फैशन के किंग, बास्केटबॉल के सरताज: जियोर्जियो अरमानी और ओलिंपिया मिलानो की अविस्मरणीय गाथा

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फैशन की दुनिया में जियोर्जियो अरमानी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। उनके डिज़ाइन किए परिधानों ने लाखों लोगों को स्टाइल और एलिगेंस सिखाया। लेकिन अरमानी की कहानी सिर्फ रैंप और डिज़ाइन स्टूडियो तक सीमित नहीं थी। उनके जीवन का एक और अध्याय था, जो बास्केटबॉल के कोर्ट पर लिखा गया, जहाँ उन्होंने ओलिंपिया मिलानो टीम के लिए अपने अटूट प्रेम और समर्पण का प्रदर्शन किया। यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट स्पॉन्सरशिप नहीं थी, बल्कि एक ऐसा जुनून था जिसने इटालियन बास्केटबॉल की दिशा बदल दी।

प्यार का मैदान, नहीं शोहरत का मंच

2008 में जब अरमानी ने ओलिंपिया मिलानो में कदम रखा, तो कई लोगों को लगा कि यह उनके ब्रांड की विज़िबिलिटी बढ़ाने का एक और तरीका होगा। लेकिन अरमानी के लिए ऐसा नहीं था। उनके अपने शब्द इस बात की गवाही देते हैं: “मैं इस खेल के प्रति, अपने भाई सर्जियो और बहन रोसन्ना के जुड़ाव और मिलान शहर के प्यार की वजह से बास्केटबॉल में आया था। मुझे इसका कभी पछतावा नहीं हुआ, यहाँ तक कि शुरुआती दौर में जब हम हार रहे थे।” यह एक गहरा, व्यक्तिगत संबंध था – परिवार, शहर और खेल की सुंदरता के प्रति प्रेम, न कि किसी दिखावे की चाहत। उन्हें शोहरत की जरूरत नहीं थी; उनके पास अपनी खुद की रैंप और मंच थे।

फैशन से कोर्ट तक, एलिगेंस का विस्तार

अरमानी के लिए खेल और फैशन में कई समानताएँ थीं। वह मानते थे कि फैशन की तरह खेल में भी “एलिगेंस और परफॉरमेंस” का मेल भविष्य है। उनकी डिज़ाइन फिलॉसफी “सादेपन में सुविधा और सुंदरता” की थी, जिसमें अनावश्यक दिखावा नहीं होता। यही सिद्धांत उन्होंने बास्केटबॉल में भी लागू किया। खेल की ईमानदारी, उसमें किए गए प्रयास और उसके परिणामों की “सच्चाई” उन्हें आकर्षित करती थी। 91 वर्ष की आयु तक उन्होंने जिस सहजता और भव्यता के साथ जीवन जिया, वह उनकी हर बात में झलकती थी। उन्होंने एक बार कहा था कि “आज फैशन और खेल में बहुत कुछ समान है। व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि फैशन में, सुंदरता और प्रदर्शन को एक साथ लाना ही भविष्य है।”

जीत की राह पर एक दृढ़ मिशन

जब अरमानी ने टीम की बागडोर संभाली, तो ओलिंपिया मिलानो संकट में थी। उन्होंने इसे “शहर और प्रशंसकों को इस गौरवशाली क्लब के इतिहास के अनुरूप एक प्रोजेक्ट देने का मिशन” माना। उन्होंने स्वीकार किया कि यह उम्मीद से कहीं अधिक बड़ा और कठिन काम था। वर्षों तक लगातार हस्तक्षेप, रणनीतियाँ और अटूट विश्वास—यह सब मिलकर 2014 में टीम को 18 साल के सूखे के बाद स्कुडेटो (राष्ट्रीय चैंपियनशिप) तक ले गया। उस दिन के जश्न को अरमानी अपनी “जिंदगी के सबसे मजबूत पलों में से एक” मानते थे, जब प्रशंसकों ने कोर्ट पर खुशी से नाचते और गाते हुए कब्जा कर लिया था। कर्टिस जेरल्स का वह “द शॉट” आज भी इतिहास में दर्ज है। अरमानी के नेतृत्व में, टीम ने कुल 6 स्कुडेटो (नवीनतम 2024 में), 4 इटालियन कप और 5 इटालियन सुपरकप जीते।

