टेनिस की दुनिया में कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपनी खेल प्रतिभा के साथ-साथ अपने खास व्यक्तित्व के लिए भी जाने जाते हैं। कजाकिस्तान के अलेक्जेंडर बुब्लिक ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं। हाल ही में, उन्होंने एक मजेदार क्विज में हिस्सा लेकर अपने प्रशंसकों को चौंका दिया, जब उन्होंने अपने बचपन की कुछ मासूम शरारतों का खुलासा किया। यह सिर्फ एक खेल नहीं था, बल्कि एक झलक थी उस इंसान की जो कोर्ट पर जितना गंभीर और तेज-तर्रार दिखता है, दिल से उतना ही दिलचस्प और सामान्य है।
मिठाई चोर से ATP चैंपियन तक का सफर
फर्स्ट एंड रेड (First&Red) नामक टेलीग्राम चैनल पर आयोजित `किया/नहीं किया` शैली की इस प्रश्नोत्तरी में, बुब्लिक ने कुछ ऐसे राज खोले जिन्हें सुनकर कोई भी मुस्कुराए बिना नहीं रह पाएगा। कल्पना कीजिए, एक अंतरराष्ट्रीय एथलीट, जिसने दुनिया भर में प्रसिद्धि और धन कमाया है, वह कबूल करता है कि उसने कभी दुकान से मिठाइयां चुराई थीं। हां, आपने सही पढ़ा! यह स्वीकारोक्ति अपने आप में बुब्लिक के व्यक्तित्व की एक नई परत खोलती है – एक शरारती, लेकिन बेहद ईमानदार इंसान।
हालांकि, यह सिर्फ मिठाई तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने उन आम मानवीय अनुभवों को भी साझा किया जिनसे हम सभी गुजरते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी किसी का फोन न उठाने के लिए व्यस्त होने का नाटक किया, तो उनका जवाब था “किया”। क्या उन्होंने कभी खुद को गूगल किया? “किया”। किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का नाम भूल गए? “किया”। कही हुई बात पर पछतावा? “किया”। यहां तक कि उन्होंने कबूल किया कि उन्होंने कभी अलग-अलग मोजे भी पहने हैं – क्या यह उनकी टेनिस पोशाक का हिस्सा था, यह हमें नहीं पता, लेकिन यह निश्चित रूप से मजेदार है!
“कोर्ट पर गेंद को जिस तेजी से वह सीमा रेखा के पार पहुंचाते हैं, उसी सहजता से उन्होंने अपने बचपन के राज़ों को भी जगजाहिर कर दिया। कौन कह सकता है कि एक ATP चैंपियन भी कभी दुकान से `चॉकलेट बम` चुराने का दोषी हो सकता है?”
आत्मविश्वास का पाखंड? नहीं, बिल्कुल नहीं!
इन सभी कबूलनामों के बीच, एक बात साफ थी: बुब्लिक पाखंडी नहीं हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी आत्मविश्वासी होने का नाटक किया, तो उनका सीधा जवाब था “नहीं किया”। यह दर्शाता है कि अलेक्जेंडर बुब्लिक वह हैं जो वह दिखते हैं – वास्तविक और बेबाक। उनकी यह ईमानदारी ही उन्हें उनके प्रशंसकों के बीच और भी प्रिय बनाती है। वह अपनी गलतियों और अपनी कमजोरियों को स्वीकार करने से नहीं कतराते, और यही बात उन्हें `सिर्फ एक खिलाड़ी` से कहीं बढ़कर बनाती है।
हांगझोऊ में विजय, करियर का नया मुकाम
अपने इन हल्के-फुल्के खुलासों के साथ-साथ, अलेक्जेंडर बुब्लिक हाल ही में टेनिस कोर्ट पर अपनी धमाकेदार वापसी के लिए भी सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने चीन के हांगझोऊ में आयोजित एटीपी-250 कैटेगरी का टूर्नामेंट जीतकर एक बार फिर अपनी क्षमता साबित की। फाइनल में, उन्होंने फ्रांस के वैलेंटीन रुए को 7/6 (4), 7/6 (4) के स्कोर से हराया। यह बुब्लिक के करियर का आठवां एटीपी खिताब था और इस जीत के साथ, वह एटीपी रैंकिंग में 19वें स्थान से सीधे 16वें स्थान पर पहुंच गए, जो उनके करियर का अब तक का सर्वोच्च स्थान है।
यह जीत उनके खेल के प्रति समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है। एक तरफ उनकी बचपन की शरारतें, और दूसरी तरफ कोर्ट पर उनकी अद्वितीय क्षमता – यह विरोधाभास ही अलेक्जेंडर बुब्लिक को एक अनूठा खिलाड़ी और एक दिलचस्प व्यक्तित्व बनाता है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि बड़े से बड़े सितारे भी आखिर इंसान ही होते हैं, जिनमें हम सभी की तरह कुछ मजेदार और दिल छू लेने वाली बातें होती हैं।