भारतीय खेलों के क्षितिज पर एक नई सुबह का आगाज़ हुआ है। अक्सर हम ओलंपिक पदकों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के प्रदर्शन को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन क्या कभी सोचा है कि असली नींव कहां रखी जाती है? यह नींव अब चंडीगढ़ के स्कूलों में रखी जा रही है, जहां FIVB (अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल महासंघ) और अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन ट्रस्ट (ABFT) ने मिलकर `उड़ान स्कूल वॉलीबॉल कार्यक्रम` का शुभारंभ किया है। यह कोई सामान्य खेल पहल नहीं, बल्कि भारत में वॉलीबॉल को ज़मीनी स्तर से सशक्त करने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है।
एक दूरदर्शी पहल: क्यों ज़रूरी है स्कूल स्तर पर वॉलीबॉल?
भारत जैसे विशाल और युवा देश में खेलों को केवल मनोरंजन या करियर विकल्प के तौर पर देखना पर्याप्त नहीं है। खेल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक दृढ़ता और सामाजिक कौशल के विकास का अभिन्न अंग हैं। वॉलीबॉल, जो अपनी गति, टीम वर्क और रणनीति के लिए जाना जाता है, इन सभी गुणों को बच्चों में विकसित करने के लिए एक बेहतरीन माध्यम है। `उड़ान` कार्यक्रम का लक्ष्य है वॉलीबॉल को सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि स्कूली शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना। कल्पना कीजिए, जब लाखों बच्चे स्कूल के समय ही इस खेल से जुड़ेंगे, तो प्रतिभा की कोई कमी नहीं रहेगी। शायद, हमें भविष्य के वॉलीबॉल सितारे किसी गली-मोहल्ले में नहीं, बल्कि सीधे स्कूल के प्लेग्राउंड से मिलेंगे।
वैश्विक विशेषज्ञता और स्थानीय प्रतिबद्धता का संगम
इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ख़ासियत है इसमें शामिल भागीदार। FIVB, जो वॉलीबॉल का वैश्विक नियामक निकाय है, अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों के साथ आया है। उनके विश्व प्रसिद्ध प्रशिक्षक, जॉन केसल और जना कुलान, ने इस कार्यक्रम की रीढ़ तैयार की। आमतौर पर ऐसे बड़े संगठन सीधे राष्ट्रीय टीमों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन यहां उन्होंने असली बदलाव के लिए जड़ों में पानी डालने का फैसला किया है – स्कूलों में।
वहीं, अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन ट्रस्ट, ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की दूरदर्शिता का परिणाम है। अभिनव बिंद्रा, जिन्होंने खुद भारत के लिए इतिहास रचा है, खेल के महत्व को गहराई से समझते हैं। उनका ट्रस्ट खेल विकास के लिए एक मज़बूत स्थानीय आवाज़ प्रदान करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि कार्यक्रम न केवल अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरे, बल्कि भारतीय संदर्भ के अनुकूल भी हो। चंडीगढ़ प्रशासन का समर्थन इस त्रिकोणीय साझेदारी को और भी मज़बूत बनाता है, जिससे इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आवश्यक सभी संसाधन और मंच उपलब्ध होते हैं।
शिक्षकों का सशक्तिकरण: 140,000 छात्रों पर प्रभाव
यह कार्यक्रम सिर्फ बच्चों को वॉलीबॉल खिलाने तक सीमित नहीं है। इसकी शुरुआत `नॉलेज ट्रांसफर प्रोग्राम` से हुई, जहाँ 18 से 22 अगस्त तक 108 सरकारी स्कूलों के 120 शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। जॉन केसल और जना कुलान जैसे विशेषज्ञों ने उन्हें न केवल वॉलीबॉल के कौशल और शिक्षण पद्धतियाँ सिखाईं, बल्कि ओलंपिक मूल्यों – सम्मान, दोस्ती और उत्कृष्टता – को बच्चों तक पहुँचाने का तरीक़ा भी बताया। यह एक स्मार्ट रणनीति है: 120 प्रशिक्षित शिक्षक मिलकर 140,000 से अधिक छात्रों के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। यह `एक को सिखाओ, और वह हज़ारों को सिखाएगा` का जीता-जागता उदाहरण है। कार्यक्रम की लॉन्चिंग के अगले ही दिन कई स्कूलों में वॉलीबॉल सत्र शुरू हो गए, जो शिक्षकों के उत्साह और कार्यक्रम की तात्कालिक प्रभावशीलता का प्रमाण है।
`उड़ान` से भारतीय खेलों का भविष्य
`उड़ान स्कूल वॉलीबॉल कार्यक्रम` सिर्फ चंडीगढ़ के लिए एक पहल नहीं है; यह पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकता है। जब बच्चे कम उम्र से ही खेल से जुड़ते हैं, तो वे न केवल शारीरिक रूप से मज़बूत होते हैं, बल्कि उनमें अनुशासन, टीम वर्क, नेतृत्व क्षमता और हार-जीत को स्वीकार करने की भावना भी विकसित होती है। ये गुण केवल खेल के मैदान तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उनके पूरे जीवन में काम आते हैं। वॉलीबॉल जैसे टीम खेल, विशेष रूप से, सहयोग और संचार कौशल को बढ़ावा देते हैं।
यह कार्यक्रम एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने की क्षमता रखता है जो न केवल उत्कृष्ट खिलाड़ी हो, बल्कि जिम्मेदार नागरिक भी हो। यह भारत को अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल मानचित्र पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। `उड़ान` वास्तव में भारतीय वॉलीबॉल के लिए एक नई उड़ान है, जो सपनों को साकार करने और नए क्षितिज छूने का वादा करती है।