वॉलीबॉल की दुनिया में, कुछ नाम बस खेल के मैदान से कहीं ज़्यादा गहरे उतर जाते हैं। जर्मनी के दिग्गज ग्योरगी ग्रोज़र ऐसे ही एक नाम हैं, जो इस साल की FIVB वॉलीबॉल पुरुष विश्व चैंपियनशिप में अपनी अंतिम छाप छोड़ने जा रहे हैं। यह सिर्फ एक खिलाड़ी की विदाई नहीं है, बल्कि एक युग का अंत और एक नए युग की शुरुआत का जश्न है। 40 साल की उम्र में, ग्रोज़र अपने 18 साल के शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर को विराम देने के लिए तैयार हैं, और जर्मन टीम उन्हें एक यादगार विदाई देने को बेताब है, शायद विश्व चैंपियनशिप के पोडियम पर खड़े होकर।
एक किंवदंती का अंतिम अध्याय: ग्योरगी ग्रोज़र
2007 में अपने डेब्यू के बाद से, 200 सेंटीमीटर ऊंचे इस ऑपोज़िट हिटर ने जर्मन वॉलीबॉल के उतार-चढ़ाव देखे हैं। 2014 में पोलैंड में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतना उनके सुनहरे करियर का एक महत्वपूर्ण पल था – और दिलचस्प बात यह है कि उस टीम से मौजूदा टीम में वह एकमात्र खिलाड़ी बचे हैं। उनके शानदार करियर में दो ओलंपिक खेल (लंदन 2012 और पेरिस 2024), 2017 यूरोपीय चैंपियनशिप में रजत पदक, और 2009 यूरोपीय गोल्डन लीग में स्वर्ण पदक शामिल हैं। इस बार, यह उनका तीसरा विश्व चैंपियनशिप अभियान होगा, और हर कोई जानता है कि यह उनका अंतिम `नृत्य` है। जर्मनी के लिए विश्व खिताब का सूखा 55 साल (1970 से) का है, और ग्रोज़र निश्चित रूप से चाहेंगे कि इस बार इतिहास को कुछ अलग ही लिखा जाए।
कोच विनियार्स्की का जादू: एक नई सुबह
जर्मनी का भविष्य, ग्रोज़र के बिना भी, उज्ज्वल दिख रहा है, और इसका बड़ा श्रेय मुख्य कोच मिचेल विनियार्स्की को जाता है। 2022 में बागडोर संभालने के बाद से, पोलिश कोच ने टीम में नई जान फूंक दी है। 2022 विश्व चैंपियनशिप में 15वें स्थान पर रहने के बाद, विनियार्स्की ने टीम को पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कराया। उन्होंने क्वालीफायर पूल ए में ब्राजील, क्यूबा और इटली जैसी दिग्गज टीमों को हराया और अपराजेय रहे। पेरिस ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में, वे अंततः चैंपियन बने फ्रांस से 3-2 से करीबी मुकाबले में हार गए – जो टीम की बढ़ती ताकत का एक स्पष्ट संकेत था। वर्तमान में, जर्मनी FIVB विश्व रैंकिंग में 8वें स्थान पर है, जो उनकी प्रभावशाली वापसी को दर्शाता है।
FIVB वॉलीबॉल एम्पावरमेंट कार्यक्रम ने भी टीम को काफी समर्थन दिया है, 2023 से जर्मनी को दीर्घकालिक कोचिंग सहायता के लिए CHF 288,000 प्राप्त हुए हैं, जिसमें फैबियन टोबियास सभी जर्मन राष्ट्रीय टीमों के लिए `विज्ञान कोच` के रूप में काम कर रहे हैं। यह दिखाता है कि सिर्फ मैदान पर नहीं, बल्कि तकनीकी और वैज्ञानिक स्तर पर भी टीम को मजबूत किया जा रहा है।
युवा शक्ति का उदय: भविष्य की झलक
