह साबित करते हुए कि उनका दृढ़ संकल्प केवल सोने के लिए नहीं, बल्कि हर जीत के लिए है।
महिला वर्ग: इटली का दबदबा
महिला वर्ग में, इटली की टीम ने अपने विरोधियों पर कहर बरपाया। उनका खेल इतना त्रुटिहीन था कि लीग चरण और क्वार्टर फाइनल में उन्होंने एक भी सेट नहीं गंवाया। यूएसए, चीनी ताइपे और ऑस्ट्रेलिया को पूल डी में सीधे सेटों में पराजित करने के बाद, उन्होंने चेक गणराज्य को क्वार्टर फाइनल में भी यही परिणाम दिया। सेमीफाइनल में मेजबान जर्मनी को 3-0 से हराना उनकी श्रेष्ठता का प्रमाण था।
फाइनल में जापान के खिलाफ उन्हें आखिरकार एक सेट गंवाना पड़ा, लेकिन 3-1 (25-19, 21-25, 25-16, 25-14) की जीत के साथ उन्होंने अपना तीसरा यूनिवर्सियाड स्वर्ण (1991 और 2009 के बाद) हासिल किया। यह उनकी खेल रणनीति और तालमेल का नतीजा था, जिसे तोड़ना प्रतिद्वंद्वी टीमों के लिए लगभग असंभव साबित हुआ। जापान की टीम भी रजत पदक तक पहुंचने में सफल रही, जबकि ब्राजील ने महिला वर्ग में भी कांस्य पदक हासिल किया। ब्राजील ने जर्मनी को 3-1 से हराकर कांस्य पर कब्जा किया, जिससे मेजबान जर्मनी वॉलीबॉल पोडियम से बाहर हो गया – शायद उन्हें कुछ घरेलू लाभ की उम्मीद रही होगी, लेकिन खेल में केवल प्रदर्शन ही बोलता है।
युवा प्रतिभा और खेल भावना का महत्व
ये खेल सिर्फ पदक जीतने से कहीं अधिक थे। उन्होंने दिखाया कि कैसे युवा दिमाग, जो भविष्य के नवप्रवर्तक और नेता हैं, खेल के मैदान पर भी अपनी सीमाओं को पार कर सकते हैं। पोलैंड और इटली का यह दोहरा विजय अभियान विश्वविद्यालय स्तर पर खेल के बढ़ते महत्व और वैश्विक प्रतिभा के उदय का प्रतीक है। ये छात्र एथलीट न केवल अपने देशों के लिए सम्मान लाते हैं, बल्कि वे दूसरों को भी अकादमिक और एथलेटिक उत्कृष्टता के दोहरे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह इन खेलों की सच्ची भावना है – जहाँ किताबों और खेल के बीच संतुलन बिठाया जाता है, और दोनों में ही विजय प्राप्त की जाती है।
निष्कर्ष
बर्लिन के वॉलीबॉल कोर्ट पर जो रोमांच देखने को मिला, वह सिर्फ एक टूर्नामेंट से कहीं बढ़कर था। यह जुनून, समर्पण और सामूहिक प्रयासों की एक कहानी थी। पोलैंड और इटली ने अपनी जीत के साथ यह साबित कर दिया कि सही दिशा और अथक प्रयास से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। ये FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स न केवल यादगार रहे, बल्कि इन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए खेल के मैदान पर और उसके बाहर, नई ऊंचाइयों को छूने का मार्ग भी प्रशस्त किया। हमें इन युवा चैंपियनों को सलाम करना चाहिए और भविष्य में उनके प्रदर्शन का इंतजार करना चाहिए!