वॉलीबॉल की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो खेल से भी बड़े बन जाते हैं, अपनी पहचान को सीमाओं से परे ले जाते हैं। पोलिश पुरुषों की राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम के कप्तान बार्टोश कुरेक ऐसे ही दिग्गजों में से एक हैं। 36 साल की उम्र में भी वह न केवल मैदान पर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि अपनी टीम की “गोल्डन जनरेशन” को ऊर्जा दे रहे हैं और FIVB वॉलीबॉल पुरुष विश्व चैंपियनशिप 2025 में कप्तानी का भार भी संभाल रहे हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी के करियर की नहीं, बल्कि अटूट संकल्प, अनुभव और बेमिसाल नेतृत्व की एक जीवित मिसाल है।
एक अधूरा सपना जो साकार हुआ: 2014 से 2018 का सफर
बार्टोश कुरेक ने पोलिश वॉलीबॉल के आधुनिक इतिहास के लगभग हर महत्वपूर्ण अध्याय को जिया है। उन्होंने 2014 में अपनी धरती पर विश्व चैंपियनशिप जीतने का गौरव तो देखा, लेकिन उस ऐतिहासिक जीत का हिस्सा न बन पाने की गहरी निराशा भी झेली। किसी भी महान खिलाड़ी के लिए अपने घर में ऐसे गौरवशाली क्षण को केवल दर्शक बनकर देखना, किसी कड़वी दवाई से कम नहीं होता।
लेकिन कुरेक हार मानने वालों में से नहीं थे। चार साल बाद, 2018 में, उन्होंने अपने खेल और जज्बे से इतिहास रच दिया। उस टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन असाधारण था, उन्होंने पोलैंड को लगातार दूसरे विश्व खिताब तक पहुंचाया। 171 अंकों के साथ वह शीर्ष स्कोरर रहे और तुरिन में देश का ताज बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें सबसे मूल्यवान खिलाड़ी (MVP) का ताज पहनाया गया। यह उनके अधूरे सपने का सबसे शानदार जवाब था, मानो समय ने उन्हें एक और मौका दिया हो। चार साल बाद, पोलिश धरती पर ही, वह एक बार फिर टीम के लिए अपरिहार्य साबित हुए, टीम को रजत पदक तक ले गए और प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ ऑपोसिट स्पाइकर के रूप में अपनी पहचान मजबूत की।
उम्र बस एक संख्या: अनुभव और युवा जोश का संगम
2025 में भी यह दिग्गज खिलाड़ी अपनी चमक बिखेर रहा है। मॉल ऑफ एशिया एरिना में कनाडा के खिलाफ राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में पोलैंड की 3-1 की जीत (25-18, 23-25, 25-20, 25-14) में उन्होंने 15 अंक बनाए। 5,000 से अधिक दर्शकों के सामने, उन्होंने साबित किया कि अनुभव की कोई उम्र नहीं होती, या शायद होती भी है लेकिन वह उससे कहीं ऊपर हैं। हालांकि, वह इस उम्र में शीर्ष स्तर पर खेलने की चुनौतियों के बारे में खुलकर बात करते हैं, जिसमें एक हल्की सी मुस्कान और थोड़ी सी थकान का मिश्रण होता है।
कुरेक मुस्कुराते हुए कहते हैं, “यह थकाने वाला है। इन युवा लड़कों के साथ तालमेल बिठाना थका देने वाला है। यह कोई आसान काम नहीं है।” अपनी वर्तमान भूमिका पर विचार करते हुए वह आगे कहते हैं, “मैं टीम में यही लाता हूँ – यह अनुभव, इन कठिन पलों में यह शांति। उम्मीद है, मैं उनकी मदद कर रहा हूँ।” उनका यह बयान बताता है कि वह सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि टीम के भावनात्मक इंजन भी हैं।
पीढ़ियों के बीच एक सेतु: कप्तान की भूमिका
