विश्व खेल मंच पर, कुछ कहानियाँ चुपचाप बुनी जाती हैं, लेकिन जब वे सामने आती हैं, तो वे एक प्रेरणादायक गूँज छोड़ जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी स्लोवेनिया की महिला राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम की है, जिसने हाल ही में FIVB विश्व चैम्पियनशिप में अपना पहला कदम रखते हुए, न केवल भाग लिया, बल्कि राउंड ऑफ 16 तक पहुँचकर खेल जगत को चौंका दिया। यह सिर्फ एक टूर्नामेंट का सफर नहीं था, बल्कि दशकों की मेहनत, अटूट विश्वास और एक राष्ट्र के खेल सपनों की उड़ान थी।
एक छोटे देश का बड़ा सपना
यह अविश्वसनीय यात्रा थाईलैंड की धरती पर शुरू हुई, जहाँ स्लोवेनियाई टीम ने ‘FIVB वॉलीबॉल एम्पावरमेंट’ कार्यक्रम के सहयोग से अपनी तैयारी को ऐतिहासिक प्रदर्शन में बदला। यह कार्यक्रम ऐसे देशों को सहायता प्रदान करता है जहाँ वॉलीबॉल को बढ़ावा देने की आवश्यकता होती है, और स्लोवेनिया इसका एक जीता-जागता उदाहरण बन गया। उन्होंने हर मैच में अपने दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया, यह साबित करते हुए कि जीत सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं होती, बल्कि जज्बे का भी। यह किसी परी कथा से कम नहीं था, जहाँ छोटे से देश के खिलाड़ियों ने बड़े-बड़े दिग्गजों को चुनौती देने की हिम्मत दिखाई।
दिग्गजों से भिड़ंत: हर हार में एक जीत
राउंड ऑफ 16 में उनका सामना मौजूदा यूरोपीय चैंपियन तुर्की से हुआ। यह एक कठिन चुनौती थी, जिसमें तुर्की ने 3-0 से जीत दर्ज की। स्कोरलाइन (30-28, 25-13, 29-27) भले ही एकतरफा लगे, लेकिन पहले और तीसरे सेट में स्लोवेनियाई टीम का जुझारूपन देखने लायक था। आउटसाइड हिटर फातोमाटा सिलाह (Fatoumatta Sillah) और ऑपोज़िट ईवा ज़ातकोविक (Eva Zatkovic) ने 15-15 अंक बटोरे, जो यह दर्शाता है कि उन्होंने कितनी बहादुरी से मुकाबला किया। वे हारे नहीं, बल्कि सम्मान के साथ मैदान से विदा हुए। यह हार, वास्तव में, उनके आत्मविश्वास और अनुभव की जीत थी।
कोच की दूरदर्शिता और खिलाड़ी का दृढ़ संकल्प
टीम के मुख्य कोच एलेसेंड्रो ओरेफिस (Alessandro Orefice) ने हार के बाद मिली पीड़ा को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “अगर आप मुझसे यह कल सुबह पूछते, तो यह आसान होता, क्योंकि अभी इस तरह का मैच हारना वाकई दर्दनाक है।” (एक कोच का दर्द, जिसकी दवा शायद अगली जीत ही होती है!) लेकिन फिर उन्होंने बड़े परिप्रेक्ष्य पर जोर दिया।
“हम यथार्थवादी हैं और भावनाओं के बारे में नहीं सोचते। हमें बहुत गर्व है। मेरे पास यह समझाने के लिए शब्द नहीं हैं कि हमें अपनी टीम, स्टाफ, फेडरेशन और इस देश पर कितना गर्व है। हमने शायद इसकी उम्मीद नहीं की थी, लेकिन हमने महसूस किया कि कुछ बहुत बेहतर हो रहा था।”
उन्होंने इस यात्रा को एक परियोजना की शुरुआत बताया – “यह सिर्फ शुरुआत है।” कोच की इस बात में भविष्य के लिए एक स्पष्ट संदेश छिपा था।
कप्तान साशा प्लानिनसेक (Saša Planinšec) ने इस अभियान के महत्व पर प्रकाश डाला। “मैं बहुत खुश हूँ। हमें इस प्रतियोगिता का हिस्सा बनकर बहुत खुशी है। अगर आपने मुझसे कुछ साल पहले पूछा होता कि स्लोवेनिया के लिए ऐसा कुछ संभव है, तो मैं विश्वास नहीं करती।” उनकी आँखों में चमक थी जब उन्होंने अर्जेंटीना के खिलाफ उस `करो या मरो` मैच को याद किया, जिसमें 3-0 या 3-1 की जीत ही उन्हें आगे ले जा सकती थी। “वह एक ऐसा पल है जिसे मैं हमेशा संजो कर रखूंगी।” यह जीत सिर्फ अंकों की नहीं, बल्कि उस विश्वास की थी जो टीम ने स्वयं में पाया।
स्लोवेनियाई भावना: एक अद्वितीय मिश्रण
साशा ने टीम की विशिष्टता को बताते हुए कहा, “हमारे अंदर खून में ही लड़ने का जज्बा है। यह एक मानसिकता है, हर चीज जीतने की, हमेशा यह विश्वास करने की कि आप हर चीज के लिए लड़ सकते हैं।” टीम में युवा प्रतिभाओं और अनुभवी खिलाड़ियों का एक अनूठा मिश्रण है। युवा खिलाड़ी खुद को साबित करने के लिए भूखे हैं, और यह भूख ही उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की प्रेरणा देती है। उनका मानना है कि यह केवल शुरुआत है, और आने वाले समय में यह टीम वॉलीबॉल के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवा सकती है। यह उस `विशेष` चीज़ की बात है, जिसे किसी भी कीमत पर हासिल करने का जुनून कहा जा सकता है।
स्कोरबोर्ड से परे: एक नई शुरुआत
स्लोवेनिया का यह पदार्पण सिर्फ एक खेल स्पर्धा में भाग लेना नहीं था, बल्कि विश्व मंच पर एक मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना था। इस यात्रा ने उन्हें अमूल्य अनुभव दिया है। ‘वॉलीबॉल एम्पावरमेंट’ जैसे कार्यक्रम ने न केवल फेडरेशन को मजबूत किया है, बल्कि खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण लेने और प्रतिस्पर्धा करने के अवसर भी प्रदान किए हैं। यह समर्थन उस प्रगति की नींव बना है जिसका वर्णन कोच ओरेफिस ने किया और जिस पर कप्तान प्लानिनसेक ने गर्व व्यक्त किया।
थाईलैंड में उनका अभियान भले ही टूर्नामेंट से बाहर होने के साथ समाप्त हो गया हो, लेकिन वे अमूल्य अनुभव से लैस होकर लौटे हैं। स्लोवेनिया की कहानी अभी शुरू हुई है, और ‘वॉलीबॉल एम्पावरमेंट’ ने यह सुनिश्चित करने में मदद की है कि अगले अध्याय लिखे जाने के लिए तैयार हैं। यह एक प्रेरणादायक गाथा है कि कैसे एक छोटे से देश ने अपने दृढ़ संकल्प और सही समर्थन से खेल की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। यह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सपनों को हकीकत में बदलने की कहानी है, जिसका हर पन्ना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।