थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित 2025 FIVB महिला वॉलीबॉल विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रोमांच अपने चरम पर था। जापान और नीदरलैंड्स के बीच हुए इस संघर्षपूर्ण मैच ने खेल प्रेमियों की सांसें थाम दीं। आखिर में, जापानी टीम ने अपने असाधारण कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए नीदरलैंड्स को 3-2 से मात दी और टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। यह जीत जापान के लिए 2010 के बाद पहली बार विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचना है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक क्षण है।
मैच की शुरुआत से ही यह स्पष्ट था कि यह मुकाबला कोई साधारण खेल नहीं होने वाला। नीदरलैंड्स की टीम ने दो बार बढ़त बनाई, हर बार जापान ने दमदार वापसी करते हुए स्कोर बराबर किया। मुकाबला पांचवें और निर्णायक सेट तक पहुंचा, जहां नीदरलैंड्स ने एक समय तीन अंकों की आरामदायक बढ़त बना ली थी। लेकिन जापानी टीम ने हार मानने से इनकार कर दिया। शायद डच खिलाड़ियों ने सोचा होगा कि जीत उनकी मुट्ठी में है, पर उन्हें यह नहीं पता था कि `हार नहीं मानना` जापानियों के खून में है। कप्तान मायू इशिकावा के निर्णायक स्पाइक ने जापान को 3-2 (20-25, 25-20, 22-25, 25-12, 15-12) की जीत दिलाकर एक शानदार वापसी की कहानी लिख दी।
जापानी टीम की जीत में उनके आक्रामक खेल का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कुल 75 अंक सीधे हमले से बटोरे, जबकि नीदरलैंड्स 61 पर ही सिमट गई। टीम की विपरीत खिलाड़ी युकीको वाडा ने अकेले 27 अंकों के साथ मैच में सर्वाधिक स्कोर किया, जिसमें टीम के सात एस में से चार उनके नाम रहे। मायू इशिकावा ने भी 25 अंक जुटाए, जिनमें से सात अकेले टाई-ब्रेकर में आए – वह उस समय शायद `करो या मरो` का नारा लगा रही होंगी। इसके अलावा, योशिनो सातो ने 13 और मध्य अवरोधक ऐरी मियाबे ने 10 अंक जोड़कर टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई।
नीदरलैंड्स की टीम ने भी अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने कम गलतियाँ कीं (22 बनाम 25), और नेट पर रक्षा में जापान से कहीं बेहतर थीं, जिसमें 11 किल ब्लॉक उनके नाम रहे जबकि जापान के केवल तीन थे। उनकी मध्य खिलाड़ी इलाइन टिमरमैन ने अकेले छह किल ब्लॉक किए और 18 अंक बनाए। 22 वर्षीय विपरीत खिलाड़ी एलेस डैम्ब्रिंक ने भी 19 अंकों के साथ टीम का नेतृत्व किया। कप्तान निका डालडेरोप ने मैच के बाद कहा, “हम एक नई टीम हैं, लेकिन हम अंत तक लड़े। दुर्भाग्य से, इस बार जापान बेहतर टीम साबित हुई।” उनकी यह टिप्पणी भविष्य के लिए उम्मीदें जगाती है, कि यह युवा टीम आगे चलकर बड़ा धमाल मचा सकती है।
यह जीत जापान के लिए सिर्फ सेमीफाइनल में जगह बनाने से कहीं बढ़कर है। यह उनकी क्षमता, जुझारूपन और एक टीम के रूप में काम करने की भावना का प्रमाण है। सेमीफाइनल में अब जापान का मुकाबला यूएसए या तुर्की से होगा, यह भी एक रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद है। वॉलीबॉल के इस विश्व मंच पर जापान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे 2010 के अपने कांस्य पदक से आगे बढ़कर स्वर्ण पदक का सपना पूरा कर पाते हैं।