कुरेक ने पीढ़ियों के बीच एक मजबूत सेतु बनने की चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया है। वह हल्के-फुल्के अंदाज में स्वीकार करते हैं कि उनके और टीम के सबसे युवा सदस्यों के बीच उम्र का फासला कभी-कभी इतना बड़ा लगता है कि उन्हें उनकी “भाषा” भी समझ नहीं आती। यह एक मजाकिया अवलोकन है, जो दर्शाता है कि भले ही तकनीक और ट्रेंड बदलते हों, खेल का मूल जज्बा वही रहता है।
“यह एक मजेदार समूह है। मेरे और सबसे छोटे लड़के के बीच उम्र का अंतर इतना बड़ा है कि कभी-कभी मुझे उनकी भाषा समझ नहीं आती,” वह कहते हैं। “लेकिन वे बहुत बुद्धिमान लड़के हैं। हमारे पास कमाल के आउटसाइड हिटर हैं – विल्फ्रेडो, कामिल, आर्थर – वे जब चाहें मैदान में उतरकर खेल का नतीजा बदल सकते हैं। मुझे लगता है कि हम एक पूर्ण टीम हैं, लेकिन हमारा खेल अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है।” यह हास्य और परिप्रेक्ष्य का संतुलन ही उनकी कप्तानी को परिभाषित करता है। वह अब अकेले मैच-विनर नहीं हैं, बल्कि वह शख्स हैं जो मैच के कड़े होने पर टीम को स्थिर रखते हैं, एक ऐसी चट्टान जिस पर युवा खिलाड़ी भरोसा कर सकते हैं। फोर्नल जैसे खिलाड़ी चुटकुले सुनाकर माहौल हल्का करते हैं, अन्य दूसरे नेता के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन कुरेक की आवाज ही टीम की नींव बनी रहती है। उनकी उपस्थिति युवा सितारों जैसे सेमेन्यूक और याकूब कोचानोव्स्की को अपनी प्रतिभा दिखाने की आज़ादी देती है, यह जानते हुए कि कप्तान उन्हें संभालने के लिए मौजूद है।
बदलते खेल के साथ खुद को ढालना
खेल में इतने लंबे समय तक टिके रहने के लिए कुरेक को खुद को लगातार गढ़ना पड़ा है, क्योंकि वॉलीबॉल भी समय के साथ बदल गया है। उन्हें खेल की गति, नए नियमों और तकनीक के अनुसार खुद को ढालना पड़ा।
“आपको खेल की गति के अनुसार ढलना होगा। आपको नए नियमों के अनुसार ढलना होगा, जो मुझे लगता है कि बेहतर हैं,” उन्होंने कहा। “लेकिन सबसे पहले, आपको स्वस्थ रहना होगा। आपको अपनी शारीरिक तैयारी के साथ शीर्ष पर रहना होगा। और उसके बाद, बस युवा लड़कों के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करनी होगी।” यह बयान उन सभी खिलाड़ियों के लिए एक सीख है जो लंबी रेस के घोड़े बनना चाहते हैं।
यह अटूट प्रतिबद्धता ही उन्हें अपने अधिकांश साथियों से कहीं आगे अपने करियर को बढ़ाने में सक्षम बनाती है। 2014 में जब पोलैंड ने अपने घर में जीत हासिल की थी, तब वह अनुपस्थित थे, लेकिन 2018 तक वह अपने विश्व खिताब बचाव का चेहरा बन गए थे। 2022 में, उन्होंने निराशा को गर्व में बदल दिया जब पोलैंड ने ग्लिविस में रजत पदक जीता। अब, 2025 में कप्तान के रूप में, वह अतीत की महिमा की याद दिलाते हैं और भविष्य की टीम के लिए एक मार्गदर्शक नेता बने हुए हैं।
चाहे पोलैंड इस साल फिर से पोडियम पर खड़ा हो या नहीं, बार्टोश कुरेक की विरासत सुरक्षित है। उनका करियर धीरज, आत्म-नवीनीकरण और अदम्य नेतृत्व की एक अविस्मरणीय कहानी कहता है। 2018 में दुनिया जीतने वाले खिलाड़ी से लेकर अब एक नई टीम को आगे बढ़ाने वाले कप्तान तक, वह पोलिश वॉलीबॉल के धड़कते दिल बने हुए हैं। उनका नाम सिर्फ रिकॉर्ड बुक में नहीं, बल्कि लाखों प्रशंसकों के दिलों में भी सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।