FIDE ने शतरंज रेटिंग नियमों में किया अहम बदलाव: क्या टॉप ग्रैंडमास्टर्स की राह होगी मुश्किल?

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अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने हाल ही में अपने रेटिंग नियमों में एक महत्वपूर्ण संशोधन को मंज़ूरी दी है, जो 1 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएगा। यह बदलाव विशेष रूप से शतरंज की दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों को प्रभावित करेगा, और लगभग 70 से अधिक ग्रैंडमास्टर्स की रेटिंग गणना के तरीके में एक नई चुनौती पेश करेगा। अगर आप सोचते हैं कि टॉप पर बैठना हमेशा आसान होता है, तो FIDE ने शायद इसमें थोड़ी `मसालेदार` चुनौती डाल दी है!

क्या है 400 अंक नियम और इसमें क्या बदलाव आया?

शतरंज में खिलाड़ी की रेटिंग उसकी ताकत और प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण संकेतक होती है। पहले, FIDE के “400 अंक नियम” के अनुसार, यदि किसी खिलाड़ी और उसके प्रतिद्वंद्वी की रेटिंग में 400 से अधिक अंकों का अंतर होता था, तो रेटिंग गणना के उद्देश्य से इस अंतर को केवल 400 अंक ही माना जाता था। इसका मतलब यह था कि एक बहुत उच्च-रेटेड खिलाड़ी (जैसे 2700) जब एक बहुत निम्न-रेटेड खिलाड़ी (जैसे 2200) को हराता था, तो उसे अपनी रेटिंग में अधिक लाभ मिलता था, और यदि वह गलती से हार जाता, तो उसे कम अंक गंवाने पड़ते थे। यह नियम शीर्ष खिलाड़ियों के लिए एक तरह का `सुरक्षा जाल` था, खासकर जब वे कमजोर प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ खेलते थे।

लेकिन अब, FIDE काउंसिल ने योग्यता आयोग के प्रस्ताव पर इस नियम में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है:

पुराना नियम: रेटिंग में 400 से अधिक अंकों का अंतर होने पर उसे 400 अंक ही माना जाता था। (सभी खिलाड़ियों के लिए)

नया नियम (1 अक्टूबर से प्रभावी):

  • 2650 से कम रेटिंग वाले खिलाड़ियों के लिए: 400 अंक का नियम पहले की तरह ही लागू रहेगा।
  • 2650 और उससे अधिक रेटिंग वाले खिलाड़ियों के लिए: रेटिंग में अंतर चाहे जितना भी हो, अब उसे रेटिंग गणना के लिए वास्तविक अंतर के रूप में गिना जाएगा। यानी, 400 अंक की कोई सीमा नहीं होगी।

शीर्ष ग्रैंडमास्टर्स पर क्या होगा इस बदलाव का असर?

यह बदलाव सीधे तौर पर वैश्विक स्तर के उन लगभग 70 ग्रैंडमास्टर्स को प्रभावित करेगा जिनकी रेटिंग 2650 या उससे अधिक है। इसका मतलब है कि अब उनके लिए अपनी रेटिंग को बनाए रखना या उसमें सुधार करना पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा:

  • कमजोर प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अधिक जोखिम: यदि 2650+ रेटिंग वाला कोई खिलाड़ी अब 400 से अधिक अंक कम रेटिंग वाले खिलाड़ी से जीतता है, तो उसे पहले की तुलना में कम रेटिंग अंक मिलेंगे। और अगर वह हार जाता है, तो उसे काफी अधिक रेटिंग अंक गंवाने पड़ सकते हैं। यह एक डबल-एज तलवार की तरह है।
  • प्रदर्शन की सच्ची कसौटी: FIDE का तर्क है कि यह संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि शीर्ष स्तर पर रेटिंग समायोजन किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन को `सांख्यिकीय रूप से समान प्रतिद्वंद्वियों` के पूल के खिलाफ अधिक सटीक रूप से दर्शाए। सरल शब्दों में, आपकी रेटिंग उतनी ही सच्ची होगी जितनी आपका प्रदर्शन, बिना किसी `कृत्रिम` सुरक्षा के।
  • खेल की अखंडता और निष्पक्षता: FIDE का उद्देश्य रेटिंग प्रणाली की निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखना है, ताकि सभी शीर्ष रेटेड खिलाड़ियों के लिए एक समान अवसर मिल सके। यह व्यावसायिक मानकों की सुरक्षा के लिए एक कदम है।

क्या यह FIDE की `अमीरों` पर लगाम लगाने की कोशिश है?

शायद इसे इस तरह से देखना थोड़ा नाटकीय होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से रेटिंग के `मुफ्त के अंक` कमाने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाएगा। अतीत में, कुछ टूर्नामेंटों में, शीर्ष ग्रैंडमास्टर्स अक्सर जानबूझकर या अनजाने में ऐसे विरोधियों के खिलाफ खेलते थे जिनकी रेटिंग बहुत कम होती थी, जिससे उनकी रेटिंग को एक स्थिर आधार मिलता था, या कभी-कभी थोड़ा बढ़ावा भी मिल जाता था। अब, यह `आसान कमाई` थोड़ी कम हो जाएगी। शीर्ष खिलाड़ियों को अपनी रेटिंग बचाने के लिए हर खेल में और भी अधिक सतर्क रहना होगा, खासकर उन टूर्नामेंटों में जहाँ उन्हें कम रेटेड प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ता है।

“शायद अब हर चाल पर थोड़ा और सोचना पड़ेगा, खासकर अगर प्रतिद्वंद्वी आपकी `400 अंक सीमा` से बाहर हो!”

निष्कर्ष: शतरंज के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

FIDE का यह कदम शतरंज के खेल को और अधिक प्रतिस्पर्धी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। रेटिंग की सटीकता और प्रतिस्पर्धी निष्पक्षता शतरंज के लिए सर्वोपरि है। यह नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि शीर्ष स्तर पर खिलाड़ी की रेटिंग वास्तव में उसकी क्षमता और उसके प्रदर्शन को दर्शाए। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव शीर्ष ग्रैंडमास्टर्स की रणनीतियों और टूर्नामेंट चयन को कैसे प्रभावित करता है। एक बात तो तय है, शतरंज की दुनिया में अब रेटिंग की दौड़ पहले से कहीं अधिक रोमांचक होने वाली है!

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।