BKFC 78: जब लड़ाई के बीच फाइटर का कान लगभग अलग हो गया और मैच रोक दिया गया

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फ्लोरिडा में हुए बीकेएफसी 78 इवेंट का सह-मुख्य मुकाबला (Co-main event) एक ऐसे चौंकाने वाले मोड़ पर खत्म हुआ जिसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की होगी। यह मुकाबला एंड्रयू स्ट्रोड और जी पेरेज़ के बीच था, और इसने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि नंगे हाथ की मुक्केबाजी (Bare-knuckle boxing) कितनी क्रूर और अप्रत्याशित हो सकती है। कहानी एक भयानक चोट और उसके बाद लिए गए एक विवादास्पद निर्णय की है।

कान की लोब का अलग होना: एक भयावह दृश्य

यह घटना दूसरे राउंड के बाद हुई। दोनों फाइटर्स ने ज़बरदस्त लड़ाई लड़ी, जो कि BKFC जैसे फॉर्मेट की खासियत है। हालांकि, जब फाइटर्स राउंड ब्रेक के लिए अपने कॉर्नर में लौटे, तो ध्यान जी पेरेज़ के कान पर गया। रिंगसाइड मेडिकल टीम ने उनकी जांच की और जो देखा वह विचलित करने वाला था। पेरेज़ के बाएं कान की लोब (निचला हिस्सा) गंभीर रूप से फट गई थी और लगभग पूरी तरह से अलग होकर लटक रही थी।

चोट की गंभीरता को देखते हुए, रिंगसाइड डॉक्टर ने तुरंत फैसला लिया कि पेरेज़ आगे लड़ने की स्थिति में नहीं हैं। तीसरे राउंड की शुरुआत से पहले ही मुकाबला रोक दिया गया। यह नंगे हाथ की मुक्केबाजी की उन दुर्लभ और भयानक चोटों में से एक थी जो सीधे तौर पर दिखाती है कि इस खेल में जोखिम कितना अधिक है।

विवादास्पद `नो कॉन्टेस्ट` फैसला

मैच रोके जाने के बाद, यह स्वाभाविक लग रहा था कि यह एंड्रयू स्ट्रोड के लिए टेक्नीकल नॉकआउट (TKO) जीत होगी, क्योंकि उनके प्रतिद्वंद्वी चोट के कारण आगे नहीं लड़ पाए। लेकिन फ्लोरिडा एथलेटिक कमीशन ने एक अलग ही फैसला सुनाया। उन्होंने इस मुकाबले को `नो कॉन्टेस्ट` (No Contest) घोषित कर दिया। `नो कॉन्टेस्ट` का मतलब है कि आधिकारिक तौर पर मैच हुआ ही नहीं माना जाएगा और दोनों फाइटर्स के रिकॉर्ड पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा (हार या जीत के रूप में)।

यह फैसला थोड़ा अप्रत्याशित और बहस का विषय बन गया, क्योंकि खेल के नियमों के अनुसार, यदि कोई फाइटर कानूनी चोट के कारण आगे नहीं लड़ पाता है, तो दूसरे फाइटर को अक्सर TKO से विजयी घोषित किया जाता है। हालांकि, कमीशन ने किसी कारणवश इसे `नो कॉन्टेस्ट` के रूप में वर्गीकृत किया, जो BKFC के कुछ फैंस और विश्लेषकों को रास नहीं आया। यह निर्णय इस खेल की प्रशासनिक जटिलताओं और अप्रत्याशितताओं को भी उजागर करता है।

फाइटर्स के रिकॉर्ड पर असर

`नो कॉन्टेस्ट` के इस फैसले का दोनों फाइटर्स के रिकॉर्ड पर दिलचस्प प्रभाव पड़ा। जी पेरेज़ के लिए, यह उनके अजेय क्रम को जारी रखने में मदद करता है, जो अब चार मुकाबलों तक पहुँच गया है, जिसमें यह `नो कॉन्टेस्ट` भी शामिल है। पेरेज़ इस मुकाबले में तीन जीत के सिलसिले के साथ उतरे थे, जिसमें अगस्त 2023 में ब्राइस हॉल से मिली हार के बाद BKFC में दो लगातार जीत शामिल थीं। विडंबना देखिए, पेरेज़ को “द कटमैन” (The Cutman) नाम से जाना जाता है – एक उपनाम जो अक्सर उन लोगों को दिया जाता है जो फाइटर्स की चोटों को ठीक करने में माहिर होते हैं। लेकिन इस बार, खुद “द कटमैन” को एक भयानक कट का सामना करना पड़ा।

दूसरी ओर, एंड्रयू स्ट्रोड BKFC में अपना अजेय रिकॉर्ड बरकरार रखने की कोशिश कर रहे थे। यह उनका चौथा BKFC मुकाबला था। उन्होंने अक्टूबर में एक स्टॉपेज जीत और फरवरी में एक निर्णय जीत हासिल की थी। `नो कॉन्टेस्ट` के कारण तकनीकी रूप से उनका अजेय सिलसिला तो नहीं टूटा, लेकिन एक संभावित जीत और आगे बढ़ने का मौका इस अप्रत्याशित और दर्दनाक घटना के कारण छिन गया।

नंगे हाथ की मुक्केबाजी का कड़वा सच

यह घटना BKFC की दुनिया का एक कठोर अनुस्मारक है। यह सिर्फ पंच मारने या झेलने के बारे में नहीं है; यह शरीर पर होने वाले भयानक प्रभावों के बारे में भी है। कान की लोब का अलग होना एक दर्दनाक और ग्राफिक चोट है जो दिखाती है कि इस खेल में त्वचा और ऊतकों पर कितना दबाव पड़ता है। ऐसे मुकाबले अक्सर खून, कट्स और गंभीर चोटों से भरे होते हैं, और पेरेज़ को लगी चोट इस खेल की वास्तविकताओं में से एक है।

अंततः, BKFC 78 का सह-मुख्य मुकाबला भले ही `नो कॉन्टेस्ट` के रूप में समाप्त हुआ हो, लेकिन इसने खेल की क्रूरता, फाइटर्स के लचीलेपन और कभी-कभी लिए जाने वाले अजीब निर्णयों पर एक ज़बरदस्त निशान छोड़ दिया है। यह उन लोगों के लिए एक वेक-अप कॉल है जो इस खेल के खतरों को कम आंकते हैं।

विक्रम सिंघानिया

विक्रम सिंघानिया मुंबई से हैं और मुक्केबाजी और कुश्ती में विशेषज्ञ हैं। नौ साल के करियर में, उन्होंने छोटे शहरों के युवा खिलाड़ियों पर डॉक्यूमेंट्री रिपोर्ट की एक श्रृंखला बनाई है। वे भारतीय खेल की उभरती प्रतिभाओं के साथ विशेष साक्षात्कार के लिए जाने जाते हैं। वे नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट और राष्ट्रीय चैंपियनशिप को कवर करते हैं।