लिमा, पेरू में हाल ही में संपन्न हुई U18 दक्षिण अमेरिकी बीच वॉलीबॉल चैंपियनशिप खेल जगत में कई युवा प्रतिभाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई। इस प्रतियोगिता में, जहां ब्राजील ने अपने अपेक्षित दबदबे के साथ दोनों स्वर्ण पदक हासिल किए, वहीं इक्वाडोर और चिली के युवा खिलाड़ियों ने अप्रत्याशित रूप से रजत पदक जीतकर सभी को चौंका दिया। यह केवल उनकी खेल प्रतिभा का प्रमाण नहीं है, बल्कि FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण कार्यक्रम के प्रभावी समर्थन का भी प्रत्यक्ष परिणाम है, जिसने इन देशों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद की।
सशक्तिकरण का जादू: जब निवेश पदक में बदलता है
खेल में सफलता अक्सर केवल प्रतिभा और कड़ी मेहनत पर निर्भर नहीं करती, बल्कि सही संसाधनों और समर्थन पर भी टिकी होती है। FIVB वॉलीबॉल सशक्तिकरण कार्यक्रम इसी विचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इक्वाडोर के बीच वॉलीबॉल कार्यक्रम को अपने राष्ट्रीय टीमों के लिए कोच सहायता में 294,000 अमेरिकी डॉलर का भारी-भरकम समर्थन मिला, जिसकी जिम्मेदारी कोच योहवन्ना गुआनिपा ने संभाली। उधर, चिली को भी इतनी ही राशि कोच सहायता के रूप में मिली, जिसमें कोच फेलिप गोमेज़ बादिला का मार्गदर्शन था, और तो और उन्हें 22,000 अमेरिकी डॉलर मूल्य के बीच वॉलीबॉल उपकरण भी प्रदान किए गए।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह निवेश, जो खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और विकास पर केंद्रित था, अंततः पदक में बदल गया। कौन कहता है कि पैसा खुशियाँ नहीं खरीद सकता? शायद यह सीधे तौर पर खुशी न खरीद पाए, लेकिन कम से कम चमकदार रजत पदक तो जरूर दिला सकता है, जो किसी भी राष्ट्र के लिए गौरव का क्षण होता है। यह एक स्पष्ट संदेश है: जब सही जगह और सही समय पर निवेश किया जाता है, तो इसके परिणाम अविश्वसनीय हो सकते हैं।
इक्वाडोर की लड़कियों का शानदार प्रदर्शन: रेत पर दृढ़ता की कहानी
महिलाओं की प्रतियोगिता में, इक्वाडोर की राफेल रोमां एस्पिनोज़ा और वैलेंटाइना वैलेंज़ुएला ब्रावो की जोड़ी ने अविश्वसनीय दृढ़ता का परिचय दिया। टूर्नामेंट के अपने शुरुआती मैच में हार का सामना करने के बावजूद, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद उन्होंने लगातार चार मैच जीते, जिससे वे फाइनल में पहुंचने में सफल रहीं। सेमीफाइनल में, उन्होंने पराग्वे की सोफिया मार्टिनेज और अगस्टिना वेलाज़क्वेज़ को 2-0 (21-16, 21-13) से हराकर कम से कम रजत पदक सुनिश्चित कर लिया।
स्वर्ण पदक के लिए हुए कड़े मुकाबले में उनका सामना ब्राजील की इज़ाबेला सलाबरी कैवलकैंटी और एना बीट्रिज़ सांचेज़ फ्रांसेलिनो से हुआ। इक्वाडोर की लड़कियों ने ब्राजील की अजेय जोड़ी को टूर्नामेंट में पहली बार एक सेट से हराया (21-13, 19-21, 15-13), लेकिन अंततः 2-1 से हार का सामना करना पड़ा। उनका यह प्रदर्शन न केवल सराहनीय था, बल्कि यह दर्शाता है कि सही प्रशिक्षण और समर्थन से युवा खिलाड़ी कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।
चिली के लड़कों का ऐतिहासिक कारनामा: दृढ़ निश्चय का प्रतीक
पुरुषों की श्रेणी में, चिली के जोस टॉमस ज़िर्पल और जॉर्ज आरेनत्सेन (जिन्हें `ब्रेन` और `हर्ग्रेव्स` के नाम से भी जाना जाता है) ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होंने भी लगातार चार मैच जीतकर फाइनल में जगह बनाई। सेमीफाइनल में, उन्होंने वेनेजुएला के गेरार्डो और परेरा को 2-1 (21-12, 13-21, 15-12) से हराकर पोडियम पर अपनी जगह पक्की की।
स्वर्ण पदक के मुकाबले में, उनका सामना ब्राजील के थॉमस मैथियास एंडलर और फेलिप प्रूडेंसियो अरुडा बार्बिएरो की मजबूत जोड़ी से हुआ। ब्राजील की टीम ने 2-0 (21-18, 21-19) से जीत हासिल कर खिताब अपने नाम किया, लेकिन चिली के खिलाड़ियों ने अंत तक कड़ा मुकाबला किया और अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। यह उनके और उनके कोच, फेलिप गोमेज़ बादिला के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, जो FIVB सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत प्राप्त समर्थन का सदुपयोग करने में सफल रहे।
ब्राजील का दबदबा और वेनेजुएला का कांस्य
यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि ब्राजील की टीमों ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और दोनों श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीते। उनकी जीत उनकी खेल शक्ति और गहराई को दर्शाती है। वहीं, वेनेजुएला की टीमों ने भी क्रमशः महिला और पुरुष वर्ग में कांस्य पदक हासिल कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वेनेजुएला की लड़कियों ने पराग्वे की टीम को 2-1 (14-21, 21-11, 15-8) से हराकर कांस्य जीता, जबकि लड़कों ने भी पराग्वे को 2-1 (21-17, 13-21, 15-11) से हराकर तीसरा स्थान प्राप्त किया।
निष्कर्ष: युवा खेल के भविष्य की एक झलक
लिमा में आयोजित इस चैंपियनशिप में अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, पराग्वे, पेरू और वेनेजुएला से 14 महिला और 12 पुरुष टीमों ने भाग लिया। इक्वाडोर और चिली के लिए यह रजत पदक केवल एक ट्रॉफी नहीं है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि सही समर्थन और अवसर मिलने पर छोटे राष्ट्र भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमक सकते हैं। यह FIVB के `वॉलीबॉल सशक्तिकरण` कार्यक्रम की सफलता की कहानी है और दक्षिण अमेरिकी बीच वॉलीबॉल के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक संकेत है, जहाँ न केवल बड़े देश बल्कि उभरती हुई प्रतिभाएं भी अपने कौशल का प्रदर्शन कर रही हैं। यह प्रतियोगिता भविष्य के ओलंपिक सितारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, और हम बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि ये युवा खिलाड़ी भविष्य में क्या कमाल दिखाते हैं।