विनियार्स्की ने इस साल की VNL (वॉलीबॉल नेशंस लीग) का उपयोग युवा प्रतिभाओं को बड़े मंच पर तैयार करने के लिए किया है, और परिणाम शानदार रहे हैं।
- फिलिप जॉन (ऑपोज़िट): 204 सेंटीमीटर के इस युवा खिलाड़ी ने 210 अंकों के साथ प्रतियोगिता में तीसरे सर्वश्रेष्ठ स्कोरर के रूप में उभरकर सबको चौंका दिया।
- एरिक रोरस (आउटसाइड हिटर): इन्होंने अटैक और रिसेप्शन दोनों में एक ऑल-राउंड प्रदर्शन किया, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा साबित हुई।
- साइमन वैलेंटिन टोरवी (मिडिल ब्लॉकर): यह युवा ब्लॉकर अब अनुभवी टोबियास क्रिक और एंटोन ब्रेमे के साथ नेट पर मजबूत रक्षा प्रदान करेगा।
इसके अतिरिक्त, आउटसाइड हिटर मोरिट्ज़ रीचर्ट VNL से बाहर रहने के बाद वापसी कर रहे हैं और सीधे पहली टीम में शामिल हो सकते हैं। लंबे समय तक टीम के कप्तान रहे लुकास कैम्पा के संन्यास के बाद, जान ज़िम्मरमैन पर सेटिंग की जिम्मेदारी होगी। लिबेरो के रूप में 21 वर्षीय लियोनार्ड ग्रेवन को मौका मिलेगा, जूलियन ज़ेंगर की अनुपस्थिति में वह टीम की रक्षा पंक्ति को मजबूत करेंगे। यह युवा पीढ़ी न केवल जर्मनी के वॉलीबॉल के भविष्य की झलक है, बल्कि यह ग्रोज़र को एक शानदार विदाई देने का भी इरादा रखती है।
विश्व चैंपियनशिप में चुनौती और उम्मीदें
जर्मन टीम, जिसे ‘डाई एडलर’ (Die Adler – चील) के नाम से जाना जाता है, इस साल की विश्व चैंपियनशिप में पूल ई में बुल्गारिया, स्लोवेनिया और चिली के साथ है। यह चैंपियनशिप मनीला, फिलीपींस में 12 से 28 सितंबर तक होनी है।
- पहला मैच: 13 सितंबर को मनीला के एसएम मॉल ऑफ एशिया एरिना में बुल्गारिया के खिलाफ।
- दूसरा मैच: 15 सितंबर को चिली के खिलाफ।
- अंतिम पूल मैच: 17 सितंबर को पूल ई के शीर्ष वरीयता प्राप्त स्लोवेनिया के खिलाफ।
इन मैचों में टीम का प्रदर्शन यह तय करेगा कि वे प्लेऑफ चरण में कितनी दूर तक जा सकते हैं। इस टीम में अनुभव और युवा जोश का एक बेहतरीन मिश्रण है, जो उन्हें किसी भी प्रतिद्वंद्वी के लिए एक खतरनाक चुनौती बनाता है।
एक युग का अंत, एक सपने की शुरुआत
ग्योरगी ग्रोज़र का अलविदा एक भावनात्मक पल होगा, लेकिन यह जर्मन वॉलीबॉल के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत भी है। टीम के पास युवा प्रतिभाओं की भरमार है, एक दूरदर्शी कोच है, और FIVB का समर्थन है। क्या वे 55 साल के सूखे को खत्म कर पाएंगे और विश्व चैंपियन का ताज अपने सिर पर सजा पाएंगे? यह देखना बाकी है। लेकिन एक बात निश्चित है: जर्मनी की टीम न केवल अपने महान खिलाड़ी को एक यादगार विदाई देना चाहती है, बल्कि वैश्विक वॉलीबॉल मंच पर अपनी स्थायी छाप भी छोड़ना चाहती है। मनीला में होने वाली यह प्रतियोगिता निश्चित रूप से इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी – एक किंवदंती की विदाई और एक आशाजनक भविष्य के आगमन के रूप में।