अकिले पोलोनारा की ल्यूकेमिया से लड़ाई: साहस, सहयोग और उम्मीद की कहानी

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एक बास्केटबॉल खिलाड़ी, जिसके कोर्ट पर कदम रखते ही विपक्षी टीमों के पसीने छूट जाते थे, आज वह अस्पताल के बिस्तर से उठकर अपने नन्हे बच्चों के पास लौट रहा है। यह कहानी है इटली के बास्केटबॉल स्टार अकिले पोलोनारा की, जो ल्यूकेमिया जैसी जानलेवा बीमारी से जूझते हुए भी, ज़िंदगी और उम्मीद का दामन थामे हुए हैं।

हाल ही में, वैलेंसिया में कीमोथेरेपी का पहला चक्र पूरा करने के बाद अपने घर बोलोनिया लौटने पर, अकिले का स्वागत उनके मासूम बच्चों ने जिस तरीक़े से किया, वह किसी भी पिता के लिए सबसे बड़ी ताक़त होती। तीन साल के अकिले जूनियर और पाँच साल की होने वाली विटोरिया ने अपने पिता को देखते ही उन्हें गले लगा लिया, मानो वे अपनी सारी चिंताएँ और प्यार एक साथ उड़ेल देना चाहते हों। डेढ़ महीने बाद बच्चों से मिलना पोलोनारा के लिए सिर्फ़ एक पल नहीं, बल्कि जीवन की सबसे ख़ूबसूरत अनुभूति थी।

अंधेरे से मुलाकात: जब बीमारी ने दस्तक दी

पोलोनारा बताते हैं कि जब उन्हें पहली बार माइलॉइड ल्यूकेमिया (एक प्रकार का रक्त कैंसर) का पता चला, तो वह गहरे अँधेरे में डूब गए थे। “मृत्यु के भय से लेकर हर तरह के डर ने मुझे जकड़ लिया था,” उन्होंने साझा किया। डॉक्टरों के लिए भी यह ख़बर देना आसान नहीं था। इतालवी बास्केटबॉल के इस धुरंधर ने 2023 में भी टेस्टिकुलर कैंसर का सामना किया था, जिससे वह पूरी तरह उबर गए थे। नियति का यह क्रूर मज़ाक ही है कि एक खिलाड़ी जिसने शारीरिक चुनौतियों को बार-बार हराया, उसे एक अदृश्य शत्रु से फिर जूझना पड़ रहा है।

उनकी बड़ी बेटी विटोरिया, जो अपनी उम्र से ज़्यादा समझदार है, तुरंत समझ गई थी कि कुछ गड़बड़ है। “पापा के बाल झड़ गए हैं, माँ! इसका मतलब है कि उन्हें फिर से कोई गंभीर बीमारी हो गई है, जैसे पिछली बार हुई थी,” उसने अपनी माँ एरिका से कहा। बच्चों की यह मासूम समझ और तीक्ष्ण अवलोकन, बीमारी की गंभीरता को और भी स्पष्ट कर देता है।

रणनीति और उपचार का मैदान

ल्यूकेमिया एक शब्द है जो अपने आप में डरावना है, लेकिन इसकी असलियत तब पता चलती है जब आप इलाज शुरू करते हैं। पोलोनारा ने वैलेंसिया में इलाज कराने का फ़ैसला इसलिए किया, क्योंकि वहाँ कुछ ख़ास दवाएँ तुरंत उपलब्ध थीं, जो भविष्य में बीमारी के दोबारा होने के जोखिम को कम कर सकती हैं। बोलोनिया में ये दवाएँ सितंबर से पहले नहीं मिलने वाली थीं, जिससे इलाज और जटिल हो सकता था। यह आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की गतिशीलता का ही परिणाम है कि कभी-कभी सर्वोत्तम उपचार के लिए सीमाओं को पार करना पड़ता है।

अगला कदम है अगस्त से वैलेंसिया में कीमोथेरेपी का दूसरा चक्र, जिसके बाद वह बोलोनिया लौटकर सेंट`ओर्सोला में बोन मैरो प्रत्यारोपण करवाएँगे। यह एक लंबी और थका देने वाली प्रक्रिया है, लेकिन अकिले इसके लिए मानसिक रूप से तैयार हैं।

