आंद्रे रुबलेव का बचपन और दादाजी की यादें: बिना ‘प्लान बी’ के कैसे बने टेनिस स्टार

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टेनिस की दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले रूस के स्टार खिलाड़ी, दुनिया के नंबर 10 खिलाड़ी आंद्रे रुबलेव (Andrey Rublev) आजकल लॉस काबोस में एक टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं। इस व्यस्त कार्यक्रम के बीच, रुबलेव ने हाल ही में कुछ पल निकालकर अपने जीवन के एक बेहद निजी और मार्मिक पहलू पर बात की – उनका बचपन और उनके दादाजी के साथ बिताए अनमोल पल।

रुबलेव ने बताया कि लॉस काबोस का माहौल उन्हें काफी पसंद आया है, जहां टेनिस और छुट्टियों का एक बेहतरीन और अनूठा मिश्रण है। लेकिन उनकी बातचीत का असली आकर्षण उनके बचपन की यादें बनीं। उन्होंने खासकर अपने दादाजी को याद किया, जिनके साथ उनका रिश्ता बेहद खास था।

रुबलेव के अनुसार, उनके दादाजी उनके बचपन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे उनके साथ काफी समय बिताते थे, उन्हें जीवन की कई महत्वपूर्ण बातें सिखाते थे। जंगल में घूमना, साथ बैठकर आग जलाना – ये सब उनके बचपन की कुछ ऐसी सुनहरी यादें हैं जो आज भी उनके दिल में ताजा हैं। ये पल केवल मनोरंजन के नहीं थे, बल्कि शायद दादाजी के साथ ने ही उनमें जीवन के प्रति एक खास तरह की समझ और जुड़ाव पैदा किया।

दादाजी की प्यारी यादों के साथ ही, रुबलेव ने अपने बचपन के एक और बेहद केंद्रित पहलू पर भी रोशनी डाली: टेनिस। उनका बचपन काफी हद तक टेनिस कोर्ट पर ही बीता। उन्हें आज भी याद है कि वे किस तरह सूरज डूबने तक, बिना थके अभ्यास करते रहते थे। उनके दिमाग में बस एक ही धुन सवार थी – टेनिस खेलना।

उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनके पास कभी कोई `प्लान बी` नहीं था। उन्हें कभी यह ख्याल ही नहीं आया कि अगर वे पेशेवर टेनिस खिलाड़ी नहीं बन पाए तो क्या करेंगे। उनके लिए बस एक ही रास्ता था, और वह था टेनिस का रास्ता। यह अटूट विश्वास और एकल लक्ष्य पर केंद्रित रहने की यही लगन उन्हें आज इस मुकाम तक लेकर आई है, जहां वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिने जाते हैं।

आंद्रे रुबलेव की यह कहानी न केवल उनके टेनिस करियर की सफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे बचपन की सरल यादें, परिवार का साथ और एक लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण व्यक्ति को जीवन में ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। उनका `कोई प्लान बी नहीं` वाला रवैया दिखाता है कि जब जुनून गहरा होता है, तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं, भले ही शुरुआत में वे केवल टेनिस कोर्ट पर सूरज ढलने तक अभ्यास करने जैसे सरल दिखें।

धीरज मेहता

धीरज मेहता नई दिल्ली के एक खेल पत्रकार हैं जिन्हें बारह साल का अनुभव है। कबड्डी की स्थानीय प्रतियोगिताओं की कवरेज से शुरुआत करने वाले धीरज अब क्रिकेट, फुटबॉल और फील्ड हॉकी पर लिखते हैं। उनके लेख रणनीतिक विश्लेषण में गहराई से जाने के लिए जाने जाते हैं। वे एक साप्ताहिक खेल कॉलम लिखते हैं और लोकप्रिय खेल पोर्टल्स के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं।