एडमंड में इतिहास रचती रूस-यूक्रेन जोड़ी: जब टेनिस राष्ट्रीय सीमाओं से ऊपर उठा

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यह कोई साधारण टेनिस मैच नहीं था, और यह जीत भी सामान्य नहीं थी। अमेरिकी शहर एडमंड में आयोजित W100 टूर्नामेंट के युगल फाइनल में जब रूसी खिलाड़ी अनास्तासिया तिखोनोवा और यूक्रेनी खिलाड़ी वालेरिया स्त्राखोवा ने मिलकर ऑस्ट्रेलियाई-पोलिश जोड़ी ओलिविया गाडेकी और ओलिविया लिन्सर को 6/3, 6/7(2), [10/8] से मात दी, तो उन्होंने सिर्फ एक खिताब ही नहीं जीता, बल्कि खेल भावना का एक ऐसा अध्याय लिखा जो मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में किसी चमत्कार से कम नहीं था।

एक ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय संबंध तनावपूर्ण हैं और देशों के बीच दूरियाँ बढ़ रही हैं, खेल के मैदान पर यह सहयोग और जीत एक शक्तिशाली संदेश दे रही थी। इस जीत के बाद रूसी टेनिस महासंघ (FTR) के अध्यक्ष, शैमिल तारपीशेव, ने इस अनूठी जोड़ी की सफलता पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की, और उनकी बातें केवल खेल तक ही सीमित नहीं थीं।

तारपीशेव की महत्वपूर्ण टिप्पणी

“यूक्रेनी स्त्राखोवा और रूसी तिखोनोवा की जोड़ी की यह जीत हमेशा महत्वपूर्ण है। हम टेनिस खेलते हैं, और अक्सर प्रेस नकारात्मकता पर अधिक ध्यान देती है। लेकिन हमारे टेनिस में कभी भी किसी खिलाड़ी ने हमारे साथ खेलने से इनकार नहीं किया, चाहे वे किसी भी देश के हों, या आप किसी के भी खिलाफ खेल रहे हों।”

यह टिप्पणी अपने आप में कई परतों को समेटे हुए थी, जिसमें खेल जगत की सार्वभौमिक प्रकृति और खिलाड़ियों के व्यक्तिगत रिश्तों की मजबूती पर जोर दिया गया था।

उन्होंने आगे कहा,

“मेरा मानना है कि तिखोनोवा और स्त्राखोवा के बीच ऐसे रिश्ते इसलिए बने क्योंकि उन्होंने बचपन में एक साथ खेलना शुरू किया था। यह जीवन भर रहता है – व्यक्तिगत संबंध कभी नहीं बदलते।”

तारपीशेव की यह बात केवल एक ऑब्जर्वेशन नहीं थी, बल्कि एक गहरा मानवीय सत्य था। अक्सर, खेल के मैदान पर बनने वाले रिश्ते, राष्ट्रीयता या राजनीति की दीवारों से कहीं ऊपर होते हैं। बचपन की साझा यादें, मेहनत और जीत-हार के पल, ऐसे अटूट बंधन गढ़ते हैं जो हर मुश्किल परीक्षा में खरे उतरते हैं।

जीत से बढ़कर एक संदेश

इस जीत का महत्व केवल टेनिस के स्कोरकार्ड तक सीमित नहीं है। यह उन सभी के लिए एक उम्मीद की किरण है जो मानते हैं कि मानवीय संबंध और साझा उद्देश्य, मतभेदों से कहीं अधिक शक्तिशाली होते हैं। जबकि दुनिया में हलचल मची हुई है, टेनिस कोर्ट पर एक अलग ही कहानी लिखी जा रही थी, जहाँ दो देशों की खिलाड़ी, जिनकी सरकारें शायद बातचीत भी न कर रही हों, एक ही लक्ष्य के लिए कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रही थीं और अंततः जीत हासिल कर रही थीं।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि खेल, सिर्फ प्रतियोगिता नहीं है; यह साझा मानवीय भावना का उत्सव है। यह दिखाता है कि कैसे एथलीट, अपनी व्यक्तिगत निष्ठाओं को बनाए रखते हुए भी, खेल के सार्वभौमिक नियमों और खेल भावना के सम्मान में एकजुट हो सकते हैं। शायद, यह हम सभी के लिए एक सबक है – कि वास्तविक जीवन में भी, बचपन के दोस्त और साझा अनुभव हमें मुश्किल समय में रास्ता दिखा सकते हैं। और कभी-कभी, सबसे बड़ी जीत कोर्ट पर नहीं, बल्कि दिलों में होती है।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।