ताकत के स्तंभ: परिवार और खेल जगत का समर्थन

अकिले की ताक़त का सबसे बड़ा स्रोत उनकी पत्नी एरिका हैं। “हमारा एक महीना पहले ही शादी की छठी सालगिरह मनाई गई, मैं बहुत भाग्यशाली हूँ,” अकिले कहते हैं। एरिका, एक मजबूत व्यक्तित्व वाली महिला, उन्हें हर मुश्किल पल में सहारा देती हैं। “एरिका मेरी ज़िंदगी है,” वह कहते हैं। संकट के समय में एक सच्चा साथी ही जीवन का सबसे बड़ा संबल होता है, और अकिले इस मामले में ख़ास भाग्यशाली हैं।

यह प्रेरणा का एक और पहलू है कि उन्हें दिवंगत फ़ुटबॉल दिग्गज सिनीशा मिहाजलोविच के परिवार से भी समर्थन मिला, जिनकी 2022 में ल्यूकेमिया से मृत्यु हो गई थी। सिनीशा की पत्नी अरियाना और उनके बच्चों ने अकिले से संपर्क किया, हालाँकि वे पहले कभी नहीं मिले थे। उन्होंने सिनीशा की ल्यूकेमिया की ख़ास प्रकृति के बारे में बताया और अकिले के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। दुखद है कि मिहाजलोविच जैसे एक और महान खिलाड़ी को ल्यूकेमिया ने लील लिया, लेकिन उनका परिवार अब इसी बीमारी से जूझ रहे अन्य लोगों के लिए एक मशाल बन गया है।

पूरा बास्केटबॉल जगत अकिले के साथ खड़ा है। वर्तुस बोलोनिया के उनके साथियों ने तो अस्पताल में ही उन्हें स्कुडेटो कप लाकर दिया था – यह बताता है कि खेल भावना सिर्फ़ मैदान तक सीमित नहीं रहती। राष्ट्रीय टीम के साथी भी उनके साथ हैं। कोच पॉज़्ज़ेको उन्हें हर दिन संदेश भेजते हैं और अकिले उन्हें बड़े भाई जैसा मानते हैं। स्पिसू उनके जिगरी दोस्त हैं, और प्रशंसक उन्हें `गास्पारे और ओरज़ियो` की जोड़ी कहते हैं। अकिले ने अपनी राष्ट्रीय टीम के साथियों से आगामी यूरोपीय चैंपियनशिप में पदक जीतने की `गुज़ारिश` की है, ताकि यह उनके लिए एक ख़ास तोहफ़ा बन सके।

कमज़ोरी के पल और संगीत का सहारा

इतने समर्थन के बावजूद, अकिले के जीवन में भी ऐसे पल आते हैं जब वे पूरी तरह टूट जाते हैं। “शाम को ऐसे क्षण ज़्यादा आते हैं जब सब कुछ काला दिखने लगता है,” वह कहते हैं। ऐसे में संगीत उनका सहारा बनता है। फ़्रांचेस्को रेंगा का गाना `इल मियो गियोर्नो पियु बेल्लो नेल मोंडो` (दुनिया में मेरा सबसे ख़ूबसूरत दिन) उन्हें ख़ास तौर पर भावुक कर देता है, और परिवार को याद कर उनकी आँखें भर आती हैं। यह मानवीय स्वभाव की एक सुंदर विशेषता है कि सबसे मुश्किल समय में भी कला और प्रेम हमें सांत्वना दे सकते हैं।

आगे का रास्ता: उम्मीद की रोशनी

पोलोनारा की यात्रा अभी लंबी है, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प और उनके आस-पास के लोगों का प्यार उन्हें हर क़दम पर ताक़त दे रहा है। यह सिर्फ़ एक खिलाड़ी की बीमारी से लड़ाई नहीं, बल्कि मानवीय भावना के अदम्य साहस और जीवन के प्रति अटूट आस्था की कहानी है। जब अकिले पोलोनारा एक बार फिर कोर्ट पर वापसी करेंगे, तो वह सिर्फ़ एक खिलाड़ी नहीं होंगे, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का एक जीवित प्रतीक होंगे – इस बात का कि हारना सिर्फ़ एक शब्द है, जब तक आप लड़ने का हौसला नहीं छोड़ते।

रोहित कपूर

रोहित कपूर बैंगलोर से हैं और पंद्रह साल के अनुभव के साथ खेल पत्रकारिता के दिग्गज हैं। टेनिस और बैडमिंटन में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने खेल पर एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बनाया है, जहां वे महत्वपूर्ण मैचों और टूर्नामेंटों का विश्लेषण करते हैं। उनके विश्लेषणात्मक समीक्षाओं की प्रशंसा प्रशंसकों और पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा की जाती है।