मानवीय स्पर्श और अनूठी खुशी

अपनी व्यावसायिक सफलता और दृढ़ संकल्प के बावजूद, अरमानी में एक मानवीय कोमलता भी थी। उन्हें अफ़सोस था कि उन्होंने काम में बहुत अधिक समय बिताया और दोस्तों व परिवार के साथ कम। लेकिन ओलिंपिया मिलानो के साथ उन्हें एक अलग तरह का संतुलन मिला। उन्होंने टीम में 200 मिलियन यूरो से अधिक का निवेश किया, जो उनके अटूट प्रेम का प्रमाण था। एक बार उनसे पूछा गया कि क्या वह ओलिंपिया से पहले कभी बास्केटबॉल मैच देखने गए थे। उन्होंने अपनी ट्रेडमार्क मुस्कान के साथ जवाब दिया, “हाँ, साठ के दशक में बोरलेटी के दिनों में: पूरा मिलान मैच देखने जाता था, खासकर इसलिए क्योंकि वहाँ तीन खूबसूरत खिलाड़ी थे, तीन लंबे लड़के, जो उस समय की मिलानीज़ महिलाओं को आकर्षित करते थे।” यह उनका शांत, संयमित और आकर्षक व्यक्तित्व था।

लेकिन 2023 में 30वें स्कुडेटो की जीत पर वह टेलीविजन पर अपनी खुशी रोक नहीं पाए। “अपनी ज़िंदगी में पहली बार, मैं इतनी खुले तौर पर खुशी महसूस कर रहा हूँ,” उन्होंने कहा, “फोरम में लोगों की तालियाँ सुनने से मिलने वाली भावना सचमुच ख़ास है। यह एक दिलचस्प पदक है, क्योंकि इसमें फैशन नहीं है और यह मुझे ख़ास तौर पर पसंद है।” खुद को एक “प्लेमेकर” कहने वाले अरमानी मानते थे कि उनकी टीम की 40% दर्शक महिलाएँ थीं, जिससे स्टेडियम में “एक उत्साही और जीवंत माहौल” बनता था। कॉन्नी (इतालवी ओलंपिक समिति) से `कोल्लारे डी`ओरो` (स्वर्ण कॉलर) जैसे सम्मानों ने खेल के प्रति उनके समर्पण को और मजबूत किया, जब उन्होंने मज़ाकिया तौर पर कहा कि उन्होंने अपनी युवावस्था में खेल से `बदला` लिया, खिलाड़ियों को कपड़े पहनाकर और अपनी बास्केटबॉल टीम पर बहुत पैसा खर्च करके।

इटालियन बास्केटबॉल का पुनरुत्थान

अरमानी ने इटालियन मीडिया पर बास्केटबॉल को पर्याप्त महत्व न देने का आरोप लगाया, लेकिन ironically, उन्होंने खुद इस खेल को नया जीवन दिया। उनके नेतृत्व में ओलिंपिया मिलानो न केवल इटली, बल्कि यूरोप में बास्केटबॉल का एक पावरहाउस बन गई। उन्होंने बड़े कोच (जैसे माइक डी`एंटोनी और एट्टोरे मेसिना) और शानदार खिलाड़ी लाए। 2015 में, ओलिंपिया पहली यूरोपीय क्लब बनी जिसने एनबीए एरिना में किसी अन्य यूरोपीय टीम (मकाबी) के खिलाफ खेला, और मैडिसन स्क्वायर गार्डन में जीतने वाली पहली इतालियन क्लब बनी। अरमानी का मानना था कि “स्पर्धात्मक कार्य की सकारात्मक शक्ति” में विश्वास रखने से ही खेल आगे बढ़ता है। उन्होंने हमेशा कहा, “मेरी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि मेरा हर चीज़ पर नियंत्रण है।” और यह नियंत्रण, दृढ़ संकल्प और विचारों में विश्वास ने उन्हें बास्केटबॉल में भी सफलता दिलाई। उन्होंने यह भी कहा, “मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरी अपनी बात पर विश्वास करने की क्षमता और इसे पूरा करने का दृढ़ संकल्प, कभी-कभी तो ज़िद भी, रही है।”

विरासत जो हमेशा रहेगी

अरमानी के लिए, कोच मेसिना एक “सच्चे नेता” थे, जो फैशन में उनकी अपनी टीमवर्क की समझ को दर्शाते थे। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें स्कुडेटो या यूरोलीग में से क्या पसंद है, तो उन्होंने अपने चिरपरिचित मुस्कान के साथ जवाब दिया: “आकाश ही सीमा है। तो दोनों क्यों नहीं? मैं अपनी टीम के लिए कोई सीमा नहीं रखना चाहता।”

जियोर्जियो अरमानी ने साबित कर दिया कि जुनून, समर्पण और व्यावसायिक कौशल किसी भी क्षेत्र में चमत्कार कर सकते हैं। फैशन की दुनिया के एक बादशाह ने बास्केटबॉल के कोर्ट पर एक अविस्मरणीय विरासत छोड़ी है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनकी कहानी सिर्फ जीत और हार की नहीं, बल्कि एक ऐसे गहरे प्यार की है जिसने एक खेल को पुनर्जीवित किया।

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।